शर्मिला टैगोर…नाम उस खूबसूरत और बोल्ड एक्ट्रेस का है, जो अपने समय से काफी आगे की एक्ट्रेस थीं। उस जमाने में बड़े पर्दे पर बिकिनी पहनी, जब ज्यादातर एक्ट्रेसेस साड़ी में दिखाई देती थीं। आज शर्मिला टैगोर का 78वां जन्मदिन है। उनका फिल्मी करियर हो या पर्सनल लाइफ वो हमेशा सुर्खियों में रही हैं। ठा. रवींद्रनाथ टैगोर के परिवार से ताल्लुक रखने वाली शर्मिला टैगोर ने 13 की उम्र में फिल्मों में कदम रखा था।
इन्होंने धर्म बदलकर नवाब पटौदी को अपना हमसफर बनाया और नाम रखा बेगम आएशा सुल्ताना। नवाबों के खानदान से ताल्लुक जुड़ने पर भी इनकी बोल्डनेस की चर्चा रही। सालों तक भारत और विदेश की कई फिल्मों में काम करने के बाद ये सेंटर बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन की चेयरपर्सन रहीं। ये यूनिसेफ की गुडविल एंबेसेडर और कांस फिल्म फेस्टिवल की ज्यूरी मेंबर भी रह चुकी हैं
शर्मिला टैगोर का जन्म 8 दिसंबर 1944 को कानपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ। इनके बंगाली पिता गितिंद्रनाथ ब्रिटिश इंडिया कोर्पोरेशन में जनरल मैनेजर थे। ये कानपुर के सबसे नामी टैगोर खानदान से ताल्लुक रखती थीं, वही परिवार जहां से नोबल रवींद्रनाथ टैगोर, पेंटर गगनेंद्रनाथ टैगोर, अबानिंदरनाथ टैगोर, एक्ट्रेस और फर्स्ट लेडी ऑफ इंडियन सिनेमा देविका रानी आते हैं।
ये तीन बहनों में सबसे बड़ी हैं। इनकी छोटी बहन ओएंड्रिला फिल्मों में जाने वाली टैगोर खानदान की पहली लड़की थीं, जिन्होंने तपन सिन्हा की काबुलीवाला (1957) में एक्टिंग की थी। वहीं इनकी दूसरी बहन रोमिला की शादी ब्रिटेनिया के ऑफिसर और बिजनेसमैन निखिल सेन से हुई।
सेंट डॉन डिओसेन स्कूल से पढ़ाई करते हुए शर्मिला बचपन से ही डांस और प्ले में रुचि रखती थीं। बचपन में एक प्रोग्राम के दौरान शर्मिला को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के कोट में गुलाब लगाने का मौका मिला।
एक दिन फिल्ममेकर सत्यजीत रे शर्मिला टैगोर के घर पहुंच गए और पिता से कहा कि वो उन्हें अपनी फिल्म में लेना चाहते हैं। शायद वो शर्मिला को स्कूल से घर फॉलो करते हुए पहुंचे थे। उस समय एक्टिंग में जाना अच्छे घर की लड़कियों के लिए मुश्किल था, लेकिन पिता ने झट से हामी भर दी। महज 13 साल की उम्र में सत्यजीत रे की बंगाली फिल्म अपुर संसार (1959) से शर्मिला फिल्मों में आईं। स्कूल की छुट्टियों के दौरान उन्होंने फिल्म की शूटिंग की, लेकिन उनकी स्कूल प्रिसिंपल को इससे आपत्ति थी। 13 साल की शर्मिला के अभिनय से सत्यजीत ऐसे इंप्रेस हुए कि उन्हें फिल्म देवी में भी कास्ट लिया।
लगातार फिल्मों में काम करते हुए शर्मिला की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा था। शूटिंग में व्यस्त होने पर उन्होंने स्कूल जाना कम कर दिया। एक समय ऐसा भी आया जब शर्मिला की स्कूल प्रिंसिपल ने ये कहते हुए उन्हें स्कूल छोड़ने को कहा कि उनके फिल्मी करियर का बुरा असर दूसरे स्टूडेंट्स पर पड़ रहा है, क्योंकि फिल्मों में काम कर बुरा समझा जाता था। उन्होंने बंगाली स्कूल छोड़कर एनासोल लोरेटो में दाखिला ले लिया। इंग्लिश मीडियम स्कूल में जाना उनके लिए एक चुनौती रही।
