सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सपा सांसद आजम खान के बेटे अब्दुल्लाह आजम खान को राहत देते हुए विधायकी खत्म करने के आदेश को चुनौती देने वाली उसकी याचिका को फिर बहाल कर दिया है। शीर्ष अदालत अब मेरिट के आधार पर याचिका पर सुनवाई करेगी।
पिछले महीने वकील के गैरहाजिर रहने पर सुप्रीम ने याचिका खारिज कर दी थी
बीते 16 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के दौरान अब्दुल्लाह की पैरवी करने के लिए किसी वकील के मौजूद न होने के कारण याचिका को खारिज कर दिया था। जिसके बाद अब्दुल्लाह की ओर से आवेदन दाखिल कर याचिका की पुन: बहाल करने का आग्रह किया गया था। अब्दुल्लाह की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि 16 जनवरी को किसी दूसरी अदालत में व्यस्त होने के कारण वह पेश नहीं हो सके थे।
सिब्बल ने इसके लिए खेद व्यक्त किया। जिस पर पीठ ने कहा कि हमने काफी देर इंतजार भी किया, लेकिन न तो आप पेश हुए, न ही आपकी तरफ से कोई पेश हुआ। हालांकि पीठ ने सिब्बल के आग्रह को स्वीकार कर लिया और याचिका को पुन:बहाल कर दिया। शीर्ष अदालत दशहरा अवकाश के बाद इस याचिका पर सुनवाई करेगी।
20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया
पीठ ने आवेदन को तो स्वीकार कर लिया, लेकिन अब्दुल्लाह पर 20 हजार रुपए का जुर्माना किया है। जुर्माने की रकम सुप्रीम कोर्ट विधिक सेवा अथॉरिटी के खाते में जमा करने का निर्देश दिया गया है। मालूम हो कि वर्ष 2017 में हुए उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के वक्त 25 से कम उम्र होने के कारण हाईकोर्ट ने अब्दुल्लाह आजम खान को विधायक के तौर पर अयोग्य करार दिया था। स्वार विधानसभा से अब्दुल्लाह के विधानसभा का चुनाव लड़ना था और जीत हासिल की थी। दिसंबर 2019 में पारित उस आदेश में हाईकोर्ट ने अब्दुल्लाह आजम खान की उम्र को लेकर दस्तावेज में अनियमितता के कारण उसके चुनाव को शून्य करार दिया था। कोर्ट ने चुनाव के वक्त अब्दुल्लाह की उम्र 25 से कम पाई थी। हाईकोर्ट के इस फैसले को अब्दुल्लाह ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिस पर पिछले वर्ष 17 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया था।