सोनभद्र पहुंचे स्वामी प्रसाद मौर्य ने बागेश्वर धाम को लेकर भी बयान दिया है। सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि बागेश्वर बाबा अगर चमत्कारी बाबा हैं तो चीन को भस्म क्यों नहीं कर देते। चीन हमेशा बॉर्डर पर आ कर धमकी देता रहता है। इसके साथ ही सपा नेता ने कहा कि आज कल के बाबाओं को अपने जप और तप पर भरोसा नहीं है वह सिर व जीभ काटने की बात करते हैं अब बाबा नहीं आतंकवादी हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि रामचरितमानस मात्र एक महाकाव्य है ना कि कोई धार्मिक ग्रंथ, उसकी चौपाइयों में महिलाओं, दलितों पिछड़ों के प्रति भेदभाव किया गया है। इसके साथ ही उन्होंने बौद्ध धर्म को सबसे प्राचीन बताते हुए कहा कि हिंदू धर्म आचार्यों ने ही उन्हें वाल्मीकि रामायण की प्रति भेजी है। जिसमें बौद्ध धर्म का उल्लेख किया गया है। इससे साबित होता है कि बौद्ध धर्म सबसे प्राचीन है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने संघ प्रमुख मोहन भागवत पर निशाना साधा। बोले मोहन भागवत ने कहा जातियां ब्राह्मणों ने बनाई है। जो लोग मेरा सिर कलम करने के लिए इनाम दे रहे थे। अब मोहन भागवत का सिर कलम क्यों नहीं करते। जो खूनी हिंसक भेड़िए के रूप में साधु, महात्मा और धर्म आचार्य स्वामी प्रसाद का सिर काटने के लिए 51 लाख, 21 लाख और 11 लाख की सुपारी दे रहे थे। अब भागवत स्वयं बोल दिए हैं तो उनका सिर कलम करने, हाथ, नाक, कान काटने की बात वह लोग क्यों नहीं कर रहे हैं?
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने लखनऊ का नाम लखनपुर करने की भाजपा सांसद की मांग पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “लखनऊ का नाम लक्ष्मण की वजह से नहीं, बल्कि लखनऊ के राजा लखन पासी की पत्नी लखनावती के नाम पर पड़ा है। कोई दूसरा आकर कब्जा नहीं कर सकता। यदि बदलना ही है तो नया नाम लखनऊ पासी कर दो।” सपा नेता शनिवार को वाराणसी पहुंचे थे। इस दौरान बाबतपुर एयरपोर्ट पर पत्रकारों के सवाल पर ये बातें कही।
इसके बाद उन्होंने रविवार सुबह वाराणसी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। फिर स्वामी अपने काफिले के साथ मिर्जापुर के निकले। उनके स्वागत में टेंगरा मोड़ पर कुछ लड़के फूल-माला लेकर खड़े थे। उनको कार्यकर्ता समझ कर जब स्वामी का वाहन रुका, तो माला पहनाने की जगह उन पर स्याही फेंक दी गई।
मगर, स्याही स्वामी प्रसाद के बजाय उनकी कार पर पड़ी। लड़कों ने स्याही के साथ ही काले झंडे भी फेंके। पुलिस की लड़कों से हल्की झड़प भी हुई। इन दौरान हर-हर महादेव और जय श्री राम के नारे लगाए। लड़कों ने रामचरितमानस पर स्वामी की टिप्पणी का विरोध जताया। (पढ़ें पूरी खबर)
शनिवार शाम को वाराणसी एयरपोर्ट पर सपा नेता से जब मीडियाकर्मियों ने सवाल किया कि आपको लक्ष्मण के नाम पर क्या आपत्ति है? इस पर उन्होंने झल्लाकर कहा, ”अरे भाई जो जहां के नाम पर है उसी को लाओगे न। आपके घर पर कोई दूसरा कब्जा कर लेगा, तो आप क्या करोगे? लक्ष्मण यहां थे ही नहीं।”
भगवान लक्ष्मण की ये मूर्ति लखनऊ में एयरपोर्ट पर 6 फरवरी को लगाई गई। मूर्ति लगाए जाने के बाद प्रतापगढ़ से भाजपा सांसद संगम लाल ने लखनऊ का नाम बदलने की मांग की है।
उन्होंने आगे कहा,”लखनऊ में लक्ष्मण की मूर्ति आज लगी है। मूर्ति लगने से नाम बदल दोगे क्या? आज भी लखनऊ में लाखन पासी के किले के साक्ष्य विद्यमान हैं। लखनऊ का नाम लखन पासी नहीं कर पा रहे हैं, तो पासी समाज की गौरव ऊंदा देवी के नाम कर दो। जिन्होंने 1857 की क्रांति के दौरान लखनऊ में 36 अंग्रेजी सैनिकों को मार गिराया था।”
स्वामी प्रसाद ने आगे कहा,’देश के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ को गंगा-जमुनी तहजीब का केंद्र माना था। लखनऊ की संस्कृति हमारे देश की पहचान है। आज उन्हीं की पार्टी लखनऊ का नाम बदल रही है।”
उन्होंने आगे कहा, ”सही बात तो यह है कि बुद्ध कहते थे कि ‘असो धम्म: सनातन:’ यानी कि सबसे पुराना धर्म सनातन है। इससे पुराना कुछ भी नहीं। ईसा से 500 साल पहले बुद्ध, ईसाई, इस्लाम धर्म आया। इसके बाद तमाम धर्म पैदा होते रहे। हर कोई अपने-अपने धर्म को सनातन बोले। उन्होंने मदनी के बयानों का भी समर्थन किया, जिसमें बोला था कि मुस्लिम ही सनातन है।”
