वक्त भी अजीब है, क्या से क्या दिखला दे। एक समय में ऐशो आराम के साथ शान ओ शौकत थी। आज बिल्कुल फटेहाल। बात हो रही है कि देश और दुनिया में मशहूर आगरा के ब्रांड रामबाबू पराठे वालों के परिवार की।
बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन ने बेटे अभिषेक और ऐश्वर्या राय की शादी में मेहमानों को पराठे खिलाने के लिए आगरा से रामबाबू पराठे वालों को बुलाया था।
दुबई के अलावा कई अन्य देशों में भी होने वाली महंगी शादियों में रामबाबू के पराठों की डिमांड रहती है। इसी परिवार की महिला और बेटा, आज सूखी रोटियों के लिए मोहताज
सरकारी अस्पताल, पतली दाल और सूखी रोटियां
आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज की नई आठ मंजिला इमारत के छठवें तल पर बुधवार की शाम करीब सात बजे बुजुर्ग सुमित्रा देवी बेटे रिंकू की हालत को लेकर गुमसुम बैठी हैं। उसे खून चढ़ाने के लिए लगाई गई इंट्रा कैथ निकलने से हुए दर्द से बेटा कराह रहा है। कुछ खून फर्श और कुछ बेड की चादर पर गिर गया है।
इसी दौरान अस्पताल का कर्मचारी वार्ड में आकर मरीजों के लिए खाना लेने की आवाज लगा कर चला जाता है। अपनी चिंता में व्यस्त सुमित्रा देवी शायद उसकी आवाज नहीं सुन पातीं, बराबर की बेड पर बेटी की तीमारदारी करने वाली महिला तीमारदार उनका गिलास लेकर बाहर की ओर भागती है।गिलास में दाल के साथ कुछ सूखी रोटियां लाकर सुमित्रा को थमा देती है। सूखी रोटियां देते समय महिला तीमारदार उनसे पूछ लेती है कि अम्मा शहर के मशहूर रामबाबू पराठे वाले की पत्नी होने के बाद भी तुम यहां सूखी रोटियां खाती हो।
सुमित्रा खंडेलवाल महिला तीमारदार जवाब देती हैं, ब्रांड और नाम से पेट नहीं भरता। यहां तो सूखी रोटियाें के भी लाले हैं। जो मिल रहा है, उनके लिए वही बहुत है। उनका जवाब देने का अंदाज बिना कुछ कहे ही सारे हालात बयां कर देता है।
बेलनगंज से हुई थी शुरुआत, दुनियाभर में फैला नाम
शहर के नामचीन दिवंगत रामबाबू पराठे वाले की बेलनगंज में दुकान है। जिस पर परिवार के दूसरे सदस्य बैठते हैं। रामबाबू पराठे वाले की पत्नी सुमित्रा खंडेलवाल ने बताया नवंबर 1983 में उनके पति की मौत हो गई। परिवार में एक बेटा रिंकू और बेटी है। बेटी की शादी कर चुकी हैं। परिवार के लोग उनके पति का नाम तो बेच रहे हैं, लेकिन उन्हें अपने से अलग कर दिया। करीब 35 वर्ष से वह यूं ही दर-दर भटक रहे हैं।परिवार के लोग उनकी सुध तक नहीं लेते हैं। उनका 42 वर्षीय बेटा रिंकू अविवाहित है। उसकी करीब एक महीने पहले संजय प्लेस में एक दुकान में नौकरी लगी थी।
दस दिन पहले वह दुकान से शौचालय के लिए पास की इमारत में गया। वहां पर श्वान ने दौड़ा लिया, जिससे गिरकर उसके कूल्हे की हड्डी टूट गई। एसएन में इलाज करा रहे हैं। अब तक छह बोतल खून चढ़ चुका है। जिसका इंतजाम उन्हें आश्रय देने वालों ने दिया।
गांधी नगर में मुन्नी देवी ने दिया आश्रय
नामचीन पराठे वाली की पत्नी और बेटे को गांधी नगर की रहने वाली विधवा मुन्नी देवी और उनके परिवार ने आश्रय दे रखा है। मुन्नी देवी के स्वजन ने बताया कि करीब तीन वर्ष पहले सुमित्रा खंडेलवाल घर पर आई थीं। वह खाना मांगने लगीं, मुन्नी देवी ने बैठाकर खाना खिलाया।
जिसके बाद वह रोने लगीं तो मुन्नी देवी का दिल पसीज गया। उन्होंने सुमित्रा देवी और उनके बेटे रिंकू काे अपने घर में कमरा दे दिया। उनसे कहा कि वहां रहें, जैसे सबके लिए खाना बनता है, उनके लिए भी रोटियां बन जाया करेंगी। मां-बेटे तभी से परिवार के सदस्य की तरह वहां रह रहे हैं। मुन्नी देवी और उनके स्वजन को भी कुछ महीने पहले ही पता चला कि सुमित्रा देवी रामबाबू पराठे वाले की पत्नी हैं।
सुमित्रा देवी के प्रति स्टाफ से लेकर तीमारदारों तक बदला नजरिया
एसएन के वार्ड में कल तक सुमित्रा खंडेलवाल अन्य तीमारदारों व स्टाफ के लिए आम मरीजों के तीमारदार की तरह थीं। मगर, इंटरनेट मीडिया में उनका वीडियो वायरल हाेने के बाद स्टाफ व अन्य तीमारदारों का उनकी असलियत पता चलने के बाद नजरिया बदल गया है। वह उनकी मदद को तत्पर रहते हैं।
रामबाबू पराठे वाले परिवार का वीडियो इंटरनेट मीडिया में वायरल
बेलनगंज में रामबाबू पराठे वाले की दुकान चलाने वाले परिवार के सदस्य का भी वीडियो इंटरनेट मीडिया में वायरल हो रहा है। जिसमें उन्होंने अपना पक्ष रखा है। वायरल वीडियाे में परिवार के सदस्य कह रहे हैं कि उन्होंने सुमित्रा खंडेलवाल और उनके बेटे को हिस्सा दे दिया था।
भतीजे बोले 1986 में हो चुका है बंटवारा, फिर भी करते हैं सुमित्रा की मदद
सुमित्रा देवी के भतीजे किशोर खंडेलवाल ने बताया कि परिवार में वर्ष 1986 में बंटवारा हो गया था। सबको अपना-अपना हिस्सा मिल गया था। इसके बावजूद बड़े भाई चंद्रमोहन खंडेलवाल समय-समय पर ताई सुमित्रा व रिंकू की मदद करते रहते हैं।
उन्होंने मंगलवार को एसएन जाकर सुमित्रा खंडेलवाल को रिंकू के इलाज के लिए 15 हजार रुपये दिए। इतना ही नहीं, रिंकू की कई जगह नौकरी भी लगवाई, लेकिन वह काम छोड़कर चला आया।