भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे मंझी हुई एक्ट्रेसेस में गिना जाता था शोभा को, जानिए कैसे उनकी मृत्यु आज भी रहस्य है

1983 में आई श्रीदेवी और कमल हासन की फिल्म सदमा याद है? इस ट्रेजिक लव स्टोरी को साउथ के मशहूर फिल्ममेकर बालू महेंद्र ने डायरेक्ट किया था। वही बालू महेंद्र जिनपर एक्ट्रेस शोभा की हत्या के आरोप लगे थे, वो भी शादी के चंद साल बाद।
आज हम आपको उसी शोभा की अनसुनी कहानी सुनाने जा रहे हैं। शोभा…साउथ की वो एक्ट्रेस जिसे भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे मंझी हुई एक्ट्रेसेस में गिना जाता है। कम उम्र में स्टारडम हासिल कर शोभा नेशनल अवॉर्ड और केरल स्टेट अवॉर्ड जीतने वाली एक्ट्रेस बनी थीं, लेकिन अफसोस की उनकी जिंदगी भी चंद सालों में ही सिमट गई। 26 साल बड़े शादीशुदा फिल्ममेकर बालू महेंद्र के हुनर के आगे शोभा उन्हें दिल दे बैठीं। परिवार के खिलाफ शादी भी की, लेकिन फिर एक दिन अचानक उनकी मौत हो गई। शोभा की मौत आत्महत्या थी या साजिश, ये उनकी मौत के 44 साल बाद भी अनसुलझी गुत्थी है।
23 सितंबर 1962। शोभा का जन्म प्रेमा मेनन और के.पी. मेनन के घर हुआ था। शोभा का असली नाम महालक्ष्मी मेनन था, जिसे फिल्मों में आने पर बदला गया था। उनकी मां प्रेमा मलयाली सिनेमा की छोटी-मोटी एक्ट्रेस हुआ करती थीं, जिन्होंने चंद फिल्मों में मामूली रोल प्ले किए थे।
बचपन से ही शोभा को डांस में रुचि थी। मां की मदद से 1966 में शोभा को महज 4 साल की उम्र में तमिल थ्रिलर फिल्म थात्तुंगल थिराक्कप्पदुम में काम मिल गया। इस फिल्म को जे.पी.चंद्रबाबू ने बनाया था, जिसमें शोभा को बेबी महालक्ष्मी नाम से क्रेडिट दिया गया था।
आगे शोभा ने 5 साल की उम्र में पी. वेनू की फिल्म उद्योगस्थ से मलयाली सिनेमा में कदम रखा। इस फिल्म को मलयाली सिनेमा की पहली मल्टीस्टारर फिल्म कहा जाता है, जिसमें सत्यन, प्रेम नजीर, के.पी. उम्मेर, पद्मिनी, शारदा, शीला और राजश्री जैसे कई मशहूर मलयाली कलाकार थे।
फिल्म हिट रही और 5 साल की शोभा को काफी सराहना मिली। आगे उन्हें तमिल, कन्नड़ और मलयाली भाषा की दर्जनों फिल्में मिलीं, जिसमें वो बतौर बाल कलाकार नजर आती थीं। शोभा करीब 14-15 साल की रही होंगी, जब उनकी मां प्रेमा उन्हें मद्रास ले गईं, जो 60 के दशक में सिनेमा का हब हुआ करता था। प्रेमा को उस समय तक फिल्में मिलनी बंद हो गई थीं, जिससे उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे में उन्होंने शोभा के फिल्मी करियर को कमाई का जरिया बनाया।
बेबी शोभा साउथ सिनेमा की पसंदीदा चाइल्ड आर्टिस्ट में से एक थीं, लेकिन उनका हुनर इस कदर था कि महज 15 साल की उम्र में ही उन्हें साउथ में लीड रोल दिया जाने लगा। 15 साल की उम्र में शोभा 1977 में तमिल, कन्नड़, मलयाली और तेलुगु भाषा की 6 फिल्मों में नजर आईं। लेकिन उन्हें पहचान मिली 1978 की फिल्म उथरादा रात्रि से। ये शोभा की पहली मलयाली फिल्म थी, जिसमें वो हीरोइन थीं।
17 की उम्र में अवॉर्ड जीतकर शोभा ने अपने हुनर से वो कमाल दिखाया कि हर प्रोड्यूसर उन्हें फिल्म में लेने के लिए उनके किराए के घर के बाहर लाइन में खड़ा होता था। शोभा की उम्र बेहद कम थी तो उनकी मां प्रेमा ही उनकी मैनेजर की तरह काम किया करती थीं। शोभा किस फिल्म में काम करेंगी और उनकी फीस क्या होगी, ये प्रेमा ही तय करती थीं। हर फिल्म के साथ शोभा की मां उनकी फीस बढ़ाती जा रही थीं।
