सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर में लगे प्रतिबंध को लेकर केंद्र को फटकार लगाते हुए पूछा है कि यह प्रतिबंध कब तक जारी रहेगा। अदालत ने सरकार से पूछा कि वह अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू कश्मीर में कब तक प्रतिबंध जारी रखने का इरादा रखे हुए हैं।
न्यायमूर्ति एनवी रमण की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीश की पीठ ने सरकार से पूछा कि आप कितने दिनों के लिए प्रतिबंध चाहते हैं? यह प्रतिबंध पहले से ही दो महीने से जारी है। उन्होंने कहा कि आपको स्पष्ट करना होगा और साथ ही आपको इस मामले में अन्य तरीकों का भी पता लगाना होगा।
न्यायामूर्ति एनवी रमण ने पूछा कि आप प्रतिबंध लगाए रख सकते हैं, लेकिन आपको अपने निर्णयों की समीक्षा करनी होगी। सरकार की ओर से पेश वकील और जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से जवाब में कहा गया कि 90 फीसदी प्रतिबंध हटा लिए गए हैं और इनकी रोजाना समीक्षा की जा रही है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से इंटरनेट सेवाओं पर लगाए गए प्रतिबंधों पर भी सवाल किया और कहा कि सरकार को लोगों को संवाद का यह माध्यम उपलब्ध कराना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के मद्देनजर जम्मू और कश्मीर में लोगों द्वारा न्यायपालिका की पहुंच पर अतिरिक्त रिपोर्ट दायर करने की अनुमति भी दी है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद द्वारा दायर याचिका, जिसमें उन्होंने अदालत से अपने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों मिलने की अनुमति की मांग की थी, पर भी सुप्रीम कोर्ट में पांच नवंबर को सुनवाई की जाएगी।
कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन की दलील की भी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में पांच नवंबर को की जाएगी। अपनी दलील में भसीन ने कहा था कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद घाटी में पत्रकारों को कामकाज में बाधा आ रही है।
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