लोकसभा चुनाव 2019 की कुछ बातें जो आपको जाननी चाहिए

चीफ इलेक्शन कमीशन सुनील अरोड़ा ने चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. इस बार 7 चरणों में चुनाव होंगे. पहले चरण के चुनाव 11 अप्रैल को होंगे. 7वें और अंतिम चरण के 19 मई को. चुनाव का नतीजा आएगा 23 मई को. इस बार के चुनाव में चुनाव आयोग ने कुछ बेहद खास चीज़ों का ध्यान रखा है. आइए जानते हैं इस बार इलेक्शन में क्या नया है.

(1) इस बार चुनाव में कुल 90 करोड़ वोटर वोट डालेंगे. ये आंकड़ा पिछली बार यानी 2014 से 8 करोड़ ज्यादा है.

(2) देश में 99.3 फीसदी वोटर्स के पास वोटर आईडी कार्ड हैं.

(3) इलेक्शन में VVPAT का इस्तेमाल किया जाएगा. जिनमें जीपीएस लगा होगा. अगर उसके साथ छेड़छाड़ की जाती है या बूथ कैप्चरिंग की कोशिश होती है तो पता लगाया जा सकेगा.

(4) इस बार चुनाव आयोग का सोशल मीडिया पर ख़ासा ज़ोर रहा. चुनाव लड़ रहे सभी कैंडिडेट्स को इसका खास ध्यान रखना होगा. इस लोकसभा में सोशल मीडिया पर होने वाला सारा खर्च भी उम्मीद्वार के खाते में शामिल किया जाएगा. पिछले कुछ सालों में डाटा सस्ता होने का फायदा यहां नहीं लिया जा सकेगा.

(5) इलेक्शन कमीशन ने हेल्पलाइन नंबर जारी किया है. जिस पर कॉल करके किसी भी अप्रिय घटना की शिकायत की जा सकेगी. कमीशन का दावा है कि शिकायत के 100 मिनट के भीतर कार्रवाई की जाएगी.

 

खास जानकारी : 

लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। इस बार के चुनाव 7 चरण में होंगे। 11 अप्रैल को पहले चरण का मतदान होगा। 23 मई को परिणाम घोषित किए जाएंगे। तारीखों का ऐलान होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई।

चुनाव आचार संहिता चुनाव आयोग के बनाए वो नियम हैं, जिनका पालन हर पार्टी और हर उम्मीदवार के लिए जरूरी है। इनका उल्लंघन करने पर सख्त सजा हो सकती है। चुनाव लड़ने पर रोक लग सकती है। एफआईआर हो सकती है और उम्मीदवार को जेल जाना पड़ सकता है। चुनाव के दौरान कोई भी मंत्री सरकारी दौरे को चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता।

 

सरकारी संसाधनों का किसी भी तरह चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। कोई भी सत्ताधारी नेता सरकारी वाहनों और भवनों का चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता।

केंद्र सरकार हो या किसी भी प्रदेश की सरकार, न तो कोई घोषणा कर सकती है, न शिलान्यास, न लोकार्पण और ना ही भूमिपूजन। सरकारी खर्च से ऐसा आयोजन नहीं होता, जिससे किसी भी दल विशेष को लाभ पहुंचता हो। इस पर नजर रखने के लिए चुनाव आयोग पर्यवेक्षक नियुक्त करता है।

उम्मीदवार और पार्टी को जुलूस निकालने या रैली और बैठक करने के लिए चुनाव आयोग से आर्डर लेना होता है और इसकी जानकारी निकटतम थाने में देनी होती है। सभा के स्थान व समय की पूर्व सूचना पुलिस अधिकारियों को देना होती है।

 

 

अब हमारी खबरें यूट्यूब चैनल पर भी  देखें । नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब करें ।

https://www.youtube.com/channel/UC4xxebvaN1ctk4KYJQVUL8g

अब हमारी ख़बरें एप्लीकेशन पर भी उपलब्ध हैं । हमारा एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर से अभी डाउनलोड करें और खबरें पढ़ें ।

https://play.google.com/store/apps/details?id=com.dastak24.newsapp&hl=en