पाकिस्तान के बन्नु जिले में काउंटर टेररिज्म सेंटर (CTD) पर कब्जा करने वाले तहरीक-ए-तालिबान (TTP) के 33 आतंकियों को फौज ने मार गिराया है। डिफेंस मिनिस्टर ख्वाजा आसिफ ने संसद को यह जानकारी दी। ऑपरेशन में 2 कमांडो भी मारे गए हैं।
करीब तीन दिन से TTP के आतंकी एक मेजर समेत चार फौजियों को बंधक बनाए हुए थे। पाकिस्तान ने इस मसले को सुलझाने के लिए 16 मौलवियों की एक टीम अफगानिस्तान बातचीत के लिए भेजी थी। इनकी कोशिश यह थी कि अफगान तालिबान को इस बात के लिए तैयार किया जाए कि वो TTP आतंकियों को सरेंडर के लिए तैयार करे। ये कोशिश नाकाम साबित हुई।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि TTP के आतंकी अफगानिस्तान जाने के लिए हेलिकॉप्टर की मांग कर रहे थे। इसके बाद पाकिस्तानी फौज ने मिलिट्री ऑपरेशन किया जो 40 घंटों तक चला।
TTP के आतंकियों ने खैबर पख्तूनख्वा राज्य के बन्नु जिले में आतंकवाद विरोधी सेंटर पर कब्जा कर लिया था। चार फौजियों समेत कुछ लोगों को होस्टेज बना लिया था। एक की हत्या भी कर दी थी। हालात इतने खराब थे कि पाकिस्तान सरकार बंधकों को छुड़ा नहीं पा रही थी।
सिक्योरिटी फोर्सेस ने पूरी छावनी को चारों ओर से घेरा हुआ था। फौज और लोकल एडमिनिस्ट्रेशन बातचीत के जरिए बंधकों को छुड़ाने की कोशिश कर रहे थे। खैबर पख्तूनख्वा सरकार के प्रवक्ता मुहम्मद अली सैफ ने कहा था- आतंकियों ने सरकार के सामने एक शर्त रखी है, वो चाहते हैं कि सरकार उन्हें सुरक्षित तरीके से अफगानिस्तान जाने दे।
काउंटर टेररिज्म सेंटर पर TTP के कब्जे की शुरुआत एक आतंकी से पूछताछ के दौरान हुई। दरअसल, सेंटर में एक अधिकारी TTP के आतंकी से पूछताछ कर रहा था। उसी समय आतंकी ने उसके हाथ से एके 47 छीन ली और अपने साथी आतंकियों को रिहा करवा लिया। देखते ही देखते सभी आतंकियों ने पूरे सेंटर पर कब्जा कर लिया, अफसरों को बंदी बना लिया
सोशल मीडिया पर एक वीडियो सर्कुलेट हो रहा है जिसमें आतंकी धमकी दे रहे थे कि अगर उन्हें छोड़ा नहीं गया तो वो कैद में मौजूद सभी अधिकारियों को मार डालेंगे।
अमेरिका ने पाकिस्तान को TTP से लड़ने के लिए मदद ऑफर की थी। अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा- हम आतंकियों से मांग करते हैं कि वो तुरंत हिंसा रोकें और सभी कैदियों को रिहा करें।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच करीब 6 महीने से सीमा को लेकर जबरदस्त तनाव चल रहा है। पिछले दिनों तालिबान की फायरिंग में कई पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो चुकी है। इस तनाव को कम करने के लिए दो हफ्ते पहले पाकिस्तान की विदेश राज्यमंत्री हिना रब्बानी खार अफगानिस्तान गई थीं। उनके साथ फॉरेन और डिफेंस मिनिस्ट्री के अफसरों का एक डेलिगेशन भी था।
खास बात यह है कि महिलाओं को चारदीवारी और हिजाब में कैद रखने की हिमायती तालिबान हुकूमत के अफसर जब काबुल एयरपोर्ट पर हिना को रिसीव करने पहुंचे तो वो अपने पुराने ग्लैमरस अंदाज में थीं। हिजाब पहनना तो दूर उन्होंने सिर पर दुपट्टा भी नहीं डाला था। पाकिस्तान के कुछ मौलवियों ने हिना को अफगानिस्तान भेजे जाने का विरोध भी किया था।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान एक सीमा के जरिए अलग होते हैं। इसे डूरंड लाइन कहा जाता है। पाकिस्तान इसे बाउंड्री लाइन मानता है, लेकिन तालिबान का साफ कहना है कि पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वा राज्य उसका ही हिस्सा है। पाकिस्तानी सेना ने यहां कांटेदार तार से फेंसिंग की है।
15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान की सल्तनत पर तालिबान का कब्जा हो गया। उसने 5 दिन बाद ही यानी 20 अगस्त को साफ कर दिया कि पाकिस्तान को अफगानिस्तान का हिस्सा खाली करना होगा, क्योंकि तालिबान डूरंड लाइन को नहीं मानता।
पाकिस्तान ने इसका विरोध किया और वहां फौज तैनात कर दी। इसके बाद तालिबान ने वहां मौजूद पाकिस्तानी चेक पोस्ट्स को उड़ा दिया। इस इलाके में कई पाकिस्तानी फौजी मारे जा चुके हैं और कई तालिबान के कब्जे में हैं। पिछले हफ्ते ही तालिबान की फायरिंग में 6 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे।
तालिबान के दो मुख्य धड़े हैं। पहला : अफगान तालिबान। ये अफगानिस्तान की सरकार चला रहा है। दूसरा : तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान जिसे आम बोलचाल में TTP कहा जाता है। पाकिस्तान में होने वाले 90% आतंकी हमले TTP ही करता है। ये वहां अफगानिस्तान की तर्ज पर शरिया कानून लागू करना चाहता है। पाकिस्तानी फौज को सबसे बड़ा दुश्मन मानता है। अब अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत है और पाकिस्तान तालिबान इसका फायदा उठा रहा है।
आतंकवाद की फैक्ट्री कहे जाने वाले पाकिस्तान में अब तक जितने भी आतंकी संगठन हैं, उनमें तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान सबसे खतरनाक माना जाता है। इसी संगठन ने मलाला यूसुफजई पर हमले की जिम्मेदारी ली थी। इसी ने पेशावर में सैनिक स्कूल पर हमला करके 114 बच्चों को मार दिया था।
दरअसल, पाकिस्तानी तालिबान की जड़ें जमना उसी वक्त शुरू हो गई थीं, जब 2002 में अमेरिकी कार्रवाई के बाद अफगानिस्तान से भागकर कई आतंकी पाकिस्तान के कबाइली इलाकों में छुपे थे। इन आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई तो स्वात घाटी में पाकिस्तानी आर्मी की मुखालफत होने लगी। कबाइली इलाकों में कई विद्रोही गुट पनपने लगे।
ऐसे में दिसंबर 2007 को बेतुल्लाह महसूद की अगुआई में 13 गुटों ने एक तहरीक यानी अभियान में शामिल होने का फैसला किया, लिहाजा संगठन का नाम तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान रखा गया। शॉर्ट में इसे TTP या फिर पाकिस्तानी तालिबान भी कहा जाता है। यह अफगानिस्तान के तालिबान संगठन से अलग है, लेकिन इरादे करीब-करीब एक जैसे हैं। दोनों ही संगठन शरिया कानून लागू करना चाहते हैं।