कोरोना के एरोसोल फैलाव को रोकने के लिए संसद में विशेष तकनीक का किया जाएगा प्रयोग

संसद सत्र के दौरान सदस्यों को कोरोना संक्रमण की मार से बचाने के लिए विशेष यूवी-सी तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। अगामी19 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में कोरोना के एयरबोर्न ट्रांसमिशन के शमन के लिए एक विशेष तकनीक संसद के केंद्रीय कक्ष, लोकसभा कक्ष और कमेटी कक्षों 62 और 63 में प्रयोग में लाई जाएगी।

अल्ट्रावायलेट किरणों पर आधारित- यूवी कीटाणुनाशक नाशक तकनीक हवा में कोरोना संक्रमण  की रोकथाम करेगी। मंगलवार को केंद्रीय साइंस और तकनीकी राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार जितेंद्र सिंह ने इस संदर्भ में एक वर्चुअल बैठक के बाद यह जानकारी साझा की। उन्होंने वैज्ञानिकों के साथ इस तकनीक और उससे संबंधित तौर-तरीकों पर चर्चा की।

   
 केंद्रीय मंत्री ने कहा पीएम नरेंद्र मोदी इस तरह के प्रयोगों को लेकर अत्याधिक उत्सुक रहते हैं, लिहाजा वैज्ञानिकों को उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना चाहिए। यूवी आधारित कीटाणुनाशक तकनीक  को  वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-सीएसआईआर, केंद्रीय साइंस और तकनीकी मंत्रालय से संबंद्धित द्वारा हाल ही में विकसित किया गया है।  

देश भर के वैज्ञानिकों के साथ चर्चा कर रहे  विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा सीएसआईआर ने अपनी श्रेष्ठता सदैव सिद्ध की है। उसकी  यह तकनीक हवा में कोरोना के संक्रमण को रोकने में काफी कारगर है।  इसलिए इसे संसद के सेंट्रल हॉल, लोकसभा चेंबर और कमेटी कक्षा 62 और 63 में स्थापित  किया जाएगा, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने सांसदों और संसद भवन में आने वालों को सलाह दी है कि वह कोरोना संक्रमण  से बचाव के लिए फेस मास्क और कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती के साथ पालन करते हुए दो गज की दूरी बनाए रखे।        
 
सीएसआइआर- सीएसआईओ का यूपीसी एयर डक्ट डिसइन्फेक्शन सिस्टम  काफी प्रभावी कीटाणु शोधन प्रणाली है। इसका प्रयोग बड़े सभागारों, सम्मेलन कक्ष, कक्षाओं और मॉल आदि में किया जा सकता है। यह बड़े भवनों और वाहनों में भी प्रयुक्त हो सकती है।यह विशेष विधि द्वारा यूवी प्रकाश का प्रयोग करके हवा में मौजूद  संक्त्रस्मण के कीटाणु को रोकती है। इतना ही नहीं यह कोरोना संक्त्रस्मण को निष्क्त्रिस्य करने के लिए खासी मुफीद प्रौद्योगिकी है।  यह यूवी- प्रकाश की मदद से वायरस, बैक्टीरिया, कवक और अन्य जैव-एरोसोल को निष्क्रिय करता है। इसमें यह 254एन एम यूवी प्रकाश का  प्रयोग करके उच्च क्षमता के साथ एरोसोल को निष्क्रिय करता है।

यूवी सी प्रणाली 99 प्रतिशत से ज्यादा वायरस, बैक्टीरिया, कवक और अन्य जैव-एरोसोल को  254 एनएम यूवी प्रकाश का प्रयोग करके उपयुक्त खुराक के साथ निष्क्रिय करने में सक्षम है। इसका सफल प्रयोग हैदराबाद और चंडीगढ़ में किया जा रहा है।इतना ही नहीं यूवीसी का उपयोग करके महामारी की वर्तमान लहर के दौरान पाए जा रहे फंगल संक्रमण को भी कम करने के लिए भी किया जा सकता है। इस तकनीक को सीएसआईआर-सीएसआईओ में फैब्रियोनिक्स डिवीजन द्वारा तकनीकी वैज्ञानिक हैरी गर्ग के नेतृत्व में विकसित किया गया था।