प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए मंगलवार को शिवसेना ने कहा कि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को आर्टिकल 370 हटाने और सीएए को लागू करने का राजनितिक फायदा उठाने की जगह काम पर फोकस करना चाहिए। अपने मुखपत्र सामना के एक एडिटोरियल में शिवसेना ने रविवार को वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर भी सवाल उठाए जिसमें उन्होंने आर्टिकल 370 और सीएए पर दबाव के बावजूद पीछे न हटने की बात कही थी। शिवसेना ने पूछा कि उनपर दबाव बना कौन रहा है।
लेख में कहा गया कि दिल्ली में बीजेपी की हार ये बताती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी दिशा बदलने की जरूरत है। एक ही भाषण दोहराने से तालियां तो मिल जाएंगी लेकिन वोट डाइवर्ट हो जाएंगे जैसा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में देखने को मिला। आप क्या करेंगे अगर मोदी के अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में भी ऐसी ही हार मिली?
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने कहा ‘पीएम मोदी ने वाराणसी में कहा कि कितना भी दबाव क्यों न बन जाए हमारी सरकार आर्टिकल 370 और सीएए पर पीछे नहीं हटेगी।’ पीएम मोदी और अमित शाह ने दिल्ली चुनाव के हर भाषण में यही बात कही। लोगों ने बीजेपी के इस कैंपेन को रिजेक्ट कर दिया। अब प्रधानमंत्री ने वाराणसी में भी यही भाषण दिया है। सवाल ये है कि आर्टिकल 370 हटाए जाने और सीएए को लेकर पीएम मोदी पर आखिर दबाव बना कौन रहा है। आर्टिकल 370 हटाए जाने के केंद्र के फैसले के समर्थन करने वाली शिवसेना ने सवाल उठाया है कि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद क्या फर्क पड़ा।