थलाइवा उर्फ रजनीकांत आज 73 साल के हो चुके हैं, जिनकी 2 तमिल फिल्में 500 से ज्यादा कलेक्शन कर चुकी हैं।

साउथ में भगवान की तरह पूजे जाने वाले थलाइवा उर्फ रजनीकांत आज 73 साल के हो चुके हैं। उम्र के साथ-साथ रजनीकांत की फैन फॉलोइंग और उनके रिकॉर्ड भी हर साल बढ़ते जा रहे हैं। इसी साल रजनीकांत की फिल्म जेलर ने 600 करोड़ से ज्यादा कमाई कर तमिल सिनेमा का इतिहास बदल दिया। रजनीकांत साउथ के इकलौते एक्टर हैं, जिनकी 2 तमिल फिल्में 500 से ज्यादा कलेक्शन कर चुकी हैं।
उम्र के इस पड़ाव में भी रजनीकांत हीरो बनकर अकेले फिल्म की कमान संभालते हैं और रिकॉर्ड बनाते हैं। जबकि उनके सभी हमउम्र हीरो अब सपोर्टिंग रोल ही करते हैं। रजनीकांत फिल्म जेलर के लिए 210 करोड़ फीस लेने वाले सिर्फ साउथ ही नहीं, बल्कि भारत के हाईएस्ट पेड एक्टर हैं।
फिर भी ये तमाम उपलब्धियां उन सभी फैंस के जुनून के आगे फीकी हैं, जो रजनीकांत को अपना भगवान मानते हैं और पूजते हैं। यही कारण है कि साउथ में रजनीकांत की फिल्म रिलीज होने पर कई जगह छुट्टी घोषित हो जाती है। जश्न का माहौल होता है और टिकट के लिए दंगे न हों तो ये हैरानी की बात होगी
रजनीकांत के पास सबसे ज्यादा फैन क्लब होने का रिकॉर्ड है। पूरे 66 हजार रजिस्टर्ड और अनरजिस्टर्ड फैनग्रुप की तो कोई गिनती ही नहीं है। हालांकि 80 के दशक में एक समय ऐसा था, जब सभी डायरेक्टर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स ने नाम लिया था कि रजनीकांत का करियर अब खत्म हो चुका है। इस बीच अमिताभ बच्चन की एक फिल्म रजनीकांत के लिए स्टारडम दोबारा हासिल करने का जरिया बनी थी।
आज रजनीकांत के जन्मदिन के खास मौके पर जानिए उनके बस कंडक्टर से सुपरस्टार बनने की कहानी, उनके फैंस के हैरान कर देने वाले किस्सों के साथ-
पिता के रिटायरमेंट के बाद रजनीकांत के परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। ऐसे में रजनीकांत कुली बनकर काम करने लगे। आमदनी कम थी, तो वो छोटे-मोटे कई और काम भी किया करते थे। कुछ समय बाद हुनर की बदौलत इन्हें बैंगलोर ट्रांसपोर्ट कंपनी में बस कंडक्टर की नौकरी मिल गई।
रजनीकांत अपनी दमदार आवाज में लोगों को बड़ी ही स्टाइल में टिकट दिया करते थे, जिसे देखने के लिए हर पैसेंजर की नजरें उन्हीं पर टिकी होती थीं। दूसरे बस कंडक्टर और ड्राइवर रजनीकांत को काफी पसंद किया करते थे।
एक दिन प्लेराइटर टोपी मुनिप्पा बस में सफर कर रहे थे, तभी उनकी नजर बस कंडक्टर रजनीकांत पर पड़ी। उन्हें रजनी की स्टाइल काफी पसंद आई। उन्होंने झट से रजनी को अपने प्ले का हिस्सा बनने का प्रस्ताव दे दिया। रजनी भी मान गए और कंडक्टर का काम करने के साथ-साथ प्ले भी करने लगे।
बस कंडक्टर की नौकरी करते हुए रजनीकांत की दोस्ती बैंगलोर में ही पढ़ने वाली मेडिकल स्टूडेंट निर्मला से हो गई। कुछ समय बाद दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे और फिर दोनों को प्यार हो गया। एक दिन रजनीकांत ने अपनी गर्लफ्रेंड को प्ले देखने बुलाया।
रजनीकांत का अभिनय इतना दमदार था कि उनकी गर्लफ्रेंड ने कहा- आपको हीरो बनना चाहिए। रजनीकांत खुद भी एक्टिंग सीखने की इच्छा रखते थे, तो एक दिन निर्मला ने उनका मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट में एडमिशन के लिए फॉर्म भर दिया, जिसकी बदौलत रजनीकांत का दाखिला हुआ था।रजनी का गरीब परिवार उनके इस फैसले के खिलाफ था, लेकिन दोस्त और को-वर्कर राज बहादुर ने जब फाइनेंशियल मदद की तो रजनीकांत ने यहां एडमिशन ले लिया। एक्टिंग कोर्स के दौरान ही एक दिन रजनीकांत पर मशहूर साउथ डायरेक्टर के. बालाचंदर की नजर पड़ी।
