कांग्रेस में खुली जंग के संकेत, दिग्गजों ने पार्टी की मजबूती के बहाने नेतृत्व को कठघरे में डाला

सिर पर भगवा रंग की डोगरा पगड़ी और निशाने पर कांग्रेस नेतृत्व। जम्मू में गांधी की विचारधारा के प्रसार के नाम पर हुआ शांति सम्मेलन कांग्रेस की सियासी खींचतान का खुला अखाड़ा बन गया। इस दौरान गुलाम नबी आजाद के साथ देशभर से आए कांग्रेसी दिग्गज कांग्रेस को बचाने के नाम पर अपनी ही पार्टी हाईकमान से लड़ाई जारी रखने का संकेत दे गए। भले ही किसी बड़े नेता का नाम नहीं लिया, लेकिन पार्टी की हालत के लिए शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाने से भी वे नहीं चूके।

शनिवार को गांधी ग्लोबल फैमिली की ओर से आयोजित शांति सम्मेलन में पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में जमा हुए कांग्रेस के धुरंधरों ने साफ कर दिया कि बीते साल अगस्त में उन्होंने जिस बदलाव के लिए आवाज उठाई थी, उसे लाए बिना वह चैन से नहीं बैठने वाले। उन्होंने कहा कि जी-23 कहने वाले जान लें, यह गांधी-23 है, यह गांधी की कांग्रेस है, यही असली कांग्रेस है। खास बता यह है कि इन नेताओं ने कश्मीर और अन्य मसलों पर सरकार की नीतियों को कोसा लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक बार भी नाम नहीं लिया।

राज्यसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद गुलाम नबी आजाद पहली बार शुक्रवार को जम्मू पहुंचे। उनके साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा, राज बब्बर और राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा भी आए थे। गुलाम नबी आजाद गांधी ग्लोबल फैमिली के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। अलबत्ता, गांधी ग्लोबल फैमिली का शांति सम्मेलन सिर्फ कांग्रेस के इन नेताओं को सम्मानित करने तक सीमित नहीं रहा। सम्मेलन एक तरह से गुलाम नबी आजाद के लिए शक्ति प्रदर्शन करने का मौका और कांग्रेस नेतृत्व पर दबाव बनाने का अवसर अधिक दिखा।

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मैंने गांधी की विचारधारा से अपनी राजनीति शुरू की थी। हमारी जिंदगी भी इसी विचारधारा के साथ समाप्त होगी। उन्होंने कहा कि राजनीति में कभी लड़ाई खत्म नहीं होती, कभी यह बेरोजगारी के खिलाफ होती है तो कभी अशिक्षा और गरीबी के खिलाफ तो कभी निजाम बदलने के लिए। उन्होंने कहा कि मैं राजनीति से रिटायर नहीं हुआ हैं। मैं संसद से कई बार यूं रिटायर हुआ हूं। 

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मैं वो सूरज हूं, जो इस तरफ डूबता है तो उस तरफ से फिर निकल आता है। हम कांग्रेस को मजबूत बनाएंगे। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के हालात का जिक्र करते हुए कहा कि हमें यहां कई चीजों के खिलाफ लड़ना है। प्रदेश से पाकिस्तान और चीन की सीमाएं लगती हैं। हम तभी इनका मुकाबला कर सकेंगे जब आपस में प्यार और मुहब्बत से रहें। उन्होंने देश की एकता अखंडता के लिए सुरक्षाबलों की सराहना करते हुए कहा कि बीते डेढ़ साल से प्रदेश के हालात ठीक नहीं हैं। प्रदेश के टुकड़े हो गए हैं, हमारी पहचान चली गई है। यहां जल्द विधानसभा बहाल होनी चाहिए।

