अपना दल (कमेरावादी) की अध्यक्ष कृष्णा पटेल ने अगर अपना दल (एस) की अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया के प्रस्ताव को स्वीकार किया तो अपना दल के दोनों कुनबे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले साथ आ सकते हैं।
अनुप्रिया ने बहन पल्लवी पटेल और उनके पति को राजनीति से दूर रखने की शर्त पर अपनी मां के सामने मंत्री पद के साथ पार्टी का अध्यक्ष बनने का प्रस्ताव दिया है। दोनों धड़ों को एक करने के लिए अनुप्रिया ने कृष्णा के समक्ष अपने एमएससी पति आशीष पटेल का इस्तीफा करा कर उनकी जगह कृष्णा को विधानसभा परिषद भेजने का भी प्रस्ताव दिया है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की जानकारी में हो रही इस पहल पर अब अपना दल को एक करने की जिम्मेदारी कृष्णा पटेल की है।विलय में मुख्य पेच अनुप्रिया की बहन पल्लवी पटेल और उनके पति आशीष निरंजन हैं। अनुप्रिया के करीबियों का कहना है कि केंद्रीय मंत्री अपना दल में विवाद के लिए इन्हीं दोनों को जिम्मेदार मानते हैं। साल 2015 में जब अपना दल दो हिस्सों में बंटा तब पल्लवी ने अनुप्रिया के खिलाफ न सिर्फ गबन से संबंधित मामला दर्ज कराया, बल्कि विवाद के बाद सारी पैतृक संपत्ति का वसीयत अपने नाम करा लिया।
पैतृक संपत्ति में सोनेवाल परिवार की कुंआरी बेटी अमन पटेल को भी कोई हिस्सा नहीं दिया गया। इसलिए अनुप्रिया नहीं चाहतीं कि विलय के बाद पल्लवी और उनके पति अपनी राजनीतिक सक्रियता जारी रखें। गबन का मामला प्रारंभिक जांच के बाद ही खारिज हो गया था। अपना दल की ओर से इस प्रस्ताव पर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ भी चर्चा हुई है। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व विलय की स्थिति में कृष्णा पटेल को मंत्री बनाने के लिए तैयार है। भाजपा का मानना है कि इससे राज्य में बेहद प्रभाव रखने वाली कुर्मी बिरादरी पर राजग की पकड़ और मजबूत होगी। जबकि अपना दल (एस) को लगता है कि इससे वह विधानसभा चुनाव में भाजपा से अधिक सीटें हासिल कर पाएंगी।