एक अच्छा टीचर वो होता है, जो छात्रों को अच्छी तरह पढ़ा सके और ज़रूरत पड़ने पर अपनी आवाज़ तेज़ भी कर सके. अब इसका मतलब ये नहीं है कि क्लास में शिक्षक चिल्ला-चिल्लाकर बात करे. इंग्लैंड के एक्सेटर यूनिवर्सिटी की एक शिक्षिका को अपनी नौकरी से सिर्फ इसलिए हाथ धोना पड़ा, क्योंकि वो छात्रों से तेज़ आवाज़ में बात करती थी.
डॉक्टर एनेट प्लॉट नाम की 59 साल की शिक्षिका ब्रिटेन की एक्सेटर यूनिवर्सिटी में पिछले 29 साल से पढ़ा रही थीं. फिजिक्स विषय की टीचर को अचानक ही उनकी नौकरी से निकाल दिया गया था. इस मामले में उन्होंने कोर्ट जाकर यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ शिकायत कर दी कि उन्हें इसलिए नौकरी से निकाला गया है क्योंकि वो क्लास में चिल्ला-चिल्लाकर पढ़ाती थीं.
क्या है शिक्षिका की शिकायत
29 साल से फिजिक्स टीचर की नौकरी कर रहीं डॉक्टर एनेट प्लॉट का दावा है कि उनकी यूनिवर्सिटी ने उन्हें नौकरी से सिर्फ इसलिए निकाल दिया क्योंकि उनकी आवाज़ तेज़ थी. हालांकि यूनिवर्सिटी ने अपने बचाव में कहा है कि उन्होंने शिक्षिका को तेज़ आवाज़ की वजह से नहीं बल्कि पीएचडी के दो छात्रों के साथ बुरा बर्ताव था. उनको नौकरी से निकालने की वजह न तो बैकग्राउंड और न ही उनका महिला होना है. वे तनाव से निपटने की दवाएं ले रही थीं. वहीं टीचर का दावा है कि उनकी आवाज़ कुदरती तौर पर बहुत तेज़ है और वे नहीं समझ पातीं कि कब वो ज्यादा लाउड हो जाती हैं. उनका दावा है कि न्यूयॉर्क और जर्मनी में भी वो नौकरी कर चुकी हैं, लेकिन कभी इस तरह की शिकायत उनके खिलाफ नहीं आई.
कोर्ट ने दिलवाया 1 करोड़ का मुआवज़ा
डॉक्टर एनेट को नौकरी से निकालने से पहले 2 बार सस्पेंड किया जा चुका था. उनका कहना है उन्हें इसी की वजह से तनाव और डिप्रेशन हुआ था. वे हर हाल में अपनी नौकरी वापस पाना चाहती हैं. कोर्ट ने नकी दलील को मानते हुए इस मामले पर 17 जनवरी को फैसला देते हुए उन्हें 1 करोड़ रुपये का मुआवज़ा देने का आदेश सुनाया. कोर्ट ने इस मामले में यूनिवर्सिटी को फटकार भी लगाई है. हालांकि यूनिवर्सिटी का कहना है कि वो मामले में फिर से अपील करेगी.