रेलवे मैन के पत्रकार जगमोहन कुमावत के नाम से जाना जाता है सनी हिंदुजा को

सनी हिंदुजा, जिन्हें फैमिली मैन के मिलिंद हिंदुजा, एस्पिरेंट्स के संदीप भैया और रेलवे मैन के पत्रकार जगमोहन कुमावत के नाम से जाना जाता है। आज की स्ट्रगल स्टोरी में कहानी इन्हीं की है। इंदौर में जन्में सनी का बचपन सामान्य बीता, लेकिन फिल्मी सफर उतना ही कठिन। फिल्मों में आने से पहले उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, फिर FTII से जुड़े।
FTII में पढ़ाई कर ही रहे थे कि उन्हें सुभाष घई की फिल्म मिली, जो आज तक रिलीज नहीं हो पाई। इसके बाद 6-7 साल बिना काम के रहे। ऑडिशन देने जाते लेकिन NOT FIT का टैग और निराशा लिए वापस लौट आते। घर की हालत खराब होने पर कपड़े बेचने का भी काम किया। हालांकि, इतना सब कुछ फेस करने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। लंबे समय के बाद OTT पर सनी के लिए दरवाजा खुला और वो छा गए।
सनी का जन्म 25 नवंबर 1985 को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था। बचपन के दिनों के बारें में वो बताते हैं, ‘मेरी परवरिश इंदौर में हुई। मां-पापा दुबई में काम के सिलसिले में रहते थे। घर की जरूरतों और हम दोनों भाई को अच्छी एजुकेशन देने की चाहत में वो लोग 2BHK फ्लैट के हाल में सोते थे। बाकी दो कमरों को उन्होंने किराए पर दे रखा था। मां ने पापा का इस चीज में बहुत सपोर्ट किया था क्योंकि उन्हें भी पता था कि बच्चों की एजुकेशन सबसे जरूरी है।
उन्होंने ऐसा एक्स्ट्रा कमाई के लिए किया था। छुट्टियों में हम भी वहां जाते थे। तब तो हम चारों उसी हाॅल में सोते थे।
छोटे थे तो किसी बात का आभास नहीं था। मगर, बड़े होने पर पता चला कि मां-पापा ने हमारे लिए कितना कुछ किया है। उन्होंने हमेशा हमें ज्यादा ही दिया है।’
‘इंदौर ही वो जगह है, जिसने मुझे सिनेमा से प्यार करना सिखाया। फिल्में देखने का बहुत शौक था। उस दौर की ऐसी कोई नहीं फिल्म नहीं है, जो मैंने ना देखी हो। हिट या फ्लॉप की समझ नहीं थी। जैसे कोई फिल्म थिएटर में लगती, उसे देखने चला जाता था। उस दौर में रिलीज हुई अक्षय कुमार की सभी फिल्में देखी हैं। लोगों को उस वक्त स्पोर्ट्स से प्यार होता है, मैं तो बस फिल्मों में खोया रहता था।
हालांकि, इन चीजों का असर कभी पढ़ाई पर नहीं पड़ा। पापा और भाई ने कह रखा था- तुम सब कुछ करना, लेकिन इसका बुरा असर कभी पढ़ाई पर मत पड़ने देना।
उन दोनों की बात मान मैंने भी मन से पढ़ाई की। पापा चाहते थे कि मैं किसी एक स्पोर्ट्स में भी अच्छा रहूं। उनका यह कहना भी मान मैंने खुद को फुटबॉल के लिए तैयार किया। मैंने डाली कॉलेज मध्य प्रदेश से स्कूलिंग की है। इसके बाद मैंने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस से इंजीनियरिंग की है। ’
सनी के पापा सतराम दास हिंदुजा भी फिल्मों के बहुत शौकीन थे। उन्होंने सनी से पहले एक्टर बनने का ख्वाब देखा था। मगर, कुछ कारणवश ऐसा हो नहीं पाया। यही वजह रही कि उन्होंने बेटे के एक्टर बनने के फैसले पर हर वक्त सपोर्ट किया। इस बारे में सनी बताते हैं, ‘मुझे पापा के इस सपने के बारे में बहुत समय बाद पता चला। उन्होंने FTII का फॉर्म डाला था। किस्मत से उनका सिलेक्शन हो गया था और इंटरव्यू के लिए काॅल आया था, पर वो जा नहीं सके।
दरअसल, वो परिवार में इकलौते कमाने वाले थे और उस वक्त घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। नतीजतन, उन्हें एक्टर बनने का ख्वाब छोड़ना पड़ा।
फिर उन्होंने चाहा कि मेरे बड़े भैया एक्टर बन जाएं, पर इस फील्ड में रुचि नहीं होने की वजह से उन्होंने मना कर दिया। ये देख फिर पापा ने कभी मुझ पर एक्टर बनने का प्रेशर नहीं दिया। मगर, जब मैंने उन्हें बताया कि मैं एक्टर बनना चाहता हूं, तो उन्होंने खुशी-खुशी इस फैसला को सपोर्ट किया।
हालांकि, पापा की ख्वाहिश थी कि इस फील्ड में जाने से पहले मेरे पास कोई एक डिग्री जरूर हो। ऐसे में मैंने मन लगाकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।’
सनी ने FTII में बतौर थिएटर आर्टिस्ट काम किया है। इस सफर के बारे में वो कहते हैं, ‘मुझे FTII के बारे में बहुत पहले से पता था। शायद कुछ समय के लिए वहां पर एक्टिंग क्लास बंद हो गई थी। फिर कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि कहां से खुद को फिल्मों के लिए तैयार करूं। फिर एक दिन रणदीप हुड्डा का इंटरव्यू सुना, जिसमें उन्होंने कहा था- I Have Taught In FTII..
