नई दिल्ली स्थित भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के छात्र किफायती शुल्क ढांचे की मांग को लेकर मंगलवार को भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं.
एक बयान में बताया गया, ‘पिछले साल दिसंबर में प्रशासन ने एक समिति बनाने की घोषणा की थी जो शुल्क के मुद्दे पर दो मार्च तक अपनी सिफारिशें देने वाली थी, हालांकि उन्होंने 10 फरवरी को शुल्क जमा करने के लिए नया सर्कुलर जारी कर दिया. छात्र प्रशासन के इस रवैये से नाराज हैं और उन्होंने किफायती शुल्क ढांचे की मांग करते हुए भूख हड़ताल पर जाने का फैसला किया है.’
छात्रों की प्रमुख मांगों में 10 फरवरी को जारी फीस जमा करने के सर्कुलर को रद्द करने और छात्रों का निलंबन वापस लेने की बात कही गयी है.
भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा, ‘छात्रों ने पिछले साल दिसंबर में आईआईएमसी प्रशासन के खिलाफ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की घोषणा की थी. हालांकि प्रशासन द्वारा उनकी मांगों पर सहमति जताने के बाद उन्होंने अपनी भूख हड़ताल वापस ले ली थी.’
विज्ञप्ति में कहा गया, ‘चूंकि फीस के ढांचे में कोई संशोधन या समीक्षा नहीं की गई है, इसलिए शुल्क जमा करने के लिए जारी किया गया नया सर्कुलर छात्रों के साथ विश्वासघात के रूप में देखा जा रहा है. इसके साथ ही प्रशासन द्वारा लगातार छात्रों की आवाज को दबाने का प्रयास हुए हैं. अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने के कारणों पर स्पष्टीकरण दिए बिना नौ छात्रों के निलंबन को चार दिन के लिए बढ़ा दिया गया.’
आईआईएमसी की अंग्रेजी पत्रकारिता की छात्रा आस्था सब्यसाची ने बताया, ‘बिना किसी संशोधन या समीक्षा के फीस जमा करने का नया सर्कुलर ठीक उसी दिन जारी किया गया जब 11 छात्रों को निलंबित किया गया. उन्होंने हमारे साथ धोखा किया. इस संबंध में हमने उनसे स्पष्टीकरण मांगा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हमने फैकल्टी-स्टूडेंट ग्रीवेंस कमिटी की आपात बैठक बुलाने का भी सुझाव दिया लेकिन अभी तक ऐसी कोई बैठक नहीं बुलाई गई. 17 फरवरी को हमने सूचना दी कि अगर 18 फरवरी की सुबह 10 बजे तक हमारी मांगे नहीं मानी जाती हैं तो हम भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे. प्रशासन ने इसको भी नजरअंदाज कर दिया. कोई विकल्प न देखते हुए हम आज (18 फरवरी) से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर रहे हैं.’
आईआईएमसी के अन्य छात्र हामिद का कहना है कि प्रशासन ने हमारी जायज मांग और कार्यकारिणी समिति के निर्देश को न मानकर हमें धोखा दिया है. हम अपने साथ हो अत्याचार को कतई बर्दाश्त नहीं कर सकते.
बता दें कि बीते 9 फरवरी को कैंपस में सस्ती शिक्षा पर चर्चा आयोजित कर रहे 11 छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए निलंबित कर दिया गया था. नोटिस में प्रशासन ने कहा था कि संकाय सदस्यों और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा बार-बार परामर्श देने के बाद भी परिसर में ‘छात्रों की तरफ से अनुशासनहीनता’ हुई.