बता दें कि कृषि सुधार के कानूनों के विरोध में जहां दिल्ली बार्डर पर कुछ किसानों का मोर्चा लगा हुआ है, वहीं अब इन कानूनों के समर्थन में भी किसान उतर गए हैं। कई किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर कानूनों को जारी रखने पर जोर दिया है। प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि अगर सरकार कृषि सुधार के विरोधियों के दबाव में आई तो वे कानूनों के समर्थन में आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
शनिवार की शाम को हरियाणा के किसान यूनियनों और किसान उत्पादक संघ के नेताओं ने अपनी मुलाकात में सरकार से आग्रह किया कि इन कानूनों की सख्त दरकार थी। इनका असर कृषि क्षेत्र में स्पष्ट रूप से दिखने लगा है। कृषि मंत्री तोमर के कार्यालय में देश के विभिन्न राज्यों के किसान संगठनों की ओर से कृषि सुधार के कानूनों के समर्थन में ज्ञापन मिल रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक रविवार को भी कई संगठनों से तोमर से मुलाकात का समय निर्धारित किया गया है।
हरियाणा के विभिन्न जिलों से आए किसान नेताओं ने कृषि कानूनों की खूबियां गिनाई। करनाल, कैथल, रेवाड़ी, पलवल, झज्जर और कुरुक्षेत्र समेत एक दर्जन जिलों के तकरीबन सौ से अधिक किसानों का अलग-अलग प्रतिनिधिमंडल तोमर से मिला। फरीदाबाद से आए किसान नारायन सिंह ने जोर देकर कहा कि वह पिछले कई साल से कांट्रैक्ट पर खेती कर रहे हैं। उन्होंने तो कभी किसी की जमीन पर कब्जा नहीं किया।
कृषि मंत्री से मुलाकात में करनाल के जगतराम ने कहा, ‘मंडी सुधार की वजह से उपज का पैसा बैंक खाते में आने लगा है। आढ़तिए ने तो धान 1700 रुपये के भाव पर खरीदने की बात की थी। जब पैसा आया तो 1880 रुपए के भाव से मिला। अब कीमत में धांधली नहीं हो सकती।’
पलवल के पुष्पेंद्र ने भी कहा कि कानूनों के विरोध में आंदोलन करने वाले ये किसान क्या जानें छोटे किसानों का दर्द? व्यापारी किस तरह उन्हें तंग करते रहे हैं। कृषि सुधार के इन कानूनों ने हालात बदल दिए हैं। उन्होंने कहा, ‘कानूनों को जारी रखा जाए। अगर सरकार किसी भी तरह के दबाव में आई तो हम इनके समर्थन में आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।’ इसी तरह ज्यादातर किसान प्रतिनिधियों ने सरकार के साथ खड़े रहने की बात कही।
बता दें कि कृषि सुधार के कानूनों के विरोध में जहां दिल्ली बार्डर पर कुछ किसानों का मोर्चा लगा हुआ है, वहीं अब इन कानूनों के समर्थन में भी किसान उतर गए हैं। कई किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर कानूनों को जारी रखने पर जोर दिया है। प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि अगर सरकार कृषि सुधार के विरोधियों के दबाव में आई तो वे कानूनों के समर्थन में आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
शनिवार की शाम को हरियाणा के किसान यूनियनों और किसान उत्पादक संघ के नेताओं ने अपनी मुलाकात में सरकार से आग्रह किया कि इन कानूनों की सख्त दरकार थी। इनका असर कृषि क्षेत्र में स्पष्ट रूप से दिखने लगा है। कृषि मंत्री तोमर के कार्यालय में देश के विभिन्न राज्यों के किसान संगठनों की ओर से कृषि सुधार के कानूनों के समर्थन में ज्ञापन मिल रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक रविवार को भी कई संगठनों से तोमर से मुलाकात का समय निर्धारित किया गया है।
हरियाणा के विभिन्न जिलों से आए किसान नेताओं ने कृषि कानूनों की खूबियां गिनाई। करनाल, कैथल, रेवाड़ी, पलवल, झज्जर और कुरुक्षेत्र समेत एक दर्जन जिलों के तकरीबन सौ से अधिक किसानों का अलग-अलग प्रतिनिधिमंडल तोमर से मिला। फरीदाबाद से आए किसान नारायन सिंह ने जोर देकर कहा कि वह पिछले कई साल से कांट्रैक्ट पर खेती कर रहे हैं। उन्होंने तो कभी किसी की जमीन पर कब्जा नहीं किया।
कृषि मंत्री से मुलाकात में करनाल के जगतराम ने कहा, ‘मंडी सुधार की वजह से उपज का पैसा बैंक खाते में आने लगा है। आढ़तिए ने तो धान 1700 रुपये के भाव पर खरीदने की बात की थी। जब पैसा आया तो 1880 रुपए के भाव से मिला। अब कीमत में धांधली नहीं हो सकती।’
पलवल के पुष्पेंद्र ने भी कहा कि कानूनों के विरोध में आंदोलन करने वाले ये किसान क्या जानें छोटे किसानों का दर्द? व्यापारी किस तरह उन्हें तंग करते रहे हैं। कृषि सुधार के इन कानूनों ने हालात बदल दिए हैं। उन्होंने कहा, ‘कानूनों को जारी रखा जाए। अगर सरकार किसी भी तरह के दबाव में आई तो हम इनके समर्थन में आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।’ इसी तरह ज्यादातर किसान प्रतिनिधियों ने सरकार के साथ खड़े रहने की बात कही।
बता दें कि कृषि सुधार के कानूनों के विरोध में जहां दिल्ली बार्डर पर कुछ किसानों का मोर्चा लगा हुआ है, वहीं अब इन कानूनों के समर्थन में भी किसान उतर गए हैं। कई किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर कानूनों को जारी रखने पर जोर दिया है। प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि अगर सरकार कृषि सुधार के विरोधियों के दबाव में आई तो वे कानूनों के समर्थन में आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
शनिवार की शाम को हरियाणा के किसान यूनियनों और किसान उत्पादक संघ के नेताओं ने अपनी मुलाकात में सरकार से आग्रह किया कि इन कानूनों की सख्त दरकार थी। इनका असर कृषि क्षेत्र में स्पष्ट रूप से दिखने लगा है। कृषि मंत्री तोमर के कार्यालय में देश के विभिन्न राज्यों के किसान संगठनों की ओर से कृषि सुधार के कानूनों के समर्थन में ज्ञापन मिल रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक रविवार को भी कई संगठनों से तोमर से मुलाकात का समय निर्धारित किया गया है।
हरियाणा के विभिन्न जिलों से आए किसान नेताओं ने कृषि कानूनों की खूबियां गिनाई। करनाल, कैथल, रेवाड़ी, पलवल, झज्जर और कुरुक्षेत्र समेत एक दर्जन जिलों के तकरीबन सौ से अधिक किसानों का अलग-अलग प्रतिनिधिमंडल तोमर से मिला। फरीदाबाद से आए किसान नारायन सिंह ने जोर देकर कहा कि वह पिछले कई साल से कांट्रैक्ट पर खेती कर रहे हैं। उन्होंने तो कभी किसी की जमीन पर कब्जा नहीं किया।
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आदर्श कुमार
संस्थापक और एडिटर-इन-चीफ