हथियार रखने से हमें 1978 में आर्म्स एक्ट बनाकर अंग्रेजों ने रोका और आजादी के बाद 1959 में आर्म्स एक्ट बनाकर अंग्रेजों के दलालों ने :दिनेश कुमार एलएल.एम.

1857 की क्रांति जब भारत में हुई तो उस क्रांति में भारतीयों ने बरछी, भाले,तलवारें ,देसी हथियार , पिस्तौल, बंदूक बहुत बड़े पैमाने पर प्रयोग की थी,
अंग्रेजों को लगने लगा कि आने वाले समय में भारतीय लोग उग्र हो सकते हैं और बहुत बड़ी क्रांति हो सकती है।
क्रांति की सारी संभावनाओं को खत्म करने के लिए अंग्रेजों ने चालाकी से सन 1878 में आर्म्स एक्ट लागू कर दिया।
जिसमें बंदिशें लगाई गई कोई भी भारतीय बिना लाइसेंस के किसी भी प्रकार का हथियार नहीं रख सकेगा यदि वह हथियार रखेगा तो उसे दंडित किया जाएगा। इस कार्य को अंजाम दिया लॉर्ड लिटन ने-
ब्रिटिश भारत के वायसराॅय लॉर्ड लिटन की दमनकारी नीतियों में एक और प्रमुख कार्य, भारतीय शस्त्र अधिनियम,1878 था। सन् 1878 में ब्रिटिश पार्लियामेंट द्वारा पारित ग्यारहवें अधिनियम के अनुसार किसी भारतीय नागरिक के लिए बिना लाइसेंस शस्त्र/हथियार रखना अथवा उसका व्यापार करना, एक दंडनीय अपराध बन गया। इस अधिनियम को तोड़ने पर 3 वर्ष तक की ज़ेल, अथवा जुर्माना या फिर इनमें से दोनों, और यदि इसको छुपाने का प्रयत्न किया गया हो तो उस पर सात वर्ष तक की ज़ेल, अथवा जुर्माना या फिर इनमें से दोनों दण्ड दिए जा सकते थे। इसमें भी ब्रिटिश सरकार द्वारा भेदभाव किया जाता था अर्थात यूरोपीय, ऐंग्लो-इण्डियन अथवा सरकार के कुछ विशेष अधिकारी इस अधिनियम की परिधि से मुक्त थे। इस अधिनियम द्वारा स्पष्ट हो गया कि उस समय ब्रिटिश भारत में भारतीय लोग अविश्वसनीय समझे जाते थे।

भारत कानूनी रूप से आज भी अंग्रेजों का गुलाम है इस गुलामी से मुक्ति के लिए भारतीय कभी बगावत नहीं करें इसलिए आर्म्स एक्ट को आज तक लागू किया हुआ है।
अंग्रेजों को आज भी डर है यदि भारतीयों के हर हाथ में हथियार थमा दिए गए या हथियार रखने की खुली छूट दे दी गई तो वह अंग्रेजों के दलालों की ब्राह्मणवादी और पूंजीवादी व्यवस्था को समूल उखाड़ सकते हैं और दलालों का सर्वनाश कर सकते हैं,
इसलिए यह मानवाधिकार विरोधी आर्म्सएक्ट आज भी लागू है।

हमारी मांग है के देश को सुरक्षा प्रदान करने के लिए देश के नागरिकों के आत्मरक्षा के लिए हर हाथ में हथियार होना बहुत जरूरी है इसलिए अंग्रेजों के काले कानून को समाप्त कर हथियार रखने के लिए किसी भी प्रकार की बंदिश ना रखी जाए वल्कि हथियार रखने को जीवन का मूलभूत अधिकार घोषित किया जाए। तभी भारत अन्याय, अत्याचार,हत्या ,बलात्कार शोषण, उत्पीड़न और गुलामी से मुक्त हो सकेगा।

(लेखक के अपने विचार हैं ,लेखक दिनेश कुमार एलएल.एम. हैं)