जब शर्मिला ने मुंबई के कॉलेज में दाखिला लिया तो फिर उनकी कॉलेज प्रिंसिपल ने उन्हें पढ़ाई या एक्टिंग में से किसी एक को चुनने को को कहा। शर्मिला का उनसे खूब झगड़ा हुआ, लेकिन वो नहीं माने। गुस्से में शर्मिला ने उन्हें कहा, देखना एक दिन मुझे ना सिर्फ इंग्लिश लिट्रेचर और इतिहास आएगा बल्कि में उससे भी बड़ा मुकाम हासिल करूंगी। शर्मिला उनके सामने अपनी किताबें पटकीं और तुरंत कॉलेज छोड़ दिया।
6 बंगाली फिल्मों में नजर आने के बाद शर्मिला को कश्मीर की कली (1964) से हिंदी फिल्मों में जगह मिली। शम्मी कपूर के साथ चंपा के रोल में शर्मिला को खूब पसंद किया गया और उन्हें लगातार वक्त (1965), डाकघर (1965), अनुपमा (1966), देवर (1966), सावन की घटा (1966), ये रात फिर ना आएगी (1966) जैसी बेहतरीन फिल्में मिली
1966 में फिल्मफेयर मैगजीन के कवर पेज के लिए करवाए गए फोटोशूट में शर्मिला टैगोर ने ब्लैक एंड व्हाइट बिकिनी पहनकर पोज किया। ये बिकिनी में पोज करने वाली भारत की पहली एक्ट्रेस बनीं।
इसके ठीक बाद 1967 में रिलीज हुई फिल्म एन ईवनिंग इन पेरिस में शर्मिला ने एक गाने में बिकिनी पहनी। स्क्रीन पर बिकिनी में नजर आने वाली भी ये पहली एक्ट्रेस रहीं। इसके बाद इन्हें सेक्स सिंबल कहा जाने लगा। लोगों ने इन पर अश्लीलता फैलाने और भारतीय सभ्यता खराब करने जैसे आरोप लगाए। वहीं संसद में तक शर्मिला के बिकिनी लुक की आलोचना की गई, लेकिन उन्हें बिकिनी पहनने का कभी कोई मलाल नहीं रहा।
1965 में जहां मंसूर भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान थे तो वहीं शर्मिला उस जमाने की टॉप एक्ट्रेस में से एक थीं। एक आफ्टर मैच पार्टी में मंसूर और शर्मिला की पहली मुलाकात हुई। नवाब को शर्मिला पसंद आई तो उन्होंने इंप्रेस करने के लिए उन्हें तोहफे में 7 फ्रिज भिजवाए। इसके बाद भी शर्मिला नहीं मानीं। एक बार जब मंसूल अली खान ने डबल सेंचुरी बनाई तो शर्मिला ने दोस्तों के सामने शो-ऑफ करने के लिए उन्हें मैसेज कर बधाई दी। ऐसे ही एक मुलाकात से दोनों की दोस्ती शुरू हुई और फिर प्यार हो गया। एक बार नवाब पटौदी एक टूर पर विदेश जा रहे थे वहीं शर्मिला पनवेल में अपनी फिल्म एन ईवनिंग इन पेरिस फिल्म की शूटिंग कर रही थीं। शूटिंग के बीच से शर्मिला नवाब को छोड़ने एयरपोर्ट गईं। बातों-ही-बातों में मंसूर ने उनसे पूछ लिया कि अगर आपका कोई प्लान नहीं है तो क्या आप साथ चलेंगी। शर्मिला ने बिना कुछ सोचे हामी भर दी। उनके पास न कपड़े थे ना कोई सामान, उल्टा वो शूटिंग से ब्रेक लेकर एयरपोर्ट पहुंची थीं। दोनों साथ निकले तो मैगजीन और अखबारों में इसकी खूब चर्चा हुई। जैसे ही शर्मिला ने हामी भरी तो मंसूर ने सबसे पहले अपनी मां को इस बारे में खबर की।
एन ईवनिंग इन पेरिस रिलीज होने वाली थी, जिसके प्रमोशन के लिए मुंबई शहर में फिल्म के कई पोस्टर लगाए गए थे। कई पोस्टर्स में शर्मिला बिकिनी में नजर आ रही थीं। ठीक उसी समय नवाब मंसूर की मां साजिदा बेगम उनसे मिलने मुंबई आने वाली थीं। साजिदा उस समय भोपाल की बेगम थीं। जैसे ही शर्मिला को उनके आने की खबर मिली तो वो घबरा गईं। शर्मिला सबसे पहले प्रोड्यूसर को कॉल किया और उन्हें सभी पोस्टर तुंरत हटाने की विनती की। प्रोड्यूसर्स मान गए और कुछ दिनों के लिए एन ईवनिंग इन पेरिस फिल्म के पोस्टर शहर से हटा दिए गए।
