सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के हाईकोर्ट में जजों के खाली पड़े पदों को लेकर नाराजगी जताते हुए सोमवार को केंद्र सरकार को फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने कहा कि जजों की नियुक्ति नहीं करके केंद्र ने लोकतंत्र के तीसरे स्तंभ (न्यायपालिका) को ठप कर दिया है, अगर यहीं रवैया जारी रहा तो प्रशासनिक कामकाज भी बाधित हो जाएगा।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा, सरकारी अथॉरिटी को यह समझना चाहिए कि इस तरह से काम नहीं चलेगा। आपने हद पार कर दी है। अगर आप न्यायिक व्यवस्था को ठप करना चाहते हैं तो आपकी व्यवस्था भी चौपट हो जाएगी। आप लोकतंत्र के तीसरे स्तंभ को रुकने नहीं दे सकते। पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान से कहा, न्यायाधीशों की भारी कमी है, लेकिन आप इसमें दिलचस्पी नहीं रखते। समय आ गया है कि आप इसे महसूस करें। जजों की नियुक्ति नहीं होती है तो अहम मामलों का जल्द निपटारा भी लगभग असंभव हो जाएगा। पीठ एंटी डंपिंग शुल्क मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ केंद्र द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी।
चीफ जस्टिस एनवी रमण ने शुक्रवार को ही न्यायाधिकरणों (ट्रिब्यूनल) के न्यायिक सदस्यों की नियुक्तियों में देरी पर केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की थी। चीफ जस्टिस ने तो सरकार से यह सवाल भी किया था कि वह ट्रिब्यूनल को जारी रखना चाहती है या बंद करना चाहती है।
अड़ियल रवैया अपना रहा केंद्र
शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति मामले में सरकार के अड़ियल रवैये पर सख्त नाराजगी दिखाई। कहा, कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिशों के बावजूद नियुक्ति नहीं हो रही है, जबकि न्यायिक आदेश के जरिये इसके लिए समयसीमा भी तय की गई है। इस पर माधवी दीवान ने कहा कि एंटी-डंपिंग के विशेषज्ञ निकाय के समक्ष देरी का कारण हाईकोर्ट में लंबित मामला हो सकता है। लेकिन पीठ ने इस दलील को खारिज कर दिया।