महज 3 अरब डॉलर के फॉरेन रिजर्व (डिपॉजिट) के साथ दिवालिया होने की कगार पर खड़े पाकिस्तान को बचाने की आखिरी कोशिश शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने बुधवार रात सरकारी खर्च में जबरदस्त कटौती से जुड़े अहम ऐलान किए। कहा- मैं और कैबिनेट के बाकी मिनिस्टर्स सैलरी नहीं लेंगे। तमाम केंद्रीय मंत्री बिजली, पानी, गैस और टेलिफोन के बिल जेब से भरेंगे।
बहरहाल, हैरानी वाली बात ये है कि मुल्क बनने के बाद से अब तक (76 साल) के दौर में करीब आधा वक्त देश चला चुकी ताकतवर फौज के बजट पर शरीफ एक लफ्ज भी नहीं बोले। वो भी तब जबकि उसके पास अरबों रुपए का बजट है।
वजीर-ए-आजम (प्रधानमंत्री) शरीफ ने कई कैबिनेट मिनिस्टर्स के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कहा- इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) की शर्तों को पूरा करने के लिए सरकारी खर्च में बड़ी कटौती की जा रही है। यह आम-अवाम के लिए भी मैसेज है। यह खर्च में कमी के उपाय (Austerity Measures) हैं।
शरीफ ने कहा- सरकार के खर्च कम करके हम टैक्सपेयर्स के लाखों रुपए बचाएंगे। इसके लिए तमाम कदम उठाए जा रहे हैं और ये फैसला हमने बिना किसी दबाव के अपनी मर्जी से किया है।
पहली: पाकिस्तान में दो इदारों (विभाग) को सरकार से ज्यादा ताकत और तवज्जो हासिल है। ये हैं- आर्मी और ज्यूडिशियरी। शरीफ की प्रेस कॉन्फ्रेंस में ज्यूडिशियरी से तो खर्च कम करने और सादगी बरतने की अपील की गई, लेकिन फौज के बारे में एक लफ्ज भी शाहबाज के मुंह से नहीं निकला।
दूसरी: सीनियर जर्नलिस्ट हामिद मीर ने फौज का नाम लिए बिना तंज किया। कहा- किसी को तो छोड़ना ही था, इसलिए छोड़ दिया गया। जिन लोगों से डर या खतरा है, उनका नाम लेने से भी वजीर-ए-आजम ने गुरेज किया। बहरहाल, देखना सिर्फ इतना है कि शाहबाज ने जो मुहिम छेड़ी है, उसका कितना असर होता है। 13 पार्टियों की हुकूमत में कौन उनका कितना साथ देगा। ये एक हफ्ते में ही साफ हो जाएगा।
विदेश मंत्रालय से खर्च में 15% की कटौती करने को कहा गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ देशों में मौजूद एम्बेसीज को बंद किया जा सकता है। इसके अलावा स्टाफ कम करने और फिजूलखर्ची को सख्ती से रोकने के भी आदेश हैं।
फॉरेन मिनिस्ट्री से कहा गया है कि कुछ फॉरेन मिशन्स (एम्बेसीज या कॉन्स्यूलेट्स) बंद किए जाएं। इसके अलावा इन मिशन्स में तैनात स्टाफ कम किया जाए और दूसरे गैर जरूरी खर्च कम किए जाएं।
फॉरेन मिनिस्ट्री से कहा गया है कि खर्च में 15% कमी की जाए। इस बारे में प्राइम मिनिस्टर ऑफिस यानी PMO की तरफ से आदेश भी जारी कर दिया है। इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री सरकारी खर्च में कमी के लिए कमेटी बनाई है, क्योंकि इस वक्त इकोनॉमी की हालत अच्छी नहीं है। इसी कमेटी ने फॉरेन मिनिस्ट्री के एक्सपेन्स 15% घटाने की सिफारिश की थी। इसके बाद आदेश जारी किए गए।
रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान पहले ही दिवालिया चुका है। हम सब एक डिफॉल्ट हो चुके देश में रह रहे हैं। पाकिस्तान की आर्थिक तंगी को लेकर रक्षा मंत्री ने यहां तक कह दिया कि अब IMF भी हमारी मदद नहीं कर सकता है। हमें खुद ही इसका समाधान ढूंढना होगा।
रक्षा मंत्री ने देश के आर्थिक हालातों को लेकर नेताओं और नौकरशाही को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के संविधान का पालन नहीं किया गया। आसिफ ने इमरान की सरकार पर देश में आतंकियों को पनाह देने के आरोप लगाए।
31 जनवरी 2023 को नाथन पोर्टर के नेतृत्व में IMF की एक टीम पाकिस्तान पहुंचती है। वित्त मंत्री इशहाक डार के साथ इस टीम की दो चरणों में बैठक होती है। पहले चरण की बैठक 31 जनवरी से 3 फरवरी तक, जबकि दूसरे चरण की बैठक 3 फरवरी से 9 फरवरी तक चलती है।
बैठक में पाकिस्तान बेलआउट पैकेज के तहत IMF से कर्ज की मांग कर रहा था। दरअसल, 2019 में इमरान खान की सरकार के रहते IMF ने पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज के तहत 6 बिलियन डॉलर से ज्यादा की मदद देने का वादा किया था। अब इसी वादे के तहत पाकिस्तान IMF से 1.1 बिलियन डॉलर की एक और किश्त मांग रहा है। हालांकि इसके लिए 10 दिनों तक चली यह बैठक बेनतीजा रही। MF की टीम पाकिस्तान से लौट गई।
IMF के अधिकारी नाथन पोर्टर ने कहा- पाकिस्तान के साथ इस मुद्दे पर वर्चुअल चर्चा जारी रहेगी। फिलहाल, किसी एग्रीमेंट पर साइन नहीं किए गए।
IMF ने एक बार फिर से पाकिस्तान को MEFP नाम का मेमोरेंडम देने से इनकार कर दिया है। ये वो मेमोरेंडम है जिसके हाथ लगते ही पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज मिल जाएगा। IMF चाहता है कि पहले पाकिस्तान सरकार अपनी अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के लिए उसकी शर्तों को माने।
- IMF का कहना है कि पाकिस्तान पहले से ही 900 अरब डॉलर सर्कुलर कर्ज का सामना कर रहा है। ऐसे में अगर अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए पाकिस्तान सरकार अभी कोई कड़ा फैसला नहीं लेती है तो इससे पार पाने में आगे काफी मुश्किल होगी। ऐसे में पाकिस्तान की जनता से अलग-अलग टैक्स के जरिए 170 अरब रुपए वसूलने की सलाह दी गई है।
- दूसरी शर्त ये है कि पाकिस्तान अपनी इकोनॉमी को बेहतर करने के लिए सामानों के निर्यात पर टैक्स में छूट दे। इसके बाद देश में तैयार माल दूसरे देशों में जाएगा, जिससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
- एक शर्त ये भी है कि पाकिस्तान के पास किसी भी हाल में विदेशी मुद्रा भंडार में अमेरिकी डॉलर की कमी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए सऊदी अरब, चीन और UAE से मदद मांगने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।