अगस्त-सितंबर में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज को लेकर भारतीय बल्लेबाजों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। तब तक सूरज आ चुका होगा और पिचें सूखी होंगी और ऐसे में अगर जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्राड पहले सत्र में विकेट नहीं ले पाते हैं तो उन्हें अगले सत्र में भी विकेट लेने के लिए संघर्ष करना होगा।
एक अच्छी खबर यह आई है कि बीसीसीआइ के सचिव जय शाह ने इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड के साथ काउंटी क्लबों और इंग्लैंड लायंस के खिलाफ भारतीय खिलाडि़यों के लिए कुछ अभ्यास मैच कराने को लेकर बातचीत शुरू कर दी है। अगर ऐसा होता है तो भारतीयों को सीरीज से पहले अच्छा मैच अभ्यास मिल जाएगा।
इंट्रा-स्क्वाड (आपस में टीम बनाकर खेलना) मैच से वह प्रतिस्पर्धा नहीं मिल पाती है जिसकी उम्मीद की जाती है क्योंकि बल्लेबाज और गेंदबाज दोनों ही नेट्स पर पहले से ही एक-दूसरे का सामना करते हैं इसलिए ऐसे में शायद ही कोई प्रतिस्पर्धा मिले। इसके अलावा खिलाड़ी भी जानते हैं कि इन मैचों में प्रदर्शन से टीम में उनके स्थान पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वहीं, काउंटी आक्रमण के खिलाफ खेलने का मतलब है कि खिलाडि़यों के बारे में आकलन किया जा सकता है।
गेंदबाजों के लिए, काउंटी बल्लेबाजों को गेंदबाजी करने का मतलब होगा कि वे भी किसी चोट के डर के बिना गेंदबाजी कर सकते हैं क्योंकि इंट्रा-स्क्वाड मैच में उन्हें अपने ही बल्लेबाज के चोटिल होने का डर रहता होगा। काउंटी टीमों को भारतीय टीम के मैचों की मेजबानी करने में खुशी होगी क्योंकि भारतीय प्रशंसक भी अपने खिलाडि़यों को देखने के लिए मैदान पर आएंगे।
मौजूदा समय में दौरे इतने छोटे होते हैं कि तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में जब एक बार पहले टेस्ट के लिए अंतिम एकादश को चुन लिया जाता है तो शेष खिलाड़ी जानते हैं कि उन्हें शेष मैचों में खेलने का मौका नहीं मिल पाएगा, जब तक कि दूसरा खिलाड़ी चोटिल नहीं हो जाए, ऐसे में उनका हौसला टूट जाता है।
वरिष्ठ खिलाडि़यों के लिए स्थिति अलग है क्योंकि वे जानते हैं कि उनके असफल होने के बाद भी उन्हें मौके मिलेंगे। जूनियर्स जानते हैं कि वे ड्रिंक्स पिलाने जाएंगे और नेट्स अभ्यास ही उनके लिए एकमात्र क्रिकेट होगा। इंग्लैंड में गर्मियों की शुरुआत निराशाजनक हुई लेकिन, जब निराशा संकल्प को बढ़ावा देती है तब किस्मत बदल सकती है और इस प्रतिभाशाली टीम को इंग्लिश समर को भारतीय गर्मी में तब्दील करने की जरूरत है।