SRK का 300 लोगों ने एक साथ आइकॉनिक पोज, शाहरुख तपती धूप में बाहर निकले

शाहरुख खान शनिवार को अपने बंगले मन्नत की बालकनी पर आए। इतनी तपती धूप में फैंस हजारों की संख्या में शाहरुख के बंगले के बाहर इकट्ठा हुए थे। इस दौरान एक अनोखा रिकॉर्ड बना।

दरअसल 18 जून को शाहरुख की फिल्म पठान का वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर होने जा रहा है। इस दौरान करीब 300 फैंस ने चैनल के LOGO वाले टी-शर्ट पहनकर शाहरुख का आइकॉनिक हाथ फैलाने वाला पोज दिया।
शाहरुख खान का आइकॉनिक पोज कौन भूल सकता है। अब इस पोज को फैंस ने एक साथ एक वक्त पर अंजाम देकर रिकॉर्ड बना दिया है। दरअसल पठान के वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर को सेलिब्रेट करने के लिए शाहरुख के घर के बाहर फैंस का जमावड़ा लगा था।
जिस चैनल पर फिल्म आने वाली है, उस चैनल के नाम वाले LOGO का टीशर्ट पहन सभी फैंस मन्नत के बाहर जमे थे। उन्हें सरप्राइज तब मिला, जब शाहरुख खान खुद तपती दोपहरी में अपनी टैरेस की बालकनी में आए। वे बाहर आए और उन्होंने अपना आइकाॅनिक पोज भी दिया। शाहरुख के हाथ फैलाते ही फैंस की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
अपने चहेते स्टार के लिए फैंस की इस कदर की दीवानगी कम ही देखने को मिलती है। ये सभी फैंस एक साथ एक वक्त पर हाथ फैलाने वाला पोज दे रहे हैं।
फैंस के इस जेस्चर ने एक रिकॉर्ड का रूप ले लिया, जो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया।
1000 करोड़ रुपए का वर्ल्डवाइड कलेक्शन करने के बाद पठान अब रूस में भी रिलीज होने को तैयार है। फिल्म वहां 3000 स्क्रीन्स पर रिलीज होगी। ये पहली भारतीय फिल्म है जो रूस में इतने ज्यादा स्क्रीन्स पर रिलीज हो रही है। रूस में पठान 13 जुलाई को रिलीज होगी।
पहले पठान 12 मई को बांग्लादेश में भी रिलीज हुई थी। बांग्लादेश की सरकार ने नियमों में बदलाव कर फिल्म को रिलीज करने की अनुमति दी थी। बांग्लादेश की सरकार ने फैसला किया कि अब से हर साल 10 विदेशी फिल्मों को कॉमर्शियली रिलीज किया जाएगा। पठान के पहले 2009 में सलमान खान की फिल्म वांटेड भी बांग्लादेश में रिलीज हुई थी।
उस वक्त बांग्लादेश की सरकार ने नियम में कुछ ढील दी थी। हालांकि एक लोकल सिनेमा संगठन ने फिल्म की रिलीज को लेकर विरोध कर दिया। तब वांटेड को उन 50 थिएटर्स से हटा लिया गया, जिनमें वो एक हफ्ते से चल रही थी। बांग्लादेश की सरकार ने आजादी के बाद ही ये फैसला किया कि वो कोई भी विदेशी फिल्म अपने देश में नहीं चलने नहीं देंगे। सरकार के फैसले का पीछे ये तर्क था कि इस फैसले से वहां की लोकल फिल्मों को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि ये फैसला उल्टा पड़ गया।

वहां पर ऐसी फिल्में बनती ही नहीं हैं जो ऑडियंस को एंटरटेन कर पाए। वहां अधिकतर सिनेमा हॉल मालिक अपने थिएटर को शापिंग सेंटर या अपार्टमेंट में तब्दील कर चुके हैं।