सपा महासचिव पद से स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे की वजह से पार्टी के भीतर मची सियासी खींचतान को थामने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। पूर्व मंत्री राम गोविंद चौधरी ने स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को पत्र लिखा है। उन्होंने अखिलेश से मांग की है कि स्वामी प्रसाद मौर्य का इस्तीफा स्वीकार न किया जाए। हालांकि आगे क्या होगा, इस पर फैसला अखिलेश का ही होगा। राम गोविंद ने भी अपने पत्र में कहा है कि जो भी फैसला आप करेंगे, उसे मैं अपनी राय मानकर यह पत्र भूल जाऊंगा। वहीं, स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि गेंद अखिलेश के पाले में है। मैंने तो अभी केवल पार्टी महासचिव पद से इस्तीफा दिया है। जैसा निर्णय वह लेते हैं, उसके मुताबिक आगे फैसला होगा।
इस्तीफा देने के बाद बुधवार को स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि मैंने इस्तीफे से पहले अखिलेश यादव को सारी परिस्थितियां बता दी थीं। एक राष्ट्रीय महासचिव जो भी बोलता है, वह निजी बयान कह दिया जाता है और एक दूसरे राष्ट्रीय महासचिव जब कहते हैं कि यह मौर्य का निजी बयान है तो उनका बयान पार्टी का बयान हो जाता है। आखिर यह भेदभाव क्यों? अखिलेश यादव जानते हैं कि मेरा इशारा किसकी तरफ है, उन्हें सारी चीजों की जानकारी मैंने दी है। मौर्य ने कहा कि जो सनातन का अर्थ समझते हैं, वह मेरे लिए ऐसी बातें नहीं कर सकते हैं। पूजा-पाठ निजी मसला है और मुझे पार्टी दफ्तर में पूजा-पाठ की कोई सूचना नहीं थी। वैसे भी मैं लखनऊ में नहीं था। उन्होंने कहा कि टुच्चे विधायकों की बातों पर मुझे कुछ नहीं बोलना है, उनके किसी बयान से हमें कोई ऐतराज नहीं है।