1978 में उनकी बंधनम और नीलाकाशम जैसी दर्जन भर फिल्में रिलीज हुई। 1978 में ही शोभा को कन्नड़ फिल्म अपरिचित के लिए फिल्मफेयर (कन्नड़) बेस्ट एक्ट्रेस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। 5 हजार रुपए से शुरू हुई उनकी फीस 25 हजार तक पहुंच चुकी थी, जो फिल्म पासी के बाद 75 हजार रुपए हो गई।
नेशनल अवॉर्ड के अलावा फिल्म पासी के लिए शोभा को फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस का दूसरा अवॉर्ड भी मिला था। उन्हें फिल्म ओरमाकल मारीक्कुमो के लिए दूसरा केरल स्टेट अवॉर्ड भी मिला।
चंद फिल्मों से ही शोभा मलयाली और कन्नड़ सिनेमा की सबसे कामयाब एक्ट्रेस बन गईं। जिस समय बड़े-बड़े हीरो भी महज 30-40 हजार रुपए फीस लिया करते थे, उस समय शोभा की मां हर फिल्म के लिए 50-75 हजार रुपए मांगती थीं। शोभा के हुनर के आगे हर प्रोड्यूसर उन्हें ये रकम देने के लिए राजी हो जाते थे।
1978 में शोभा कन्नड़, तमिल और मलयाली फिल्मों की सबसे टॉप एक्ट्रेस हुआ करती थीं, जिन्हें देखने भर के लिए घर के बाहर फैंस का जमावड़ा हुआ करता था। इस बीच उन्हें कई बड़े घरों के लड़कों की तरफ से शादी के प्रस्ताव मिलते थे, लेकिन उनका मां नहीं चाहती थीं कि शोभा शादी करें। उनका मानना था कि अगर शोभा की शादी हो गई तो वो उन्हें खर्चा देना बंद कर देगी।
शोभा की मां प्रेमा मद्रास में घर खरीदना चाहती थीं, जिसके लिए उन्हें बड़े अमाउंट की जरुरत थी। पैसे जमा करने के लिए उन्होंने हर प्रोड्यूसर से साइनिंग अमाउंट ले लिया। मां के दबाव में शोभा को न चाहते हुए भी दिन रात शूटिंग करनी पड़ती थी। समय के साथ शोभा महज अपने घरवालों के लिए कमाई की मशीन बन गईं। उन्हें अपनी मर्जी से बाहर निकलने, समय बिताने या फिल्में चुनने की भी आजादी नहीं थी।एक समय ऐसा आया, जब शोभा की उनकी मां से अनबन होने लगीं। शोभा कुछ दिनों तक आराम करना चाहती थीं, लेकिन मां ने उन्हें उसकी भी इजाजत नहीं थी। इसी बीच शोभा को उस जमाने के मशहूर फिल्ममेकर बालू महेंद्र के साथ दूसरी फिल्म ऑफर हुई। फिल्म का नाम था अजियाला कोलंगल। इससे पहले शोभा ने बालू महेंद्र के निर्देशन में बनी 1977 की फिल्म कोकिला में काम किया था।
फिल्म अजियाला कोंलंगल की शूटिंग के समय साथ समय बिताते हुए शोभा, बालू को पसंद करने लगीं, जबकि वो पहले से शादीशुदा थे, उनका एक बेटा था और वो उनसे उम्र में 26 साल बड़े थे।
बालू भी शोभा को पसंद करने लगे। उन्होंने अपनी अगली फिल्म मूदु पानी के लिए शोभा को ही अपनी प्रेरणा बनाया और उन्हें ही फिल्म में लीड रोल दिया। शोभा के पास 1978 में कई फिल्में थीं, लेकिन जब उनकी बालू महेंद्र से नजदीकियां बढ़ने लगीं तो उन्होंने फिल्मों को तवज्जों देना कम कर दिया। मां शोभा के इस कदम से बेहद नाराज हुईं, क्योंकि उन्हें घर पूरा करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पैसों की जरुरत थीं।
जब घरवालों को पता चला कि शोभा, बालू महेंद्र को पसंद करती हैं, तो घरवालों ने उन पर पाबंदी लगानी शुरू कर दी। इस बीच शोभा ने सबके सामने कह दिया कि वो बालू महेंद्र से ही शादी करेंगी। मां ने शोभा को समझाया की बालू उनसे दोगुनी उम्र के हैं और एक बच्चे के पिता हैं। लेकिन शोभा नहीं मानीं।
