2 जुलाई को भतीजे अजित पवार के पार्टी तोड़ने के बाद शरद पवार अकेले पड़ गए, पढ़िए रिपोर्ट

विपक्षी खेमे की 26 पार्टियां कर्नाटक के बेंगलुरु में एक टेबल पर बैठी हैं। नजर 2024 के लोकसभा चुनाव पर है। 17 और 18 जुलाई को तय इस मीटिंग में NCP से शरद पवार को भी आना था, पर पहले दिन अचानक खबर आई कि पवार बैठक में नहीं जा रहे हैं।
इस खबर से हैरानी इसलिए हुई, क्योंकि जितनी जरूरत अभी विपक्ष को शरद पवार की है, उतनी ही शरद पवार को विपक्ष की। हालांकि, 17 जुलाई देर शाम तक खबर आई कि पवार भी विपक्ष की मीटिंग में शामिल हो सकते हैं।
2 जुलाई को भतीजे अजित पवार के पार्टी तोड़ने के बाद शरद पवार अकेले पड़ गए। अजित ने पार्टी पर दावा करने के साथ ही शरद पवार को अध्यक्ष पद से हटा दिया। अब शरद पवार की कोशिश है पार्टी उनके पास बची रहे।
इस बीच 17 जुलाई को बागी विधायक दो दिन में दूसरी बार शरद पवार से मिलने चले गए। रविवार, 16 जुलाई को भी अजित पवार 8 मंत्रियों के साथ शरद पवार से मिले थे। इससे पहले अजित पवार 14 जुलाई को भी उनके घर गए थे।
इससे महाराष्ट्र की राजनीति को समझने का दावा करने वाले लोग भी उलझ गए कि ये हो क्या रहा है। कार्यकर्ता कन्फ्यूज हैं कि किसके साथ जाएं। इन सवालों का जवाब तलाशते हुए हम मुंबई से 261 किलोमीटर NCP के गढ़ पुणे, बारामती और पवार के गांव काटेवाड़ी पहुंचे।
इन्हीं जगहों से निकलकर शरद पवार नेशनल लीडर बने थे। यहां के लोगों ने शरद पवार को बहुत करीब से देखा है। इन्हीं में से एक हैं 85 साल के चंद्रराव तावड़े। शरद पवार के बचपन के दोस्त। दोनों ने साथ में राजनीति शुरू की थी। चंद्रराव तावड़े अभी BJP से जुड़े हैं।

NCP की टूट पर तावड़े कहते हैं, ‘यही शरद पवार की राजनीति है। अजित पवार का उनसे अलग होना सिर्फ लोगों को दिखाने के लिए है। मैं 40 साल से उन्हें जानता हूं। मुझे उनका स्वभाव पता है। इसलिए मुझे लगता है कि ये फूट नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश के भोपाल की एक रैली में 70 हजार करोड़ रुपए के घोटाले पर एक्शन की बात कही, इसके बाद अजित पवार BJP के खेमे में पहुंच गए।’
‘अजित पवार अगले विधानसभा चुनाव में BJP के साथ 90 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और शरद पवार की सीटों के साथ विधानसभा में NCP की सरकार लाएंगे।’
चंद्रकांत तावड़े ही नहीं, बारामती के लोग और NCP कार्यकर्ता भी दबी जुबान में कह रहे हैं कि अजित पवार का NCP से अलग होना शरद पवार की स्ट्रैटजी हो सकती है। कंडीशन कोई भी हो, फायदा NCP को ही होगा।
अजित पवार शिवसेना के साथ रहें या BJP के, मजबूत स्थिति में वही रहेंगे। NCP का एक हिस्सा NDA की पार्टियों के वोट हासिल करेगा और दूसरा महाविकास अघाड़ी के।
चंद्रराव तावड़े की बातों से साफ है कि NCP में बिना शरद पवार की मर्जी के कुछ नहीं होता। यही बात बारामती में भी दिखती है। ये शहर पवार परिवार का पावर हाउस माना जाता है। बारामती के डेवलपमेंट की बातें पूरे महाराष्ट्र में होती हैं। यहां बड़े एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, हॉस्पिटल और बेहतरीन सड़कें हैं।

अजित पवार बारामती से ही विधायक हैं। पश्चिम महाराष्ट्र के इस इलाके में बारिश कम होती है, लेकिन यहां के लोगों को पानी की परेशानी न हो, इसलिए शहर के बीचोंबीच पक्की नहर है। लोग मानते हैं कि इस डेवलपमेंट की वजह पवार परिवार ही है।