बालाचंदर ने उनसे कहा कि अगर वो तमिल भाषा सीख जाएंगे, तो वो उन्हें अपनी फिल्म में लेंगे। रजनीकांत ने चंद दिनों में ही तमिल भाषा पर मजबूत पकड़ बना ली और उन्हें फिल्म अपूर्वा रांगागल (1975) मिल गई।
25 साल के रजनीकांत ने फिल्म में एक्टर कमल हासन और श्रीविद्या के साथ साइड रोल निभाया था, हालांकि पहली ही फिल्म से अपने हुनर से उन्होंने हर किसी का ध्यान खींच लिया।
इस फिल्म को 3 नेशनल अवॉर्ड मिले थे। शुरुआती करियर में रजनीकांत को कथा संगम, बालू जेनू, आवारगल, 16 वयाधिनिली जैसी फिल्मों में विलेन के रोल ही दिए जाते थे।
कई फिल्मों में छोटे-मोटे रोल करने के बाद रजनीकांत को 1976 की फिल्म मूंदरू मुदिचू में बड़ा रोल मिला। फिल्म में लीड रोल में कमल हासन थे और इसी फिल्म में पहली बार 13 साल की श्रीदेवी बतौर लीड नजर आई थीं।
उस समय कमल हासन बड़े एक्टर माने जाते थे, उनकी फीस 30 हजार थी, जबकि रजनीकांत की महज 2 हजार रुपए। बतौर लीड पहली फिल्म कर रहीं श्रीदेवी को भी रजनीकांत से 5 हजार रुपए ज्यादा फीस दी गई थी।
फिल्म में स्टाइल से सिगरेट फ्लिप करते हुए रजनीकांत को दर्शकों ने काफी सराहा और लोग उनके स्टाइल की कॉपी करने लगे।
1977 की फिल्म चिलाकम्मा चेप्पिंदी में पहली बार रजनीकांत को बतौर हीरो फिल्म में लिया गया। दमदार अभिनय से रजनीकांत ने फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर का नॉमिनेशन हासिल किया। रजनीकांत की जिंदगी बदलने वाला साल 1978 था, जब उन्हें फिल्म बैरवी में सोलो लीड कास्ट किया गया। फिल्म रिलीज से रातोंरात रजनीकांत सुपरस्टार बन गए और उन्हें सुपरस्टार कहा जाने लगा।
70 के दशक के आखिर में रजनीकांत की कई फिल्में बैक-टु-बैक फ्लॉप हो गईं। फिल्में फ्लॉप होने से उदास रजनीकांत एक्टिंग हमेशा के लिए छोड़ना चाहते थे। उन्होंने नई फिल्में साइन करनी छोड़ दीं, वहीं कुछ डिस्ट्रीब्यूटर्स और डायरेक्टर्स ने कहा कि रजनी अब नहीं चलेंगे।
इसी बीच रजनीकांत को अमिताभ बच्चन की फिल्म डॉन की तमिल रीमेक फिल्म बिल्ला मिली। रजनीकांत, अमिताभ बच्चन को अपनी एक्टिंग इंस्पिरेशन मानते थे तो वो एक्टिंग छोड़ने के बावजूद फिल्मों में लौटने के लिए राजी हो गए।
1980 में रिलीज हुई बिल्ला में डॉन बनकर रजनीकांत ने वो कमाल कर दिया कि फिल्म 25 हफ्तों तक सिनेमाघरों से नहीं उतरी। फिल्म जबरदस्त हिट रही और रजनीकांत तमिल सिनेमा के सबसे कामयाब हीरो बन गए।
रजनीकांत ने शुरुआती 10 सालों में ही 100 फिल्में कर डालीं, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। बिल्ला के बाद रजनीकांत ने तमिल के टॉप एक्टर में वो जगह बनाई, जो आज भी कायम है। समय के साथ दमदार रोल, दरियादिली और स्टाइल से रजनीकांत के फैंस बढ़ते ही चले गए।
साल 1981 में रजनीकांत ने लता रंगाचारी से शादी की थी। रजनीकांत की लता से पहली मुलाकात तब हुई थी जब वो अपनी कॉलेज मैगजीन के लिए एक्टर का इंटरव्यू लेने पहुंची थीं। रजनी इंटरव्यू ले रही लता को पहली नजर में ही दिल दे बैठे थे, जिसके चलते दोनों ने शादी कर ली। लता, रजनी से 8 साल छोटी हैं। कपल की दो बेटियां सौंदर्या और ऐश्वर्या हैं।