यूपी SIT ने बहराइच के महाराजा सुहेलदेव मेडिकल कॉलेज के निर्माण कार्य में 17.51 करोड़ रुपए के घोटाले में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। विशेष जांच दल ने इस धोखाधड़ी में निर्माण कार्य से जुड़ी कंपनी से लेकर इंजीनियर और प्रोजेक्ट मैनेजर समेत 40 लोगों को आरोपी बनाया है।
एसआईटी की एफआईआर के मुताबिक बहराइच में महाराजा सुहेल देव स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय के निर्माण के लिए टेंडर निकाले गए थे। जिसमें ठेकेदार फर्म मेसर्स यूनिवर्सल कांट्रेक्टर्स एंड इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड 263 एल्फा फस्ट ग्रेटर नोएडा गौतमबुद्ध नगर के साथ राजकीय निर्माण निगम का एक अनुबंध 11 सितम्बर 2017 को हुआ था। परियोजना की निर्माण अवधि जुलाई 2017 से सितम्बर 2019 के दौरान निर्माण कार्यों को पूरा करवाए जाने का था।
नियमानुसार भुगतान करवाने के लिए गिरीश चंद्र चतुर्वेदी, प्रदीप कुमार अग्रवाल, एचपी भट्ट, राम आधार सिंह यादव, विनोद कुमार सिंह क्रमश: अपर परियोजना प्रबंधक, लेखाकार (रिटायर), सहायक अभियंता सिविल, उप अभियंता सिविल और इकाई प्रभारी के पद पर निगम की ओर से तैनात किए गए थे।
निर्माण के दौरान सभी कार्मिकों द्वारा निर्माण कार्यों के लिए निगम की बहराइच इकाई को उपलब्ध करवाए गए सरकारी धन को अवैध रुप से हड़पने के लिए साजिश के तहत बिना खरीद किए ही 96 फर्जी बिल बाउचर दस्तावेजों को लगाया गया। जिसके चलते इन लोगों ने कुल 17.51 करोड रुपए का फर्जी भुगतान कराया गया। जिसका खुलासा होने पर विभागीय जांच कराई गई। आरोप सही पाए जाने पर रिपोर्ट दर्ज हुई।
विभागीय जांच के बाद जीसी चतुर्वेदी तत्कालीन अपर परियोजना प्रबंधक, प्रदीप कुमार अग्रवाल तत्कालीन लेखाकार अब रिटायर, एसपी भट्ट तत्कालीन सहायक अभियंता सिविल, राम आधार सिंह तत्कालीन उप अभियंता सिविल, विनोद कुमार सिंह इकाई प्रभारी, मेसर्स अग्रवाल ट्रेडिंग कम्पनी, मेसर्स अग्रवाल एजेंसी, मेसर्स आयरन एंड स्टील, मेसर्स जैन आयरन स्टोर और अन्य कर्मचारी राजकीय निर्माण निगम को दोषी पाया गया।
वहीं विनोद कुमार सिंह तत्कालीन इकाई प्रभारी, एचपी भट्ट तत्कालीन सहायक अभियंता सिविल को तत्काल प्रभाव से निगम प्रबंध द्वारा निलंबित कर दिया गया।