स्वामी प्रसाद ने इन्वेस्टर समिट पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा,”इन्वेस्टर समिट से पहले यह पूछा जाए कि रोजगार कितने लोगों को दिया। हमारा प्रदेश विकास के रास्ते पर आए, ये खुशी सबको होगी। लेकिन, कथनी और करनी में अंतर नहीं होना चाहिए। आपका काम जमीन पर दिखना भी चाहिए।”
“शुरुआती दौर में जब हम विश्वविद्यालय के छात्र होते थे तो निजी संपत्ति का राष्ट्रीयकरण किया जाता था। मगर, आज राष्ट्रीय संपत्ति का निजीकरण हो रहा है। देश के सारे बंदरगाह बिक गए। एयरपोर्ट, एयर इंडिया, रेलवे स्टेशन दे दिया। कई दर्जन ट्रेनें बेच दी। LIC, बैंक निजी हाथों में दे दिया। आखिर, ये कौन-सी सरकार है, जो नौजवानों को नौकरी देने के बजाय अडाणी-अंबानी को सब कुछ दिए जा रही है।”
स्वामी कहा कि रामचरितमानस के विवादित अंश को संशोधित किया जाए या प्रतिबंधित किया जाए। मैं आज भी उस बयान पर टिका हूं। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भी अवगत करा दिया गया है। स्वामी प्रसाद ने कहा कि आप लोगों को किसने बताया कि हमने रामचरितमानस का विरोध किया। एक चौपाई का विरोध करना रामचरितमानस का विरोध नहीं हुआ। हमने रामचरितमानस की कोई प्रति नहीं जलाई।
स्वामी प्रसाद ने कहा कि नारी की बात उठाने वाले कबीरदास हिंदू धर्म के सर्वेसर्वा नहीं थे। कबीर की बातों को हिंदू धर्म के रूप में लोग नहीं स्वीकारते। जो जिस धर्म को मानेगा, वह उसी की कमियों को इंगित कर सकता है। हम मुस्लिम नहीं, इसलिए उनकी कमियां नहीं उठा सकते। हमारे सारे सर्टिफिकेट में हिंदू है। मैं अभी भी हिंदू हूं।
सपा MLA राकेश प्रताप सिंह द्वारा विक्षिप्त कहे जाने पर स्वामी प्रसाद ने कहा कि जो लोग मुझे मेडिकल सर्टिफिकेट देते हुए विक्षिप्त कह रहे, हम उनको पागल ही मानते हैं। अधजल गगरी छलकत जाए… जिनको कुछ आता जाता नहीं है, ऐसे लोगों को पागल की कहेंगे। हमें समझ नहीं आता कि लोग डॉक्टर कैसे बन गए। वैसे भी हम किसी ऐरे-गैरे नत्थू खैरे की शिकायत नहीं करते।
स्वामी प्रसाद ने मनोज मुंतशिर को निशाने पर लिया। कहा कि मेरा सर्टिफिकेट देखना हो तो आप लोग यूनिवर्सिटी जाकर देख लीजिए कि मैं कितना पढ़ा-लिखा हूं। भागवत खुद ही कहते हैं कि जितने भी धर्म सभी हिंदू से निकले हैं। भागवत को तो सबसे गले मिलना चाहिए।।
मिर्जापुर के लिए निकलने से पहले स्वामी प्रसाद ने वाराणसी में रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस के विवादित अंश को संशोधित किया जाए या प्रतिबंधित किया जाए। मैं आज भी उस बयान पर टिका हूं। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भी अवगत करा दिया गया है। स्वामी प्रसाद ने कहा कि आप लोगों को किसने बताया कि हमने रामचरितमानस का विरोध किया। एक चौपाई का विरोध करना रामचरितमानस का विरोध नहीं हुआ। हमने रामचरितमानस की कोई प्रति नहीं जलाई।
लक्ष्मण की मूर्ति लगने के 24 घंटे बाद लखनऊ का नाम बदलने की मांग लखनऊ एयरपोर्ट पर भगवान लक्ष्मण की मूर्ति 6 फरवरी को लगी। मूर्ति लगने के 24 घंटे बाद 7 फरवरी 2023 को BJP सांसद संगम लाल ने पीएम, गृहमंत्री और सीएम के सामने लखनऊ का नाम बदलने की मांग रख दी। उन्होंने खत में लिखा, “उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ जिसे स्थानीय मानता के अनुसार त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने बतौर अयोध्या नरेश श्री लक्ष्मण को भेंट किया था और उसी कारण उसका नाम लखनपुर और लक्ष्मणपुर रखा गया था। लेकिन कलांतर में 18वीं सदी में नवाब आसिफुद्दौला ने उसका नाम परिवर्तन कर लखनऊ रख दिया था, उसी परंपरा में लखनऊ चला रहा है।”
बीजेपी सांसद केलेटर के बाद बहस छिड़ गई कि क्या लखनऊ का नाम लखनपुर किया जा सकता है? हालांकि, ये पहली बार नहीं है। बल्कि हर काल खंड में लखनऊ के नाम को बदलने को लेकर आवाज उठती रही है। किताब “हिस्टोरिक सिटी” लखनऊ में लिखा गया है कि त्रेतायुग में भगवान राम ने अयोध्या से 30 किलोमीटर दूर कौशल राज्य का एक हिस्सा अपने भाई लक्ष्मण को सौंपा। नाम रखा गया…लक्ष्मणपुरी। तब से लेकर 1290 ई. तक लखनऊ नाम जिक्र नहीं मिलता है। अब स्लाइड में लखनऊ का इतिहास जानते हैं, धार्मिक और राजनीतिक कारणों से इसके बदले गए नाम और विवादों के बारे में बताते हैं…