ये सुनने के बाद मालूम चला कि FTII में फिर से एक्टिंग कोर्स शुरू हो गया है। फिर मैंने एडमिशन के लिए एंट्रेंस दिया और नेहमत से सिलेक्शन भी हो गया। इस समय पापा और भाई ने बहुत सपोर्ट किया। हर कदम वो मेरे साथ खड़े रहे। FTII में सिलेक्शन की बात से पूरा परिवार खुश और इमोशनल था।’
सनी ने फिल्म साइकिल किक से एक्टिंग में डेब्यू किया था। इस फिल्म के बारे में वे कहते हैं, ‘FTII में आए 8-9 महीने हुए थे, तभी मुझे सुभाष घई की फिल्म साइकिल किक मिली। पहले तो मैंने फिल्म के लिए ना कर दिया था। लगा था कि अभी इसके लिए तैयार नहीं हूं। फिर एक्टिंग कोच कमलजीत पेंटल सर ने कहा- इतना अच्छा मौका कम लोग को ही मिलता है। तुम्हें इसे बिल्कुल नहीं छोड़ना चाहिए।
उनकी यह बात सुन मैं काम करने के लिए राजी हो गया। जब मैंने यह बात पापा को बताई, तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। प्रोड्यूसर में सुभाष घई का नाम सुन वो चौंक गए। हमने यह बातें फोन पर कीं, मगर दूर बैठ कर भी मैं उनकी खुशी महसूस कर सकता था। खुशी दुगनी इसलिए भी थी क्योंकि इस इंडस्ट्री में मेरा कोई गाॅडफादर नहीं था। FTII से जुड़े भी कम ही समय हुआ था कि इतना बड़ा प्रोजेक्ट मिल गया।
इस फिल्म में अपने काम को अब तक का बेस्ट काम मानता हूं। इसमें मैंने फुटबॉल प्लेयर का रोल निभाया था, जिसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी थी। बहुत वेट भी कम कर लिया था। एकदम एथलीट के जैसे बाॅडी बना ली थी। हालांकि, यह फिल्म कभी थिएटर में रिलीज नहीं हो पाई। इसे बस फिल्म फेस्टिवल्स में रिलीज किया गया था।
मेरी जगह कोई दूसरा शख्स होता, तो टूट जाता। मगर मैंने फिल्म को रिलीज या उसके कलेक्शन से नहीं आंका। इस फिल्म ने मुझे कमा कर कुछ नहीं दिया, पर इसने मुझे खुद पर भरोसा करना सिखाया। इस फिल्म को करने के बाद मुझे इस बात का आभास हो गया कि मैं लाइफ में कुछ भी कर सकता हूं।
इसे करने से पहले मैं खुद को दूसरों से कमतर समझता था। मुझे लगता था कि मैं इस फिल्म के लिए परफेक्ट च्वाइस नहीं हूं। मगर, इसे करने के बाद मेरी सारी गलतफहमी दूर हो गई।’
इस फिल्म की शूटिंग के बाद के दिनों के बारे में सनी कहते हैं, ‘इस फिल्म की शूटिंग के बाद मैं वापस FTII आ गया था और अपना कोर्स पूरा किया। इसके बाद मुंबई जाना हुआ। 6-7 फिल्मों में काम किया, लेकिन अधिकतर फिल्में रिलीज नहीं हो पाईं।
जैसे-तैसे मैं खुद को इन चीजों से संभाल रहा था, लेकिन पेरेंट्स के लिए यह सब देख पाना मुश्किल था। उनके पूछने पर मैंने उन्हें सांत्वना में कहता था- पापा-मम्मी मेरे काम बहुत अच्छा चल रहा है। कह तो देता था, पर काम चलता ही कहां था। हमारे फील्ड में काम चलने का मतलब पर्दे पर दिखना होता है, लेकिन मैं कहीं भी पर्दे पर नहीं दिख रहा था।
पेरेंट्स की चिंता दूर करने के लिए मैंने उनसे खर्च लेना ही बंद कर दिया, जिससे उन्हें यकीन हो जाए कि मेरा काम बढ़िया चल रहा है।’
‘इस वक्त मेरी शादी हो चुकी थी। इस बुरे दौर में पत्नी शिंजिनी ने बहुत सपोर्ट किया। हालत ऐसे हो जाते थे कि अगले महीने का रेंट भी चुका पाना मुश्किल हो जाता था। अकाउंट में सिर्फ 400 रुपए रहते थे और रेंट करीब 30 हजार रुपए। हालांकि, खुशी के जैसे ही हम पति-पत्नी दुख को भी सेलिब्रेट करते थे। शिंजिनी कहती थी- जब हम 400 रुपए में पिज्जा खाकर खुशी सेलिब्रेट करते हैं, तो दुख को भी सेलिब्रेट करना चाहिए।
