सोशल मीडिया पर चल रही अफवाहों में बताया जा रहा है कि अगर मतदाता का नाम मतदाता सूची में नहीं मिलता है, तो वह आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र दिखाकर ‘चैलेंज वोट’ कर सकता है। किसी सीट पर ऐसे वोट 14% हो गए, तो वहां फिर से चुनाव करवाए जाएंगे। यह सच नहीं है। हकीकत यह है कि अगर वोटिंग लिस्ट में नाम नहीं है, तो वोट नहीं डाल सकते। चैलेंज वोट जैसी कोई चीज नहीं होती, केवल ‘चैलेंज्ड वोट’ होता है। इसमें पोलिंग एजेंट किसी मतदाता के वोट को चुनौती दे सकता है, लेकिन वह अलग प्रक्रिया है। इस विशेष रिपोर्ट में जानिए टेंडर वोट और इससे जुड़े प्रावधान, ताकि झूठा संदेश न फैले… कोई और आपका वोट डाल गया तो बैलेट पेपर पर डाल सकते हैं वोट
अगर आपका वोट कोई और डाल गया है, तो आप टेंडर वोट डाल सकते हैं। इसके लिए पीठासीन अधिकारी आपसे आपकी पहचान को लेकर कुछ सवाल पूछेंगे। सही जवाब देने पर आप वोट डाल सकेंगे, लेकिन ईवीएम से नहीं, बैलेट पेपर से। मतदाता को पहले एक फॉर्म भरना होता है। फिर उसे बैलेट पेपर दिया जाता है। वह अपनी पसंद के प्रत्याशी के नाम के आगे X (क्रॉस का निशान) बनाता है और मोड़कर इसे लौटाता है।
टेंडर वोट कोर्ट के आदेश पर ही गिना जाता है: केस नाथद्वारा चुनाव 2008
टेंडर वोट को मुख्य मतगणना में गिना नहीं जाता। इसे हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही गिना जा सकता है। कोई भी मतदाता (चाहे उसने वोट किया हो या नहीं) या प्रत्याशी कोर्ट में याचिका लगा सकते हैं।
राजस्थान के नाथद्वारा में 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सीपी जोशी (62215 वोट) को भाजपा के दिवंगत नेता कल्याण सिंह (62216 वोट) ने एक वोट से हराया था। जोशी ने टेंडर वोट की गणना की मांग की। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर टेंडर वोट गिने गए तो दोनों को बराबर 62214 वोट मिले। आखिरकार फैसला टॉस से हुआ और चौहान विजयी हुए।