जब घर में विरोध बढ़ने लगा तो एक दिन शोभा ने बिना किसी को बताए अपना घर छोड़ दिया। दोनों छिपने के लिए मद्रास में एक किराए के घर में रहने लगे। दोनों का रिश्ता ठीक चल रहा था कि शोभा के घरवालों और बालू की पत्नी को उनके ठिकाने का पता चल गया। घरवाले कई बार उनके घर पहुंचकर वापस ले जाने के लिए हंगामा करते थे, लेकिन वो कभी नहीं लौटीं। कई हंगामे हुए और शोभा पर बालू की शादी तोड़ने का आरोप लगने लगा।
जब बदनामी होने लगी तो शोभा ने अपने किराए के घर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और अनाउंस किया कि उन्होंने अपनी मर्जी से बालू से शादी की है और वो अब उनके ही साथ रहेंगी। हालांकि आज भी दोनों की शादी के कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं।
जब कुछ देर बाद बालू उस कॉन्फ्रेंस में पहुंचे तो उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने वाकई शादी कर ली है। इस सवाल पर बालू ने सरेआम कहा कि उनकी और शोभा की शादी नहीं हुई है वो बस दोस्त हैं। ये सुनकर शोभा बुरी तरह टूट गईं, हालांकि उनका रिश्ता बरकरार रहा।
शोभा फिल्मों से दूरी बनाकर बालू के साथ शादीशुदा जिंदगी जी ही रही थीं कि एक दिन अचानक बालू ने पत्नी अखिलेश्वरी और 9 साल के बेटे शंकी के साथ रहने का फैसला कर लिया। बालू के इस फैसले से शोभा बुरी तरह टूट गईं, क्योंकि उन्होंने बालू के लिए अपना परिवार, करियर सब छोड़ दिया था।
जब घरवालों को अखबार के जरिए पता चला कि बालू शोभा को छोड़कर पत्नी के पास लौट गए हैं, तो परिवार ने अगली सुबह उन्हें घर लाने का फैसला किया। वो तारीख 1 मई 1980 थी, जब परिवार वाले शोभा को लेने पहुंचे थे। कई घंटों तक शोभा ने जब दरवाजा नहीं खोला तो सबको लगा वो नाराज हैं। जब पिता ने कमरे में झांकने के लिए खिड़की तोड़ी तो देखा शोभा का मृत शरीर पंखे पर लटक हुआ था। शोभा की अंतिम यात्रा में हजारों फैंस जमा हुए थे।
शोभा की मां ने उनकी मौत के बाद बालू महेंद्र पर उनकी हत्या का आरोप लगाया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनकी मौत को सुसाइड कहा गया, लेकिन कई सबूत बालू के खिलाफ थे। शोभा की मां प्रेमा ने तत्कालीन प्राइम मिनिस्टर इंदिरा गांधी को खत लिखकर इन्वेस्टिगेशन की मांग की थी। 1980 में तमिलनाडु के गवर्नर प्रभु दास पटवारी ने भी पुलिस को हत्या के एंगल से इन्वेस्टिगेशन करने के ऑर्डर दिए थे। जांच के दौरान बालू महेंद्र विवादों से घिर गए और उन्हें शोभा के फैंस के आक्रोश का भी सामना करना पड़ा। हालांकि शोभा की मौत के 44 साल बाद आज भी उनकी मौत सवालों के घेरे में हैं।
महज 17 साल की बेटी शोभा को खोने के बाद मां प्रेमा गहरे सदमे में चली गईं। उन्होंने शोभा को इंसाफ दिलाने की हर मुमकिन कोशिश की, लेकिन शोभा की मौत की गुत्थी सुलझ ही नहीं सकी। शोभा की मौत के 4 साल बाद 1984 में प्रेमा ने भी आत्महत्या कर ली। मौत के बाद शोभा की 4 फिल्में रिलीज हुई थीं।
अगले शनिवार 13 जनवरी को पढ़िए एम.आर.राधा की कहानी, जिन्हें एक्टिंग का किंग कहा जाता है। मामूली कहासुनी के बाद उन्होंने सुपरस्टार और पॉलिटिशयन एम.जी.आर की हत्या के इरादे से उन पर 2 गोलियां चलाई थीं फिर खुद की कनपट्टी पर गोली चलाई थी।