सालों बाद फिल्मफेयर को दिए एक इंटरव्यू में शर्मिला ने कहा, ये मेरी शादी के ठीक पहले की बात है। मुझे याद है जब मैंने अपनी टू-पीस बिकिनी की तस्वीर नवाब साहब को दिखाई तो उन्होंने मुझसे कहा कि क्या में इस बात से ठीक हूं। कुछ शॉट में तो उन्होंने मुझसे खुद को ढंक कर रखने को भी कहा। वो मुझसे ज्यादा परेशान थे, क्योंकि मुझे तो उस शूट में कोई झिझक महसूस नहीं हुई थी। जब लोगों ने इस पर बुरी तरह रिएक्ट करना शुरू किया तो में शॉक थी। मैं समझ नहीं पाई कि लोगों को वो तस्वीरें क्यों पसंद नहीं आईं, क्योंकि मुझे तो वो तस्वीरें बहुत पसंद आई थीं। मैं यंग थी और मुझे नई चीजें करने में बहुत रुचि थी। मैंने खुद ही उस फोटोशूट का सुझाव दिया था।
मंसूर अली खान ने शर्मिला टैगोर को पेरिस में शादी के लिए प्रपोज किया था। शर्मिला ने प्रपोजल का जवाब देने के बजाए उनके सामने शर्त रखी कि तब ही शादी करेंगी जब मंसूर अपने मैच में एक साथ 3 छक्के लगाएंगे। मंसूर ने अगले ही मैच में सिक्स का हैट्रिक लगाकर शर्मिला को राजी किया और दोनों ने 27 दिसंबर 1968 में शादी कर ली। शादी के लिए शर्मिला ने इस्लाम कबूल किया और उनका नाम बेगम आएशा पटोदी हो गया।
दिया जयसवाल को दिए एक इंटरव्यू के दौरान शर्मिला टैगोर ने बताया कि जब भी मंसूर अली खान कैच छोड़ते थे तो उनके पिता उन्हें ही खराब परफॉर्मेंस का जिम्मेदार ठहराते थे। कहते थे कि शर्मिला क्यों उन्हें रातभर जगा कर रखती हैं।
ये उस समय की बात थी जब बीना राय, डिंपल कपाड़िया, नीतू सिंह, बबीता जैसी कई एक्ट्रेसेस ने शादी के बाद फिल्मों से दूरी बना ली थी। लेकिन शर्मिला ने शादी और मां बनने के बावजूद फिल्मों में काम किया। यहां तक कि उन्होंने शादी के बाद ही आराधना, अमर प्रेम, आ गले लग जा, मौसम, चुपके-चुपके जैसी अपने करियर की सबसे हिट फिल्में दीं।
इस पर शर्मिला ने कहा था, शादी के बाद मैंने कुछ नहीं छोड़ा। मंसूर बहुत लिब्रल हैं। मैंने उनके साथ नया कल्चर सीखा और नए तरह का अनुभव हासिल किया। उनसे शादी करना मेरे लिए बहुत फायदेमंद रहा।
शर्मिला टैगोर के तीन बच्चे सैफ अली खान, सोहा अली खान और सबा अली खान हैं। जहां सैफ और सोहा फिल्मों में आए वहीं सबा जूलरी डिजाइनर हैं। शर्मिला टैगोर वैसे तो अपनी सारी संपत्ति की जिम्मेदारी खुद ही उठाती हैं, हालांकि उन्होंने भोपाल के पटौदी हाउस और 2700 करोड़ की दूसरी संपत्ति की पूरी जिम्मेदारी बेटे के बजाए अपनी बेटी सबा को दी है।
शर्मिला टैगोर की कुल संपत्ति करीब 5 हजार करोड़ रुपए की है। गुरुग्राम से 25 किमी दूर बसे अकेले पटौदी पेलेस की कीमत 800 करोड़ बताई जाती है। इसके अलावा पटौदी खानदान की भोपाल में 2700 करोड़ की प्रॉपर्टी है, जिसमें कई पैलेस, कब्रिस्तान, मस्जिदें, दरगाह और सरकारी दफ्तरों की जमीन भी शामिल हैं। वीर-जारा, रंग दे बसंती जैसी कई फिल्मों और तांडव सीरीज की शूटिंग भी पटौदी पेलेस में हुई है। किराए की सारी रकम शर्मिला टैगोर के पास ही जाती है।