अफगानिस्तान (Afghanistan)में तालिबान को मदद करने के बाद पाकिस्तान (Pakistan) अब वहां की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करना चाहता है. पाकिस्तान ने तालिबान (Taliban) के साथ पाकिस्तानी रुपये (Pak Currency) में द्विपक्षीय व्यापार करने का ऐलान किया. हालांकि, तालिबान ने पाकिस्तान का ऑफर ठुकरा दिया है. तालिबान ने कहा कि वो अपने हितों को देखते हुए फैसले लेंगे, क्योंकि ये उनके लिए सम्मान का सवाल भी है.
पाकिस्तान के केंद्रीय वित्त मंत्री शौकत तारिन ने गुरुवार को बताया कि उनकी सरकार ने अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तानी मुद्रा में व्यापार करने का फैसला किया है. तारिन ने कहा कि अफगानिस्तान के पास डॉलर्स की कमी है. इसलिए पाकिस्तान अपनी मुद्रा में ही व्यापार करेगा. तालिबान ने तीन दिन चुप रहने के बाद इसका जवाब दिया.
तालिबान नेता और अहमदउल्ला वासिक ने न्यूज एजेंसी से कहा- ‘हम साफ कर देना चाहते हैं कि आपसी कारोबार तो हमारी मुद्रा यानी अफगानीस में ही होगा. करेंसी को नहीं बदला जाएगा. हम अपनी पहचान का महत्व समझते हैं. इसे बनाए रखेंगे. इससे कोई समझौता नहीं किया जा सकता.’
शौकत तरीन ने पिछले हफ्ते कहा था- ‘अफगानिस्तान के पास अभी डॉलर्स की दिक्कत है. अमेरिका ने उसके 9 अरब डॉलर के फंड ब्लॉक कर दिए हैं. इसलिए यही बेहतर होगा कि अफगानिस्तान और हम मिलकर पाकिस्तानी रुपये में कारोबार करें. इसके लिए करेंसी बदलने का रास्ता अपनाया जा सकता है.’
अगस्त में पाकिस्तानी रुपये की कीमत एक डॉलर के मुकाबले 164 रुपये थी. अब यह लगभग 169 हो चुकी है. कुछ जानकारों का मानना है कि अफगानिस्तान से स्मगलिंग के जरिए काफी चीजें पाकिस्तान आती हैं और इसकी वजह से अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है.
तालिबान ने पाकिस्तान का ये ऑफर भी ठुकराया
कुछ दिन पहले पाकिस्तान ने काबुल एयरपोर्ट को फिर से तैयार करने और उसके ऑपरेशन्स शुरू करने का ऑफर दिया था. तालिबान ने ये ऑफर भी ठुकरा दिया है. तालिबान ने ये काम तुर्की और कतर को दे दिया है. इसके बाद पाकिस्तान ने तालिबान को एडमिनिस्ट्रेशन में मदद का प्रस्ताव दिया. तालिबान ने यह ऑफर ये कहते हुए ठुकरा दिया कि वो अपने हिसाब से काम करेगा.