पूर्व सांसद गुलाम नबी आजाद समेत कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं ने अगस्त में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र लिखकर कांग्रेस नेतृत्व की नीतियों के प्रति अपना असंतोष जताया था। इन नेताओं ने कांग्रेस की नीतियों में सुधार पर जोर देते हुए जमीनी स्तर के नेताओं व कार्यकर्ताओं को शामिल कर संगठनात्मक चुनाव कराने पर जोर दिया था। हालांकि दिसंबर, 2020 में सोनिया गांधी के साथ बागी नेताओं की मुलाकात के बाद विरोध के स्वर कुछ शांत होते नजर आ रहे थे। कहा जा रहा था कि दोनों पक्ष एक समझौते पर पहुंच गए हैं पर यह अब भंग होता नजर आ रहा है।

राज बब्बर : कुछ लोग हमें जी-23 कहते हैं, मैं कहता हूं कि यह गांधी-23 है। यही असली कांग्रेस है। आजाद साहब की राजनीतिक यात्रा समाप्त नहीं हुई है, यह तो अभी आधी भी नहीं हुई है।

मनीष तिवारी : आज जिस मुश्किल दौर से कांग्रेस और यह मुल्क गुजर रहा है, उसमें हमें गुलाम नबी आजाद की सबसे ज्यादा जरूरत है।

कपिल सिब्बल : मुझे समझ नहीं आता कि कांग्रेस गुलाम बनी आजाद का इस्तेमाल क्यों नहीं करती। हमें इस देश में एक नई आजादी की लड़ाई लड़नी है। इसके लिए हम सब एक हैं।

आनंद शर्मा : हम नहीं चाहते कि कांग्रेस कमजोर हो। कांग्रेस की पहचान हम लोगों से है। हम कांग्रेस को बनाएंगे। दूसरे दल भी चाहते हैं कि कांग्रेस मजबूत हो, ताकि यहां एक मजबूत विपक्ष हो।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा : गुलाम नबी आजाद का सफर समाप्त नहीं हुआ है, इनका नया सफर, नया संघर्ष शुरू हुआ है। कांग्रेस में दो तरह के लोग हैं और उनमें से एक वह हैं, जिनमें कांग्रेस पूरी तरह रची बसी है। आजाद उनमें से एक हैं।

वीके तन्खा : हम जम्मू-कश्मीर के हक के लिए संसद के भीतर और बाहर हर जगह आवाज उठाते रहेंगे। जम्मू-कश्मीर हमारा एक हिस्सा है, हमारा परिवार है।

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक
-क्यों न्यूज़ मीडिया संकट में है और कैसे आप इसे संभाल सकते हैं
कद्र करते हैं. इस विश्वास के लिए हमारा शुक्रिया.
-आप ये भी जानते हैं कि न्यूज़ मीडिया के सामने एक अभूतपूर्व संकट आ खड़ा हुआ है. आप मीडिया में भारी सैलेरी कट और छटनी की खबरों से भी वाकिफ होंगे. मीडिया के चरमराने के पीछे कई कारण हैं. पर एक बड़ा कारण ये है कि अच्छे पाठक बढ़िया पत्रकारिता की ठीक कीमत नहीं समझ रहे हैं.

-द दस्तक 24 अच्छे पत्रकारों में विश्वास करता है. उनकी मेहनत का सही मान भी रखता है. और आपने देखा होगा कि हम अपने पत्रकारों को कहानी तक पहुंचाने में जितना बन पड़े खर्च करने से नहीं हिचकते. इस सब पर बड़ा खर्च आता है. हमारे लिए इस अच्छी क्वॉलिटी की पत्रकारिता को जारी रखने का एक ही ज़रिया है– आप जैसे प्रबुद्ध पाठक इसे पढ़ने के लिए थोड़ा सा दिल खोलें और मामूली सा बटुआ भी.

अगर आपको लगता है कि एक निष्पक्ष, स्वतंत्र, साहसी और सवाल पूछती पत्रकारिता के लिए हम आपके सहयोग के हकदार हैं तो नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करें और हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें . आपका प्यार द दस्तक 24 के भविष्य को तय करेगा.
https://www.youtube.com/channel/UC4xxebvaN1ctk4KYJQVUL8g
आदर्श कुमार

संस्थापक और एडिटर-इन-चीफ