सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) से सड़कों पर रहने वाले बच्चों के पुनर्वास पर स्थिति रिपोर्ट देने के लिए कहा है। इस बारे में शीर्ष अदालत ने आयोग से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा ऐसे बच्चों के पुनर्वास से संबंधित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के कार्यान्वयन की रिपोर्ट भी मांगी है। जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल(एएसजी) केएम नटराज को दो सप्ताह के भीतर विवरण प्रस्तुत करने को कहा है। जब एएसजी नटराज ने पीठ से कहा कि एसओपी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दे दी गई है तो पीठ ने कहा कि दो सप्ताह की अवधि के भीतर सड़कों पर रहने वाले बच्चों के पुनर्वास की स्थितियों पर भी एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की जाए।
2020 में तैयार किए गए एसओपी में एनसीपीसीआर ने सुझाव दिया था कि आयोग और जिला बाल संरक्षण तंत्र जैसे सांविधिक निकायों द्वारा टीमों का गठन कर सर्वेक्षण या अन्य साधनों के जरिए सड़कों पर रहने वाले बच्चों के बारे में जानकारी और डेटा जमा किया जा सकता है। शीर्ष अदालत चिल्ड्रन प्रोटेक्शन होम्स में कोविड -19 वायरस के संक्रमण के मामले में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही थी। शीर्ष अदालत में 15 नवंबर को मामले की फिर सुनवाई होगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले में दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल किया जाना चाहिए क्योंकि कोर्ट को पहले यह सूचित किया गया था कि मसौदा एसओपी राज्य सरकारों और सभी हाईकोर्ट को उनकी टिप्पणियों के लिए भेजा जाएगा। देश में सड़क पर रहने वाले बच्चों पर कोई आधिकारिक डेटा नहीं है और विभिन्न गैर सरकारी संगठनों द्वारा अनुमानित उनकी संख्या एक करोड़ 80 लाख तक हो सकती है।