शूटिंग के दौरान मीना कुमारी की खूबसूरती देख डायलॉग भूल जाते थे राजकुमार , बलूचिस्तान में जन्मे राजकुमार का असली नाम कुलभूषण पंडित था

शाम को खबर आई कि हिंदी सिनेमा के दिग्गज कलाकार राजकुमार इस दुनिया में नहीं रहे और उनका अतिंम संस्कार भी हो गया है। इस खबर से हर कोई हैरान रह गया। किसी को कानों-कान खबर नहीं हुई कि उनकी मौत हो गई। लिहाजा इंडस्ट्री से कोई भी उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सका।

मौत के कुछ दिनों बाद उनके बेटे पुरु राजकुमार मीडिया के सामने आए। उन्होंने बताया कि पिछले 2 साल से राजकुमार बीमार चल रहे थे। उन्हें थ्रोट कैंसर था। वो नहीं चाहते थे कि उनके फैंस को इस बात की जानकारी हो कि वो बीमार हैं। यही वजह थी कि ये बात इंडस्ट्री में भी किसी को पता नहीं थी।

इसी तरह राजकुमार ने ताउम्र अपनी शर्तों पर जिंदगी जी। एक्टिंग से ज्यादा वो अपनी डायलाॅग डिलिवरी और बड़बोलेपन के लिए जाने जाते थे। एक फिल्म की शूटिंग के दौरान हुए विवाद की वजह से उन्होंने 33 साल तक दिलीप कुमार के साथ काम नहीं किया। मीना कुमारी की खूबसूरती के ऐसे कायल थे कि अपना डायलाॅग भूल जाते थे।
8 अक्टूबर 1926 को ब्रिटिश इंडिया के बलूचिस्तान में जन्मे राजकुमार का असली नाम कुलभूषण पंडित था। कश्मीरी पंडित परिवार से ताल्लुक रखने वाले राजकुमार 1940 में मुंबई आ गए थे। यहां पर उनकी पोस्टिंग सब-इंस्पेक्टर के पद पर हुई।

वो कभी भी एक्टर नहीं बनना चाहते थे। लंबी हाइट और पर्सनालिटी की वजह से उनके दोस्त कहते थे कि उन्हें फिल्मों में हाथ आजमाना चाहिए, लेकिन इस बात को वो सिरे से नकार देते थे।

एक दोस्त की जिद पर उन्होंने अपना फोटोशूट कराया। फिर उस दोस्त ने उनकी फोटो डायरेक्टर नजम नकवी को दे दी। राजकुमार की फोटो देखते ही डायरेक्टर बहुत खुश हो गए और बोले- ये तो हीरो मटेरियल है। इसको मुझसे मिलने के लिए बुलाओ। मुलाकात के बाद डायरेक्टर नजम ने उन्हें 1952 की फिल्म रंगीली में कास्ट कर लिया। इस तरह से राजकुमार ने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा।

हालांकि पहली फिल्म से राजकुमार को बहुत ज्यादा पॉपुलैरिटी नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने 1952 से 1957 तक कई छोटे-मोट रोल किए, लेकिन 1957 की फिल्म मदर इंडिया ने उन्हें असल पहचान दिलाई। फिल्म में उन्होंने राधा (नरगिस दत्त) के पति का रोल निभाया था।
पहली बार 1958 की फिल्म पैगाम में राजकुमार ने दिलीप कुमार के साथ स्क्रीन शेयर किया था। फिल्म में राजकुमार ने बड़े भाई और दिलीप कुमार ने छोटे भाई का किरदार निभाया था। एक सीन में राजकुमार को दिलीप कुमार को थप्पड़ मारना था। शूटिंग के दौरान राजकुमार ने उन्हें जोरदार थप्पड़ मार दिया। दिलीप कुमार को लगा कि उन्होंने जान बूझकर किया है। इस बात से दोनों का रिश्ता इतना बिगड़ गया कि उन्होंने 33 साल तक किसी फिल्म में साथ काम नहीं किया।

