शहडोल।जब शहडोल शहर में कोरोनावायरस का कहर चरम पर था तो कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट डॉ सत्येंद्र सिंह ने शहर के निजी अस्पतालों में नियमानुसार शुल्क निर्धारित कर कोविड-19 सेंटर की शुरुआत नगर के देवांता सहित अन्य अस्पतालों में की थी कलेक्टर डॉ सत्येंद्र सिंह ने भले ही ये शुरवात कोरोना संक्रमित मरीजों को बेहतर सुविधा और इलाज उपलब्ध कराने के उद्देश्य की थी पर आलम ऐसा है कि कोरोना संक्रमण के इलाज के नाम पर लूट मची है मामला बुधवार की शाम का है जब कोरोना संक्रमित मरीज के डिस्चार्ज के दौरान भर्ती समय पर निर्धारित शुल्क के स्थान पर डिस्चार्ज के दौरान मनमाना शुल्क वसूल किये जाने का मामला सज्ञान में आया, हालांकि इस मामले में कोई शिकायत नहीं हुई लेकिन परिजनों का बयान फोन कॉल व वीडियो में रिकॉर्ड हुआ। स्थानीय लोगों के माध्यम से जब मामला हमारी टीम के संज्ञान में आया तो मामले की जानकारी लेने के लिए देवांता अस्पताल संचालक डॉ बृजेश पांडे से संपर्क किया गया, तो हमारी टीम का यह सवाल डॉक्टर पांडे को इस कदर नागवार गुजरा कि उन्होंने अधिक पैसा लेने के सवाल पर ‘ हॉस्पिटल खोला ही हूं अधिक पैसा लेने के लिए’ यह जवाब दिया। भीषण महामारी कोविड-19 के दौरान निजी अस्पताल संचालक के इस प्रकार के जवाब से एक बात तो स्पष्ट है कि निजी अस्पतालों को कलेक्टर कमिश्नर सहित बड़े अधिकारियों का रत्ती भर भी भय नहीं है । फोन के कुछ ही मिनटों बाद परिजनों ने दोबारा हमारी टीम को जानकारी देते हुए बताया कि आपके और साथियो के गनगनाते फोन के बाद परिजनों को एक फायदा तो हुआ कि मीडिया के फोन पहुंच जाने के बाद ऑक्सीजन के नाम पर जो ₹50000 अतिरिक्त लिए जा रहे थे उसे कम कर दिया गया है जिसके लिए धन्यवाद। कोविड केयर के सेंटर का संचालन भले ही आम जनता को राहत दिलाने के लिए कराया गया था लेकिन मालूम पड़ रहा है कि संचालन की अनुमति मिलने के बाद कथित अस्पताल संचालकों को कोरोना संक्रमण के नाम पर लूटने की खुली छूट मिल गई है। उल्लेखनीय है कि संचालन के बाद से ही देवांता अस्पताल कभी नाबालिक के अबॉर्शन तो कभी खून की कालाबाजारी और हाल ही में ऑक्सीजन की कमी को लेकर जिले भर में सुर्खियां बटोर चुका है । तो वहीं बीते दिनों कोरोना संक्रमित मरीज के परिजन की वायरल कॉल रिकॉर्डिंग में भी निर्धारित शुल्क से कई गुना शुल्क लेने का उल्लेख किया गया था पर प्रशासन द्वारा इस संबंध में भी कोई कार्यवाही नहीं की गई थी। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस संबंध में क्या कदम उठाता है या हमेशा की तरह मैनेजमेंट की जोर पर मामला ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया जाएगा।
सवांददाता: संदीप साहू