कृषि कानूनों की वापसी के बाद कांग्रेस सहित ज्यादातर विपक्षी पार्टियों के हौसले फिलहाल बुलंद हैं। यही कारण है कि अब वे निलंबित हुए 12 सांसदों की वापसी के मुद्दे पर अड़ने की तैयारी कर रहे हैं, वह भी अपनी शर्त पर। अगर ऐसा नहीं हुआ तो मानसून सत्र की तरह इस सत्र को भी बाधित किया जा सकता है। इसी खातिर मंगलवार को राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के कार्यालय में 16 विपक्षी दलों की बैठक हुई और लड़ाई जारी रखने पर सहमति बनी। अब तक सबसे आक्रामक दिखते रहे विपक्षी दल तृणमूल कांग्रेस की भी यही मंशा है, लेकिन वह कांग्रेस से अलग दिखना चाहती है। लिहाजा वह मंगलवार को भी कांग्रेस की बैठक से दूर रही और विपक्षी दलों के बायकाट के बावजूद सदन की कार्यवाही में हिस्सा भी लिया
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने निलंबित सांसदों के मुद्दे पर बुलाई गई इस बैठक में हिस्सा लिया। साथ ही कहा, ‘किस बात की माफी? संसद में जनता की बात उठाने की? बिल्कुल नहीं।’ बैठक में जो सहमति बनी, उसके बाद विपक्षी नेताओं ने राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू से मुलाकात की और सांसदों का निलंबन रद करने की मांग की। बात नहीं बनने पर विपक्षी सांसदों ने पहले राज्यसभा के भीतर हंगामा किया। बाद में सभी सांसदों ने सदन का बहिष्कार करते हुए संसद परिसर में मौजूद गांधी प्रतिमा के सामने धरना दिया और नारेबाजी की। निलंबित सांसदों ने आगे भी धरना जारी रखने का एलान किया।
इस बीच, मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभापति को एक चिट्टी लिखी है, जिसमें उन्होंने 12 सांसदों के निलंबन को गलत बताया और कहा कि संसदीय लोकतंत्र के हितों के मद्देनजर इनके निलंबन को वापस लिया जाना चाहिए। विपक्षी सांसदों के साथ गांधी प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन और धरने में शामिल हुईं शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने माफी मांगने से इन्कार किया और कहा कि जनता के मुद्दे उठाना व सरकार की गलत नीतियों का विरोध करना यदि अलोकतांत्रिक है, संसदीय नियमों के खिलाफ है तो उन्हें इस तरह के सौ निलंबन मंजूर हैं। बता दें कि निलंबित सांसदों में प्रियंका चतुर्वेदी भी शामिल हैं।