समय-समय पर इंटरनेट मीडिया के राजनीतिक रुख को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं। हर दल की ओर से अंगुली उठाई जाती है। अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक रिपोर्ट के हवाले से फेसबुक और ट्विटर का चुनाव के दौरान दुरुपयोग कर भारत के लोकतंत्र पर कब्जा किए जाने के प्रयासों का आरोप लगाया है। लोकसभा में सोनिया ने कहा कि सत्ताधारी पार्टी फेसबुक और ट्विटर से अंदरूनी साठगांठ कर चुनाव को प्रभावित करने का प्रयास कर रही है और यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। उन्होंने चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए इंटरनेट मीडिया की चुनाव में पक्षपाती भूमिका पर रोक लगाए जाने की मांग की।
सोनिया गांधी ने शून्य काल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि रिपोर्ट में यह सामने आ रहा है कि वैश्विक इंटरनेट मीडिया कंपनियां सभी राजनीतिक दलों को बराबरी का मौका प्रदान नहीं कर रही हैं। पिछले साल अमेरिकी अखबार वाल स्ट्रीट जर्नल ने उजागर किया था कि किस तरह फेसबुक ने सत्ताधारी दल के राजनीतिज्ञों के लिए नफरती भाषण से जुड़े अपने नियमों को बदला। कांग्रेस अध्यक्ष ने अल जजीरा और रिपोर्ट्स कलेक्टिव की ताजा रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि न्यूज मीडिया के नाम पर छद्म प्रचार का पूरा संरचना तंत्र चलाया जा रहा है
इंटरनेट मीडिया के पक्षपाती रवैये पर चिंता जताते हुए सोनिया ने कहा कि छद्म विज्ञापन और झूठे प्रचार के जरिये देश के युवाओं और बुजुर्गों में नफरत भरने का काम किया जा रहा है। फेसबुक जैसी कंपनियां इससे पूरी तरह वाकिफ हैं, मगर अपने कारोबारी लाभ के लिए यह सब कर रही हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह रिपोर्ट सत्ता प्रतिष्ठान, बड़ी कंपनियों और फेसबुक जैसी वैश्विक इंटरनेट मीडिया कंपनियों के बीच लगातार बढ़ती साठगांठ को दर्शाती है। इसलिए सरकार से आग्रह है कि फेसबुक और दूसरी इंटरनेट मीडिया कंपनियों के जरिये दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की चुनावी प्रक्रिया को संगठित तरीके से प्रभावित करने के प्रयासों को वह बंद करे।
संसद में सोनिया गांधी के हमले के बाद कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि देश के कुछ बड़े कारपोरेट जिस तरह फेसबुक और ट्विटर के साथ मिलकर लोकतंत्र और चुनाव प्रक्रिया को दूषित करने का प्रयास कर रहे हैं, वह बेहद गंभीर है। अल जजीरा और रिपोर्ट्स कलेक्टिव की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि देश के बड़े-बड़े धनवान लोग भाजपा सरकार और फेसबुक के साथ मिलकर कांग्रेस व राहुल गांधी को बदनाम करने का अभियान चला रहे हैं। चुनाव में थर्ड पार्टी विज्ञापन गैरकानूनी है। चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट को इसका स्वत: संज्ञान लेते हुए आपराधिक व कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।