यहां NCP के कार्यकर्ताओं के मन में क्या चल रहा है, इसे समझने हम बारामती के NCP रूरल ऑफिस पहुंचे। ये ऑफिस शहर के मेन बस स्टैंड के पास एक इमारत में है। हम पहुंचे तब न के बराबर भीड़ थी। कोई भी कैमरे पर बोलने को तैयार नहीं। ऑफिस के एक स्टाफ ने बताया कि कार्यकर्ता कन्फ्यूज हैं कि किसके साथ जाना है। उन्हें लग रहा है कि पवार परिवार फिर एक हो जाएगा
NCP ऑफिस से हम मालेगांव पहुंचे। यहां शरद पवार का बंगला ‘गोविंद बाग’ है। शरद पवार यहां जनता दरबार लगाते थे। बाद में अजित पवार भी हर शनिवार और रविवार को लोगों की समस्याएं सुनने लगे।
हम रविवार को ही यहां पहुंचे थे, पर शरद पवार के घर और 14 किमी दूर बने अजित पवार के फार्म हाउस पर एक भी कार्यकर्ता नहीं था। शरद पवार के बंगले पर मौजूद सिक्योरिटी गार्ड ने बताया कि पहले यहां कई किमी तक गाड़ियों की लाइन होती थी, अब पार्टी टूटने के बाद लोग डरे हुए हैं। यहां कोई नहीं आ रहा है
मालेगांव में हमें रविराज सदाशिव तावड़े मिले। तावड़े की पत्नी NCP से जिला पंचायत सदस्य हैं। उन्होंने बताया, ‘NCP बनने से पहले से मैं अजित पवार के साथ हूं। बारामती का हर शख्स पवार परिवार के साथ खड़ा रहा है। अब इसे अजित पवार चला रहे हैं। इसीलिए यहां के लोग उनके साथ हैं। हम पवार साहब (शरद पवार) का विरोध नहीं कर रहे, सिर्फ दादा को सपोर्ट कर रहे हैं।’पार्टी में टूट क्यों हुई, NCP कार्यकर्ता अब तक नहीं समझ पाए हैं। पार्टी से जुड़े सतीश तावड़े कहते हैं, ’अलगाव क्यों हुआ, ये पता नहीं चल रहा है। बारामती के सभी लोग चाहते हैं कि पवार परिवार एक रहे।’
जीवन खराटे NCP बनने के बाद से ही पवार परिवार से जुड़े हैं। वे कहते हैं, ‘समझ नहीं आ रहा कि किसकी ओर जाएं। अजित और शरद पवार ने कार्यकर्ताओं से कुछ नहीं कहा है।’ BJP के साथ जाने पर जीवन का कहना है कि इससे फायदा ही होने वाला है।
अजित पवार और BJP के गठबंधन से BJP के लोग कितने खुश हैं? इसका जवाब भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष युवराज तावड़े देते हैं। पार्टी के फैसले से नाखुश युवराज कहते हैं, ‘ये गठबंधन हमारी विचारधारा को सपोर्ट नहीं करता। यहां के कार्यकर्ता नाराज हैं।’
बारामती शहर से 12 किमी दूर है काटेवाड़ी गांव। शरद पवार की शुरुआती पढ़ाई इसी गांव में हुई थी। गांववालों के मुताबिक, यहीं के ग्राम पंचायत भवन में शरद पवार ने NCP का खाका खींचा था।
गांव में सुरेश से हमने पूछा कि पवार परिवार और पार्टी का बंटवारा हो चुका, तब यहां के लोग किसके साथ हैं। सुरेश बोले- मैं अजित पवार के साथ हूं। सुरेश के साथ खड़े राहुल भी अजित पवार के साथ हैं।
शरद पवार के पड़ोसी रहे सतीश देशमुख ने साफ कहा कि यह पूरा गांव अजित पवार के सपोर्ट में है। उन्होंने यहां काफी काम किया है। उनसे पहले यहां सिर्फ खंडहर थे। सड़क से लेकर पानी तक की सुविधा अजित पवार की वजह से है।
95 साल के रघुनाथ गुप्ते काटेवाड़ी गांव में सबसे बुजुर्ग हैं। शरद पवार उन्हें बड़ा भाई मानते हैं। रघुनाथ बताते हैं, ‘शरद के बड़े भाई आनंद राव मेरे दोस्त थे। अजित और शरद पवार दोनों अलग नहीं है।’
काटेवाड़ी के बाद हम अजित पवार की विधानसभा सीट बारामती लौट आए। NCP के सिटी ऑफिस में हमें महिला अध्यक्ष अनीता सुरेश गायकवाड मिलीं। वे कहती हैं, ‘जहां दादा जाएंगे, वहीं बारामती के लोग जाएंगे। उन्होंने बारामती के लिए जो किया, वो कोई नहीं कर पाया।’
