लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि महात्मा गांधी की विरासत के बहाने अपनी सियासत चमकाने में भाजपा ने सभी नैतिक मूल्यों को तिलांजलि दे दी है। उन्होंने कहा कि गांधी जी का सम्पूर्ण जीवन सत्य-अहिंसा के लिए प्रतिबद्ध रहा। सादगी उनके जीवन का अंग थी।
अखिलेश यादव ने कहा कि गांधी जी अपने विरोधी के प्रति भी प्रेमभाव रखते थे लेकिन भाजपा और उसके मातृ संगठन की तो पूरी राजनीति ही नफरत और साम्प्रदायिकता पर आधारित है। उन्होंने कहा कि गांधी जी हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए जीवन भर प्रयासशील रहे। भाजपा सरकार दिल्ली से लखनऊ तक विपक्ष को अपमानित करने के लिए बदले की भावना से कार्रवाई करती है। यह लोकतांत्रिक नैतिकता के विरुद्ध है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि गांधी जी की 150वीं जयंती पर भाजपा गांधी जी के स्वदेशी व्रत पर निर्मम प्रहार निजीकरण को बढ़ावा देकर कर रही है। उन्होंने कहा कि अभी कल तक ही गांधी जी का नाम जपने वालों ने आज ही देश की पहली कारपोरेट ट्रेन तेजस को हरी झंडी दिखाकर साबित कर दिया है कि उनकी प्राथमिकता में गांव-गरीब नहीं लग्जरी जिंदगी जीने वाले पूंजी घरानों को खुशियां देना है। भाजपा निजीकरण को बढ़ावा देकर आरक्षण और सामाजिक न्याय के विरोध की राजनीति कर रही है।
अखिलेश ने भाजपा सरकार से सवाल किया है कि बिजली, पानी, सड़क और जीवनरक्षा के लिए बेहाल उत्तर प्रदेश को मंहगी तेजस या बुलेट टेªन की जरूरत क्या है? आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे समाजवादी सरकार में बनी जिससे 05:30 घंटे में ही दिल्ली तक रास्ता तय हो जाता है। शताब्दी ट्रेन से केवल 25 मिनट समय बचाने के लिए एक कारपोरेट ट्रेन चला दी गई है और शताब्दी ट्रेन से ज्यादा किराया बढ़ा दिया गया। यह कर्मचारियों के हितों के भी खिलाफ है। गाजियाबाद में रेल कर्मचारियों ने इसे रोक कर अपना विरोध जताया। समाजवादी पार्टी मानती है कि विकास की आड़ में देश की संपदा बेचना एक आत्मघाती कदम हैं।
उन्होंने कहा कि स्वदेशी धारा को जितना आघात भाजपा शासन में मिला है, वह गांधी जी को न जानने वाला ही कर सकता है। विदेशों से आयात बढ़ता जा रहा है। हमारे देश के उद्योग धंधे बंद होते जा रहे है। नोटबंदी-जीएसटी ने लघु मध्यम उद्योगों को तो खत्म किया ही बड़ी कम्पनियों में भी नौकरियों में छंटनी करा दी। बेरोजगारी सुरसा के मुंह की तरह बढ़ रही है। भाजपा सरकार में हर क्षेत्र में भारत वैश्विक आंकलन में पिछड़ता जा रहा है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को छूट मिली हुई है। क्या यही है नया भारत ?