मिश्रित सीतापुर/ भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने के लिए कृत संकल्पित प्रदेश शासन जहां स्थानांतरण प्रक्रिया को लेकर नित नए फरमान जारी कर रहा है वहीं यहां मिश्रित तहसील में लंबे समय से अंगद पांव की तरह जमे जोड़-तोड़ में माहिर कर्मचारी शासन की स्थानांतरण नीति को धता बता रहे हैं । ज्ञातव्य हो अधिकारियों और कर्मचारियों की एक स्थल पर नियुक्त और तैनाती को लेकर प्रदेश शासन की नीतियों के अनुरूप जिला प्रशासन ने एक नियमावली निर्धारित कर रखी है जिसके अनुरूप जानकार सूत्र बताते हैं कि एक जनपद में अधिकारी जहां तीन वर्ष तक तैनात रह सकता है वहीं कर्मचारियों के लिए यह अवधि पांच वर्ष निर्धारित की गई है विपरीत इसके यहां मिश्रित तहसील में मलाईदार कुर्सियों पर वर्षों से जमे कर्मचारी यहां से हटने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। बताते चलें मिश्रित तहसील में उपजिलाधिकारी के आसु लिपिक (स्टोनो )पद पर तैनात प्रहलाद भारती इसी तहसील ही नहीं इसी ब्लाक के ग्राम हसनगंज के निवासी हैं और तीन तिकड़म के चलते वे अपनी लगभग पूरी नौकरी इसी तहसील में गुजारे दे रहे हैं सूत्रों की मानें तो उनका यही से सेवानिवृत्त होने का सपना है इन महोदय का एक आध बार जनपद की अन्य तहसीलों के लिए स्थानांतरण भी हुआ लेकिन वे वहां एक दो महीने का अल्प समय गुजारने के बाद ही तीन तिकड़म भिड़ाकर फिर यही इसी तहसील में अपने चिर परिचित स्टोनों पद पर आकर जम गए चर्चा तो यहां तक है कि अंगद पांव की तरह इस तहसील में लम्बे समय से जमें प्रहलाद भारतीय अधिकारियों को गुमराह करके क्षेत्रीय लोगों और विभिन्न प्रकार के पीड़ितों की समस्याओं को और भी गहरा कर देते हैं ।इसी तरह उप जिलाधिकारी के ही पेशकार पद पर तैनात सुरेश मौर्या भी लगभग पांच वर्षों से भी अधिक का समय इसी तहसील में गुजार चुके हैं हेर फेर करने की इनकी भी चर्चाएं क्षेत्रीय लोगों में जमकर छाई हुई हैं। इसी तरह मिश्रित तहसील में ही अपर तहसीलदार के पेशकार पद पर रुद्र प्रताप सिंह भी पांच वर्षों से भी अधिक समय से यही डटे हुए हैं इस बीच कई अपर तहसीलदारों का स्थानांतरण हो चुका है लेकिन श्री सिंह यहां से हिलने का नाम ही नहीं ले रहे हैं ।गौरतलब है कि प्रदेश शासन की स्थानांतरण नीतियों को धता बताते हुए उक्त कर्मचारी यहां की मलाईदार कुर्सियों को छोड़कर दूसरी तहसीलों में क्यों नहीं जाना चाहते ऐसा मिश्रित तहसील में है कौन सा राज?जिला प्रशासन और प्रदेश शासन को मिश्रित तहसील में अंगद पांव की तरह जमकर भ्रष्टाचार और जन शोषण का पर्याय बने उपरोक्त चिपकू कर्मचारियों की तरफ गंभीरता से ध्यान देकर उनको यहां से हटाने की आवश्यकता है।ताकि प्रदेश शासन की स्थानांतरण नीति और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने का दावा सही मायने में सफल हो सके।