वहीं बारामती अध्यक्ष विशाल पोपटराव जाधव का कहना है, ‘कार्यकर्ता सोचते हैं कि पवार परिवार में झगड़ा नहीं होना चाहिए।’ हमने पूछा कि क्या NCP ऑफिस में शरद पवार गुट के कार्यकर्ताओं की एंट्री होगी? जवाब में पोपटराव ने कहा कि 99% कार्यकर्ता अजित पवार के साथ हैं। बचे 1% भी जल्द हमारे साथ होंगे।
बारामती की राजनीति को समझने वाले सीनियर जर्नलिस्ट दत्ता महाडिक कहते हैं, ‘पार्टी के युवा कार्यकर्ता अजित पवार के साथ हैं। पार्टी के पुराने लोग अब भी शरद पवार को नेता मानते हैं। अजित पवार की डिसीजन कैपेसिटी काफी तेज है। उन्हें इसका फायदा मिलता नजर आ रहा है। अजित पवार ने शरद पवार से कई गुना ज्यादा काम किया है। धीरे-धीरे उनके साथ विधायक और एक्स मिनिस्टर बढ़ते जा रहे हैं।’
दत्ता महाडिक के मुताबिक, ‘सुप्रिया सुले बारामती से चुनाव जीतें, इसके लिए अजित पवार काफी मेहनत करते रहे हैं। चुनाव का पूरा काम उनके पास ही रहता था।’
पुणे में NCP का ऑफिस शुक्रवार पेठ में है। ऑफिस में मौजूद NCP कार्यकर्ताओं ने पार्टी में टूट के लिए ED और CBI के डर को जिम्मेदार बताया। यहीं हमें पार्टी के व्यापार सेल के अध्यक्ष भोला सिंह अरोरा मिले।
वे बताते हैं, ‘अब तक हुए सभी सर्वे में आया है कि ज्यादातर लोग शरद पवार के साथ हैं। वे हमेशा से मार्गदर्शक की भूमिका में रहे हैं। PM मोदी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु बता चुके हैं। पार्टी टूटी नहीं, तोड़ी गई है। इसका नुकसान पार्टी छोड़ने वालों को होगा।’
वहीं, प्रवक्ता विकास लवांडे कहते हैं कि कार्यकर्ता इस गठबंधन से नाराज हैं। हमारे विधायक BJP के साथ मजबूरी में गए हैं। हालांकि इससे पार्टी को नुकसान तो होगा।’
पुणे NCP के अध्यक्ष प्रशांत जगताप कहते हैं, ’पुणे शरद पवार की जन्म और कर्मभूमि रही है। NCP की शुरुआत ही यहां से हुई है। अजित पवार और सुप्रिया सुले का कर्मक्षेत्र भी पुणे ही रहा। मैं आइडियोलॉजी वाली पॉलिटिक्स करता रहा हूं, इसलिए मैं शरद पवार के साथ हूं।’
मने पूछा कि क्या अजित पवार गुट के लोगों की इस ऑफिस में एंट्री है। प्रशांत जगताप ने कहा कि हम 25 साल से एक-दूसरे के साथ थे। इसलिए वहां गए, सभी लोगों का हमेशा स्वागत रहेगा।प्रशांत ने बताया कि जो शिवसेना के साथ हुआ, वो हमारे साथ नहीं होगा। हमारी 29 राज्यों की कार्यकारिणी शरद पवार के साथ है। पार्टी का सिंबल शरद पवार के साथ रहेगा, तो छोड़कर गए लोग वापस आ जाएंगे।’
प्रशांत के पीछे सुप्रिया सुले और अजित पवार की फोटो लगी थी। वे कहते हैं, ’अभी हमें इलेक्शन कमीशन के सामने कुछ पेपर सब्मिट करना है। पार्टी के प्रोटोकॉल पर ऊपर से आदेश नहीं आया है। पार्टी जो तय करेगी, उसी हिसाब से ये तस्वीर रहेगी या हटेगी
अजित पवार को अपने साथ लाकर BJP ने महाराष्ट्र में अपनी सरकार बचाने की कोशिश की है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना से अलग होने वाले 16 विधायकों को अयोग्य करार देने पर जल्द फैसला आना है। माना जा रहा है कि ये फैसला शिंदे गुट के खिलाफ आएगा। इसके बाद शिंदे गुट के बचे हुए यानी 40 विधायकों की सदस्यता भी रद्द हो सकती है। इससे मौजूदा सरकार अल्पमत में आ जाएगी। संभावना है कि फिर देवेंद्र फडणवीस CM बनेंगे।