लोकसभा चुनाव संपन्न होने में अब एक ही चरण बचा है। 19 मई को सातवें और अंतिम चरण का मतदान है। अपने कार्यकर्ताओं से मिले फीडबैक के आधार पर यह अंदाजा लगाने के बाद कि 23 मई को चुनावी नतीजे कैसे होंगे, राजनीतिक दल आगे की रणनीति बनाने में जुट गए हैं। छठे चरण के मतदान के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जब यह कहा कि वे मायावती का बहुत सम्मान करते हैं, तो राजनीतिक गलियारों में उनके इस बयान के कई मायने निकाले जाने लगे। यूपीए के केंद्र में इस वक्त मायावती हैं। कांग्रेस पार्टी ही नहीं, बल्कि भाजपा भी इस बात से वाकिफ है कि बसपा-सपा गठबंधन केंद्र में सत्ता के समीकरण बिगाड़ भी सकता है और बना भी सकता है। यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी ऐसी स्थिति में यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी को मायावती व दूसरे दलों के साथ मध्यस्थता के लिए आगे लाने की तैयारी कर रही है।
बता दें कि कांग्रेस पार्टी पहले ही कह चुकी है कि देश में तीसरे फ्रंट की कोई गुंजाइश नहीं है। सरकार यूपीए की बनेगी या एनडीए की। यूपीए के सहयोगी दलों में अगर कोई नाराजगी है तो उसे सभी के साथ मिल-बैठकर दूर कर लिया जाएगा।
यह तय है कि किसी भी सूरत में तीसरे धड़े या मोर्चे जैसी संभावना नहीं होगी। 21 मई की शाम को कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की बैठक होगी। इसमें यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित विभिन्न पार्टियों के अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता उपस्थित रहेंगे। लोकसभा चुनाव में प्रथम चरण से लेकर छठे चरण तक बसपा सुप्रीमो मायावती ने भाजपा और कांग्रेस पर लगातार हमला बोला है। खास बात है कि मायावती के हमलों का जवाब दोनों ही पार्टियों ने दिया है। भाजपा की ओर से हमलों का जवाब हमलों से ही दिया गया, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने इस मामले में पूरा संयम बरता। पार्टी में सभी स्तर पर यह दिशा निर्देश जारी किया गया था कि मायावती को लेकर कोई भी नेता नकारात्मक बयानबाजी नहीं करेगा।
जब यूपी में बसपा-सपा के गठबंधन में कांग्रेस शामिल नहीं हुई तो इस बाबत राहुल गांधी से कई बार यह सवाल किया गया था। राहुल गांधी ने अपने किसी भी बयान में मायावती, अखिलेश या ममता के प्रति कोई भी गलत बयानबाजी नहीं की। उन्होंने कहा था कि हर पार्टी की अपनी एक विचारधारा है, वह उसी पर चलती है और चुनाव भी लड़ती है। इसके बाद मायावती ने कई बार सार्वजनिक मंचों से राहुल और कांग्रेस पार्टी पर जमकर हमला बोला, मगर राहुल ने मायावती को लेकर संयम बरता।
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला से जब कभी सपा-बसपा के बारे में पूछा गया तो वे बहुत ही शांत स्वभाव से यह जवाब देते रहे कि चुनाव के बाद ये दोनों दल अपने ही साथी हैं।किसी के साथ कोई लड़ाई नहीं है। ये पार्टियां हमारे साथ ही खड़ी होंगी। सोनिया गांधी, मायावती और ममता बैनर्जी के बीच पहले भी बातचीत होती रही है। ये तीनों एक दूसरे का सम्मान करती हैं। कांग्रेस का प्रयास है कि पहले राहुल गांधी यूपीए के सभी सहयोगियों से बात करेंगे। अगर यहां कोई बाधा आती है तो सोनिया गांधी यूपीए के दलों से बातचीत के लिए आगे आएंगी।
कांग्रेस नेता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी का दावा है कि राजस्थान, मध्यप्रदेश, यूपी, पश्चिम बंगाल, बिहार, तमिलनाडु, आंधप्रदेश, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, हरियाणा और उत्तर पूर्व के कई राज्यों में यूपी के सहयोगी दलों को खासी बढ़त मिलेगी। यूपीए के सभी सहयोगी एक बार फिर साथ होंगे। कांग्रेस पार्टी इस बाबत अपने सभी सहयोगियों के साथ बहुत खुली और विस्तारपूर्वक चर्चा करेगी। बसपा को अधिक तवज्जो देने के पीछे सपा का होना बताया गया है। कांग्रेस जानती है कि चुनाव के बाद ये दोनों दल एक साथ ही खड़े होंगे, इसलिए मायावती यूपीए के साथ आती हैं तो अखिलेश यादव भी साथ आ जाएंगे।