बॉलीवुड के कई टैलेंटेड एक्टर हैं जो पॉपुलर हुए, मगर आज एक्टिंग की दुनिया से कोसों दूर हैं. वे जब हिंदी सिनेमा से बेदखल हुए, तो कुछ गुमनामी की जिंदगी जीने पर मजबूर हुए, तो कुछ ने अपना पेशा ही बदल लिया. फिल्म ‘पापा कहते हैं’ से मशहूर हुई एक्ट्रेस मयूरी कांगो की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जो आईआईटी छोड़कर एक्ट्रेस बनी थीं. पॉपुलर और टैलेंटेड होने के बावजूद जब बॉलीवुड में उनके साथ सौतेला बर्ताव हुआ, तो उन्होंने अपना पेशा बदल लिया. वे आज गूगल इंडिया की हेड हैं.
हिंदी सिनेमा ने कई कलाकारों को फर्श से अर्श तक पहुंचाया है, तो कई ऐसे भी सितारें हैं जो पॉपुलर और टैलेंटेड होने के बावजूद गुमनाम जिंदगी जीने को मजबूर हुए. ‘पापा कहते हैं’ फेम मयूरी कांगो के साथ जब फिल्म इंडस्ट्री में सौतेला बर्ताव हुआ, तो उन्होंने झुकने के बजाय अपनी फील्ड ही बदल ली मयूरी कांगो ने 90 के दौर में बॉलीवुड में कदम रखा था. उन्होंने फिल्मों में करीब 5 साल काम किया और कई हिट फिल्मों का हिस्सा रहीं. वे पहली बार लोकप्रिय फिल्म ‘नसीम’ में दिखी थीं, जिसके बाद आई ‘पापा कहते हैं’ से वे रातों रात स्टार बन गई थीं. दर्शकों ने ‘होगी प्यार की जीत’ और ‘बादल’ जैसी फिल्मों में भी उनके काम को सराहा. लेकिन उन्होंने अचानक सिनेमा से दूरी बना ली.
मयूरी कांगो के ताल्लुक राजनीतिक परिवार से हैं. उनके पिता भालचंद्र कागो कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े नेता रहे हैं, जबकि मां सुजाता एक एक्ट्रेस थीं, जिनसे प्रेरणा पाकर उन्होंने एक्टिंग में करियर बनाया, हालांकि मयूरी के पैरेंट्स की दिली ख्वाहिश थी कि वे पढ़-लिखकर बिजनेस में नाम कमाएं. वे भी शुरू में किसी कंपनी की सीईओ बनने का सपना देखती थीं, मगर माहौल कुछ ऐसा बना कि उनका झुकाव एक्टिंग की ओर हो गया.
मयूरी कांगो पढ़ाई-लिखाई में आगे रहती थीं. उन्हें 12वीं पास करने के बाद मां सुजाता के साथ मुंबई जाने का मौका मिला. वे फिल्म के सेट पर अक्सर मां के साथ ही रहती थीं. इस बीच, उन्होंने जीईई एग्जाम क्रेक करके आईआईटी कानपुर में दाखिला ले लिया. एक दिन मयूरी पर डायरेक्टर सईद अख्तर मिर्जा की नजर पड़ी. वे नौजवान मयूरी से प्रभावित हुए और उन्हें फिल्म ‘नसीम’ का ऑफर दे दिया. चूंकि मयूरी आईआईटी में पढ़ रही थीं, इसलिए उन्होंने हां कहने में वक्त लिया. उन्होंने एक्टिंग के लिए आईआईटी छोड़ दी.
दो नेशनल अवॉर्ड जीतने वाली फिल्म ‘नसीम’ में मयूरी कांगो ने जहां लीड रोल निभाया था, वहीं उनकी मां सुजाता का भी खास रोल था. एक्ट्रेस के पास कई फिल्मों के ऑफर आए, जिनमें उन्होंने अजय देवगन, संजय दत्त जैसे सितारों के साथ काम किया. महेश भट्ट ने ‘नसीम’ देखने के बाद मयूरी को फिल्म ‘पापा कहते हैं’ में जुगल हंसराज के अपोजिट कास्ट कर लिया. साल 1996 की यह फिल्म सुपरहिट रही, जिसका गाना ‘घर से निकलते ही’ आज भी लोग खूब सुनते हैं. मयूरी रातोंरात स्टार बन गईं, तो उन्हें मेकर्स ने हाथोंहाथ लिया. वे ‘बेताबी’, ‘मेरे अपने’, ‘होगी प्यार की जीत’ के अलावा बॉबी देओल की फिल्म ‘बादल’ में भी नजर आई थीं.
मयूरी कांगो के टैलेंट को सबने पहचाना. वे एक के बाद एक फिल्में साइन कर रही थीं, मगर अचानक उनका दिखना बंद हो गया. कहते हैं कि उन्होंने आगे जो भी फिल्में साइन की थीं, वे बन नहीं पाईं. उन्हें मनहूस कहा गया. बॉलीवुड में उनके साथ सौतेला बर्ताव हुआ. फिल्मों में काम मिलना कम हुआ, तो एक्टिंग करियर भी सिमट गया. वे टीवी सीरियलों में काम करने लगीं, जिनमें ‘नरगिस’, ‘डॉलर बहू’ और ‘कुसुम’ भी शामिल हैं.
मयूरी कांगो की जिंदगी में फिर एक वक्त ऐसा आया जब उन्होंने एक्टिंग से हमेशा के लिए दूरी बनाई और एनआरआई बिजनेसमैन आदित्य ढिल्लों के साथ घर बसा लिया. अमेरिका शिफ्ट होने के बाद बिजनेस की पढ़ाई शुरू की. उन्होंने फिर कई बड़ी कंपनियों को अपनी सेवाएं दीं, हालांकि बच्चों की परवरिश के लिए वे भारत लौट आईं. मयूरी कांगो को साल 2019 में गूगल के लिए काम करने का मौका मिला. वे आज गूगल इंडिया के हेड के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही हैं.