इस बुरे वक्त में कुछ चीजें अच्छी भी हो जाती थीं। कभी 1 तारीख को ही TDS का पैसा आ जाता था, जिससे घर का किराया चुका देता था। कभी कोई ऐड फिल्म मिल जाती थी, जिससे भी घर का रेंट भर देता था। कभी-कभी कम पैसे मिलने पर ऐड फिल्म को ना कर देता था, फिर पत्नी के समझाने पर काम करता था, जिससे गुजारा होता था।
इस दौरान छोटे-मोटे रोल करके मैंने गुजर बसर किया। छोटे रोल इसलिए करता था, ताकि किसी को पता भी ना चले और पोर्टफोलियो भी ना खराब हो। कभी टीवी शो में साइड रोल कर लेता, तो कभी सावधान इंडिया में। मतलब गुजारे के लिए जो मिलता गया, वो सब मैंने किया।’
‘एक वक्त ऐसा भी आया था कि मेरे पास बिल्कुल भी काम नहीं था। ऐसा करीब 5 से 6 साल तक चला। कमाई का कोई जरिया नहीं था। तब पता नहीं कैसे शिंजू (पत्नी) को कपड़े डिजाइनिंग का काम मिल गया। इसके बाद हम कपड़े को एग्जीबिशन में जाकर बेचते थे। इस काम में भी काफी एक्सपर्ट हो गया था। फिर इन्हीं पैसों से घर खर्च चलता था।’
खराब हालत देख कर पापा कहते- इंजीनियर हो, दुबई कमाने चले जाओ
ये सारी बातें सनी हंसते हुए कह रहे थे, लेकिन उनकी आंखों में दर्द साफ दिखाई दे रहा था। उनसे सवाल भी पूछा कि एक्टर बनने का सपना देखने वाले सनी के लिए यह सब कितना मुश्किल था। जवाब में उन्होंने कहा, ‘मैंने इस काम को कम नहीं आका। हां, पेरेंट्स जरूर दुखी थे कि मैं यह सब क्यों कर रहा हूं। पापा कहते थे- तुम इंजीनियर हो, दुबई चले जाओ। हम सब संभाल लेंगे, पर भाई हमेशा सपोर्ट में रहा।’
‘इस दौरान बस भगवान से मनाता था कि मुझे एक्टिंग में काम मिल जाए। मरते दम ये काम करने के लिए तैयार हूं। बहुत ऑडिशन देता था, लेकिन सिर्फ निराशा ही हाथ लगती थी। शिंजू से कहता था- यार सब तो कर रहा हूं, फिर क्यों काम नहीं मिल रहा है।
लाइफ का यह सबसे खराब पल था। शायद इससे खराब कुछ और नहीं हो सकता था। मन इतना भर जाता था कि अकेले में रोता था। वैसे रोने में कोई बुराई नहीं है, बल्कि इस वक्त खुद से किया वादा ही आपको आगे ले जाता है। इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी मैंने हार नहीं मानी। धीरे-धीरे पता नहीं कब भगवान ने OTT का रास्ता खोला और मैं यहां पहुंच गया।’
2021 में एस्पिरेंट्स सीरीज स्ट्रीम हुई थी। इस सीरीज में सनी ने संदीप नाम के शख्स का रोल निभाया था, जो बाद में सबका संदीप भैया बन गया। इस रोल के बारे में सनी कहते हैं, ‘जब यह रोल ऑफर हुआ तो बिल्कुल आभास नहीं था कि यह मेरे करियर में टर्निंग प्वाइंट लाएगा। इसी से मुझे इतना ज्यादा प्यार मिलेगा। इसके लिए मुझे अवाॅर्ड भी मिला। अवॉर्ड रिसीव करते वक्त भी मैंने कहा था- ये तो वो सपना था, जिसे मैंने देखा भी नहीं था।
इसे तो मैं भगवान की नेहमत के तौर पर देखता हूं कि उन्होंने संघर्ष का इतना खूबसूरत इनाम दिया। साथ ही लोगों की मोहब्बत ने भी इसे बड़ा बना दिया।
अपकमिंग प्रोजेक्ट्स के बारे में सनी ने कहा- आने वाले समय में एक फिल्म रिलीज होने वाली है। उसकी अनाउंसमेंट मेकर्स की तरफ से जल्द होने वाली है।’