‘4 जनवरी की शाम करीब 4:30 बजे थे। मायापुरी मार्केट में एक बुजुर्ग पुलिसवाले हाथ पकड़कर 20-21 साल के लड़के को अपने साथ ले जा रहे थे। बार-बार कह रहे थे- ‘बेटा जी ये सब करना अच्छी बात नहीं।’ लेकिन उस लड़के के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था।
पुलिसवाले का ध्यान हटा, तो लड़के ने चुपके से पेंट की जेब से चाकू निकाल लिया। बुजुर्ग पुलिसवाले का ध्यान जाता, उससे पहले ही लड़के ने चाकू उनकी कमर में घुसेड़ दिया। वो इतने पर ही नहीं रुका और गले, पेट पर भी कई वार कर दिए। पुलिसवाले अंकल खुद को बचा नहीं पाए।’
इस घटना की CCTV फुटेज रोंगटे खड़े कर देती है। जैसे ही ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, लोगों ने सवाल किए कि मौके पर करीब 20-30 लोग थे। किसी ने शंभू को क्यों नहीं बचाया? आखिर वो कौन शख्स है, जिसने सरेआम एक पुलिसवाले को चाकुओं से मार डाला? जिस लड़के ने पुलिसवाले का मर्डर किया, उसका परिवार इसी झुग्गी बस्ती में रहता है।
इस केस में दो बातें और निकलीं। कुछ खबरों में बताया गया कि अनीश मुसलमान है, लेकिन दिल्ली पुलिस ने इसे गलत बताया है। अनीश के परिवार ने भी कहा कि वे हिंदू हैं। दूसरी कि अनीश नशा करता था। उसकी बस्ती में नशा आसानी से मिल रहा है। लड़कियां स्कूटी से स्मैक सप्लाई कर रही हैं।
ये कहानी इसी बस्ती से शुरू हुई थी। इसके पहले किरदार का नाम वंदना है। अनीश ने 4 जनवरी की शाम करीब 4 बजे वंदना के पति का मोबाइल और पैसे छीन लिए थे। वंदना बताती हैं- ‘लूट के आधे घंटे बाद मैंने देखा कि लूटने वाला पास ही पटरी पर बैठा है। मैं थाने पहुंची और पुलिस को बताया। ASI शंभूदयाल चाय पी रहे थे। उन्होंने चाय से आधा भरा कप वहीं रखा और साथ चल दिए।
शंभूदयाल अकेले ही थे। बस्ती में पहुंचे तो अनीश राज वहीं बैठा मिल गया। शंभूदयाल ने उसे पकड़ लिया और थाने की तरफ ले जाने लगे। जैसे ही वो झुग्गी पार करके सड़क पर आए, अनीश ने उन पर चाकू से हमला कर दिया। वहां 50 से ज्यादा लोग थे, पर उन्हें बचा नहीं पाए।’
ये कहते-कहते वंदना चुप हो जाती हैं। फिर कहती हैं- लोग डंडा-लाठी लेकर आए, लेकिन चाकू देखकर डर गए थे। शंभूदयाल बहुत अच्छे पुलिसवाले थे, उन्हें बड़ी बेरहमी से मार दिया।’
वंदना से आगे की कहानी ये है कि शंभू को चाकू मारने के बाद अनीश भागकर पास की ही एक फैक्ट्री में घुस गया था। वहां उसने एक मजदूर को बंधक बना लिया। पुलिस को धमकाने के लिए मजदूर की गर्दन पर चाकू रख दिया। काफी मशक्कत के बाद पुलिस टीम ने उसे पकड़ लिया।
CCTV फुटेज देखकर यही लगता है कि इतने लोगों के सामने बुजुर्ग पुलिसवाले को मार दिया, लेकिन कोई बचाने क्यों नहीं आया? इसका जवाब झुग्गी में ही रहने वाली रुखसार ने दिया- ‘ये कहना गलत है कि कोई बचाने नहीं आया। जो लोग वीडियो में दिख रहे हैं, उनमें ज्यादातर बच्चे हैं। मेरे पति भी अनीश के पीछे दौड़े थे। जब तक मैं पहुंची, शंभूदयाल को चाकू मारकर अनीश भाग गया था। उनका काफी खून बह रहा था। मैंने एक चादर उनकी कमर पर बांधा और खून रोकने की कोशिश की। मेरे पति उन्हें अस्पताल लेकर गए।’
ASI शंभूदयाल के बारे में जानने के लिए मैं मायापुरी पुलिस स्टेशन पहुंची। जिस कुर्सी पर शंभूदयाल बैठते थे, अब वो खाली है। वहां उनके साथी मिले। एक ने कहा- ‘कैमरे पर नहीं आऊंगा, मेरा नाम भी नहीं देना। मना किया गया है। मैं सात महीने से उनके साथ काम कर रहा था। उस दिन वो महिला थाने पहुंची, तो वे चाय पूरी पिए बिना ही तुरंत उसके साथ चल दिए। जिस युवक ने उन पर हमला किया उसे भी वो बेटा जी ही कह रहे थे।’
शंभूदयाल के बगल में बैठने वाले उनके साथी कहते हैं- कभी सोचा नहीं था कि इतने नेक आदमी के साथ ऐसा होगा। थाने में शंभूजी की अलग ही इज्जत थी। उनके जाने के बाद लग रहा है कि हमारा गार्जियन चला गया है।
