भारतीय वैज्ञानिकों की ओर से तैयार रोबोट जल्द ही सरहद की निगरानी करते दिखेंगे। सेना ने डीआरडीओ की मदद से रेल माउंटेड रोबोट बनाया है, जिसे खामोश प्रहरी नाम दिया गया है। इसे सीमा पर लगे बाड़ पर तैनात किया जा सकता है। यह दुश्मन की हलचल का कुछ ही सेकंड में पता कर लेगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में कृत्रिम बुद्धिमता(एआई) पर आधारित 75 रक्षा तकनीक लॉन्च करेंगे। इनमें खामोश प्रहरी भी शामिल है। ऐसे रोबोट अब तक दक्षिण कोरिया-इजरायल ने ही बनाए हैं। रक्षा सचिव डॉ. जय कुमार ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर ये तकनीकें लॉन्च होंगी। करीब सौ तकनीकें अभी निर्माण प्रक्रिया में हैं।
कुमार ने कहा कि तीनों सेनाओं के साथ-साथ अर्धसैनिक बलों में भी एआई आधारित तकनीक का इस्तेमाल बढ़ेगा। इनमें से कई तकनीकें ऐसी हैं जो आम लोग भी इस्तेमाल कर सकेंगे। ये उत्पाद स्वचालित/मानवरहित/रोबोटिक्स प्रणाली, साइबर सुरक्षा, रसद और आपूर्ति शृंखला प्रबंधन, संचार आदि के कार्यक्षेत्र में हैं।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, एक ऐसा तकनीक विकसित की गई है जो पानी के भीतर आवाजों के आधार पर लक्ष्य और हाव-भाव देखकर दुश्मन का पता लगा लेता है। इसे निजी कंपनी बीईएल ने बनाया है। डीआरडीओ की यंग साइंटिस्ट प्रयोगशाला ने एआई आधारित राडार तैयार किया है जो हर स्थिति में सही आंकड़े प्रदान करेगा। बीईएल ने समुद्र में टार्गेट ट्रैकिंग सिस्टम तैयार किया है।
डीआरडीओ ने सीमाओं पर इंसानी और वाहनों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एआई एनेबल्ड एयरबोर्ड इलेक्ट्रो आप्टिक इंफ्रारेड सिस्टम तैयार किया है। बीईएमएल ने वाहन चालकों की थकान की निगरानी के लिए एक सिस्टम विकसित किया है। जबकि एक निजी कंपनी ने एक ऐसी डिवाइस विकसित की है जिसे लड़ाकू विमानों में लगाने से पायलट जमीन पर लगे शामियाने को भी देख सकेगा। जबकि लड़ाकू विमानों के लिए जमीन पर मौजूदा दुश्मन के छोटे ठिकानों को तलाश कर पाना कठिन होता है।