समाजवादी पार्टी की 2 दिन तक राष्ट्रीय कार्यकारिणी की जो कोलकाता में बैठक हुई उसमें 2024 को लेकर पार्टी ने अपनी रणनीति तय की है. अब पार्टी ने उन बूथों पर अपना फोकस किया है जहां पर समाजवादी पार्टी को कम वोट मिलते हैं. इसके लिए एक विशेष रणनीति तय की गई है. यहां पर समाजवादी पार्टी की त्रिस्तरीय तैयारी है. पार्टी का फोकस है कि कैसे हारे बूथों को जीता जाए. वहीं बीजेपी भी लगातार हारे हुए बूथ जीतने की रणनीति पर काम कर रही है.
समाजवादी पार्टी की 18 और 19 मार्च को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कोलकाता में हुई. यहां राजनीतिक और आर्थिक प्रस्ताव पास हुआ. साथ ही बीजेपी की सरकारों में विपक्षी दलों के नेताओं खासकर समाजवादी पार्टी के जो नेता हैं उनके खिलाफ किस तरीके से कार्यवाही की जा रही है इसे भी राजनीतिक प्रस्ताव में शामिल किया गया. इतना ही नहीं समाजवादी पार्टी अब इस कोशिश में है कि केवल उत्तर प्रदेश में नहीं बल्कि देश के अलग-अलग राज्यों में बीजेपी को हराने में जो दल सक्षम हैं उनके साथ एक मंच पर आकर 2024 में बीजेपी के विजय रथ को रोका जाए. खुद अखिलेश यादव अब तीसरे मोर्चे के सबसे प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे हैं.अखिलेश यादव अलग-अलग राज्यों का लगातार दौरा कर रहे हैं. फिर चाहे वह दक्षिण के राज्य हैं, पश्चिम बंगाल हो या फिर हरियाणा या दिल्ली हो. दरअसल अखिलेश यादव की छवि एक ऐसे नेता की है जिनकी विपक्षी दलों में भी स्वीकार्यता है और उनकी बात को सभी दलों के नेता मानते हैं. इसीलिए ममता बनर्जी को भी तीसरे मोर्चे में शामिल कराने की जिम्मेदारी अखिलेश यादव ने खुद संभाली है और उसी का असर माना जा रहा है कि ममता बनर्जी कहीं ना कहीं इस मोर्चे में आने के संकेत दे रही हैं.
इतना ही नहीं समाजवादी पार्टी यूपी में 80 सीटों पर गठबंधन के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी में है और जिस तरह से पार्टी के नेता कह रहे हैं कि कम से कम 50 सीटों पर बीजेपी को रोकने का काम करेंगे इससे साफ है कि 2024 को लेकर सपा ने अपनी नई रणनीति तैयार की है. सूत्रों की मानें तो इस रणनीति के तहत समाजवादी पार्टी उन बूथों पर खास फोकस करेगी जिन्हें बीते चार चुनाव 2014, 2017, 2019 और 2022 में वह नहीं जीत पाई या फिर जहां पर पार्टी को लगातार कम वोट मिले हैं. खासतौर से 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जो बूथ समाजवादी पार्टी हारी आखिर उन बूथों को कैसे जीता जाए अब पार्टी लगातार इस रणनीति पर काम करेगी. इसके लिए वहां के स्थानीय नेताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी साथ ही साथ हर महीने इन बूथों पर कोई न कोई कार्यक्रम करके बीजेपी सरकार की नीतियों के खिलाफ पार्टी के नेता लोगों को बताने का काम भी करेंगे.