चश्मदीदों ने भी बताया कि शंभू जब अनीश को पकड़कर ले जा रहे थे, तब भी वे उसे समझा रहे थे कि ऐसे काम क्यों करते हो। उन्हें अंदाजा नहीं था कि वो पीछे से हमला कर देगा।
20 साल का अनीश राज नशा करता है और पहले भी स्नैचिंग कर चुका था। अनीश के पिता सब्जी का ठेला लगाते हैं और मां घरों में सफाई का काम करती हैं। एक भाई है, जो मजदूरी करता है। सभी एक झुग्गी में रहते हैं, अंदर इतनी ही जगह है कि सिंगल बेड रख सकें। हम यहां पहुंचे तो अंदर से रोने की आवाज आ रही थी। ये अनीश की मां सुंदरी की आवाज थी।
बिना पूछे ही बोलीं- ‘मुझे समझ नहीं आ रहा, मेरे बेटे ने ऐसा कैसे कर दिया। एक नेक आदमी को मार दिया। उसने हमें कहीं का नहीं छोड़ा। मैं समझा-समझाकर थक चुकी थी। कोठी में काम करके लाती थी, वो पैसे भी ले लेता था। मैं उसे समझाती थी कि हम जैसे-तैसे मेहनत करके, कमाकर खिला रहे हैं, कुछ उल्टा सीधा मत करो। जो उसने किया है वो उसे भोग ही रहा है।’
सुंदरी कहती हैं- ‘पहले वो ऐसा बिलकुल नहीं था, लेकिन साल डेढ़ साल पहले उसे स्मैक की लत लगी। इसी नशे ने उसे बर्बाद कर दिया।’
पटरी पर रहने वाले कई लोगों ने बताया कि उस दिन भी अनीश स्नैचिंग के इरादे से गया था। उसे नशा करने के लिए पैसे चाहिए थे। उसने चाकू दिखाकर पैसे छीनने की कोशिश की थी, लेकिन कोई हत्थे नहीं चढ़ा।
अनीश का छोटा भाई अनिल बताता है- ‘मेरे भाई को एक-दो साल से नशे की लत थी। इसी वजह से वह ऐसी हरकत करता था। नशा आसानी से मिल जाता था। एक फोन करने पर 25 साल की एक लड़की आती है और नशा दे जाती है। स्कूटी पर उसके साथ एक लड़का भी होता है। लड़की 300 रुपए में स्मैक दे जाती थी।’
अनीश की मां सुंदरी भी कहती हैं- ‘मैंने कई बार उस लड़की और उसके एक साथी को स्कूटी पर स्मैक लाते हुए देखा है। उसके यहां आते ही नशा करने वालों की भीड़ लग जाती है। कुछ मिनट में ही माल बेचकर वो निकल जाती है।’
चश्मदीदों ने भी बताया कि हमले के वक्त अनीश राज नशा किए हुए था। हालांकि, पुलिस ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है। मैंने आसपास के लोगों से बात की, उन्होंने नशा बिकने की शिकायत की।
शंभूदयाल को बचाने की कोशिश करने वालीं रुखसार भी कहती हैं- ‘मैं 12 साल पहले यहां रहने आई थी। तब ये बस्ती बहुत अच्छी थी। अब यहां सब बुरे काम होते हैं। छोटे-छोटे बच्चे भी नशा कर रहे हैं।’
मैं बस्ती में निकली तो लोगों ने ऐसी 5 जगहें बताईं, जहां गांजा बिकता है। एक जगह 12 साल की लड़की गांजा बेचती दिखी, लेकिन मुझे देखते ही बोली- माल नहीं है, खत्म हो गया है। अब नहीं मिलता।
घटना के बाद कुछ खबरों ने अनीश राज का नाम मोहम्मद अनीस बताया गया था। उसे ‘जिहादी’ भी कहा गया। इस पर अनीश का छोटा भाई कहता है- ‘मीडिया में बता रहे थे कि मेरा भाई मुसलमान है। वो मुसलमान नहीं है, वो तो हिंदू है। बताया जाता है कि हिंदू-मुस्लिम में लड़ाई करवाई जाती है। ऐसे में सब उसको गलत मानेंगे।’57 साल के शंभू दयाल दिल्ली के मधु विहार इलाके में परिवार के साथ रहते थे। वे राजस्थान के सीकर जिले के रहने वाले थे और 1993 में बतौर कॉन्स्टेबल दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए थे। परिवार में पत्नी संजना के अलावा दो बेटियां गायत्री-प्रियंका और बेटा दीपक हैं। राजस्थान में उनका अंतिम संस्कार हो चुका है। परिवार अभी वहीं हैं। बेटे दीपक ने फोन पर मुझसे बात की। कहा कि वहां इतने लोग थे, अगर वे चाहते तो पापा बच जाते।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को शंभूदयाल के परिवार को एक करोड़ रुपए सम्मान राशि देने का ऐलान किया है।