अजब गजब : ‘मौत’ के 1 साल बाद शख्स को हो गया कोरोना, अस्पताल से लेकर पुलिस तक के उड़ गए होश!’मौत’ के 1 साल बाद शख्स को हो गया कोरोना, अस्पताल से लेकर पुलिस तक के उड़ गए होश!

निकोलस रॉसी को मौत के बाद कोरोना ने अपनी चपेट में लिया तो हर कोई हरकत में आ गया. दरअसल निकोलस जिसकी 2020 में कोविड से मौत हो गई थी उसे अब फिर से कोरोना हो गया. जिसके बाद वो ज़िंदा हो गया. पता चला की उसे मौत के बाद एक बार फिर कोरोनावायरस ने अपनी चपेट में ले लिया है. ये खबर बेहद चौंकाने वाली थी. लिहाज़ा मृतक को देखने के लिए एक टीम वहां पहुंची जिसके होश उड़ गए. बेहद हैरान करने वाली घटना स्कॉटलैंड की है.

कोरोना महामारी ने जिस तरह पूरी दुनिया में तबाही मचाई उसने न सिर्फ कई परिवारों की खुशियां छीनी बल्कि बड़े-बड़े स्टार-सुपरस्टार यहां तक की हर देश की आर्थिक स्थिति भी चरमरा गई. इस आपदा में रोजी-रोटी का संकट खड़ा हुआ तो हमारे प्रधानमंत्री ने ‘आपदा में अवसर’ तलाशने की सलाह दी जिसने कई लोगों की ज़िंदगी बदल दी. मगर भारत के PM की सलाह का असर मीलों दूर स्कॉटलैंड में भी होगा किसी ने नहीं सोचा था. निकोलस रॉसी ने भी आपदा को अवसर में बदलकर खुद को कानून की सज़ा सा बचा लिया.

पुलिस से बचने के लिए बन गया मुर्दा
जिस निकोलस रॉसी को एक बार मरने से पहले, एक बार मरने के बाद यानि दो-दो बार कोविड ने अपनी चपेट लिया था. वो साल भर तक मौत के आगोश में रहा और जब फिर कोरोना ने जकड़ा तो वो जी उठा. दरअसल उसने ये सारी कहानी पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए बुनी थी. 2020 में परिवार की तरफ ये जानकारी दी गई की उन्हें कोरोना हो गया था जिससे उनकी मौत हो गई. पुलिस ने भी उसे मरा मानकर तलाश छोड़ दी. हालांकि खुद रॉसी के वकील को इस बात पर भरोसा नहीं था. मगर पत्नी की बात पर सवाल करना उसे ठीक नहीं लगा तो वो भी सहमत हो गया.

यौन उत्पीड़न मामले से बचने के लिए साज़िश
निकोलस रॉसी USA में 2008 में यौन उत्पीड़न और 2018 में एक हमले के मामले में वांछित था. पुलिस उस तक पहुंच पाती उससे पहले ही उसने फरवरी 2020 में कोविड से मौत का फर्जीवाड़ा रच डाला. लेकिन उसकी ये चाल तब बेनकाब हो गई जब उसके ग्लासगो में होने की खबर मिली. यहां वो आर्थर नाइट के नाम से रह रहा था और एक अस्पताल में कोरोना का इलाज करवा रहा था. फिलहाल निकोलस रॉसी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. यूटा काउंटी अटॉर्नी कार्यालय रॉसी को वापस यूटा में प्रत्यर्पण के लिए संघीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ काम कर रहा है. उसके खिलाफ पुलिस के पास फिंगर प्रिंट और DNA के काफी सबूत भी मौजूद हैं. सोशल नेटवर्किंग की दुनियां में जहां सब कुछ आपकी मुट्ठी में है वहां पहचान छुपाकर लंबे समय तक रहना मुमकिन नहीं होता.