33 साल बाद दोनों ने फिल्म सौदागर में काम किया। दोनों को फिर से साथ लाने का क्रेडिट सुभाष घई को दिया जाता है। दरअसल, सौदागर की स्क्रिप्ट जब सुभाष घई ने दिलीप कुमार को सुनाई तो उन्हें बहुत पसंद आई, लेकिन जब उन्हें पता चला कि फिल्म में राजकुमार भी हैं, तो उन्होंने सुभाष से कहा- शूटिंग के दौरान राजकुमार को संभालने की जिम्मेदारी आपको ही लेनी पड़ेगी।

फिर जब सुभाष ने इसकी कहानी राजकुमार को सुनाई तो स्क्रिप्ट उन्हें भी पसंद आई। वहीं जब ये बात उन्हें पता चली कि दिलीप कुमार इस फिल्म का हिस्सा हैं, तो वो बहुत खुश हुए। साथ ही उन्होंने ये भी कहा- जानी, मैं इस इंडस्ट्री में अपने बाद किसी को बेहतर एक्टर मानता हूं, तो वो सिर्फ दिलीप कुमार ही हैं।

1971 की फिल्म लाल पत्थर में राजकुमार ने हेमा मालिनी के साथ काम किया था। डायरेक्टर एफ.सी. मेहरा ने इस फिल्म में पहले हीरोइन के रोल के लिए वैजयंती माला को कास्ट किया था। शुरुआत से ही राजकुमार चाहते थे कि वैजयंती माला की जगह हेमा मालिनी हीरोइन हों। उनकी जिद की वजह से इस रोल के लिए डायरेक्टर ने हेमा को अप्रोच किया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। फिर राजकुमार ने उन्हें काम करने के लिए राजी किया।

शूटिंग के दौरान राजकुमार उन्हें बेइंतहा पसंद करने लगे थे। हेमा भी उनके यूनीक अंदाज को पसंद करती। शूटिंग के बाद भी वो साथ में अधिक वक्त बिताते। फिल्म की पूरी शूटिंग खत्म हो जाने के बाद जब राजकुमार ने उन्हें प्रपोज किया, तब उन्होंने मना कर दिया। इस बात से राजकुमार को बहुत दुख पहुंचा।
फिल्म इंडस्ट्री में मीना कुमारी के बहुत चाहने वाले थे। इस लिस्ट में राजकुमार का नाम भी शामिल है। दोनों ने फिल्म पाकीजा में काम किया था। राजकुमार उनकी खूबसूरती के इस कदर दीवाने थे कि शूटिंग के दौरान जब वो मीना कुमारी को देखते तो अपना डायलॉग भी भूल जाया करते थे।

एक-दो बार फिल्म के डायरेक्टर और मीना कुमारी के पति कमाल अमरोही ने उन्हें मीना कुमारी को निहारते हुए देख लिया था। इस बात से वो बहुत चिढ़ गए थे, जिस वजह से उन्होंने पाकीजा के बाद किसी दूसरी फिल्म में राजकुमार को कास्ट नहीं किया।

दोनों प्यार जब मुकम्मल नहीं हुआ तब राजकुमार ने जेनिफर से शादी की थी। शादी के बाद जेनिफर ने अपना नाम गायत्री रख लिया था। शादी से उन्हें दो बेटे पुरु राजकुमार, पाणिनी राजकुमार और एक बेटी वास्तविकता पंडित हैं।
राजकुमार फिल्म इंडस्ट्री के एकमात्र ऐसे एक्टर थे, जो फिल्म फ्लॉप हो जाने के बाद भी अपनी फीस बढ़ा देते थे। इस बारे में उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था- हर किरदार को मैं पूरी शिद्दत से निभाता हूं। फिल्में फ्लॉप हो सकती है, लेकिन हम नहीं। हमारे काम में शायद कोई कमी नहीं रहती।
1987 में गोविंदा ने पहली बार राजकुमार के साथ फिल्म मरते दम तक में स्क्रीन शेयर किया था। 1989 की फिल्म जंगबाज में दोनों फिर साथ नजर आए थे। जंगबाज की शूटिंग के दौरान एक डांस का सीक्वेंस था। इस सीक्वेंस के शाॅट के बाद राजकुमार ने गोविंदा के डांस की तारीफ की। इस बात से गोविंदा गद-गद हो गए, लेकिन अगले ही पल उन्होंने ये कह दिया- गोविदा, कभी हीरोइंस को भी डांस करने दिया करो, खुद ही पूरा नाच लेते हो। इस कमेंट के बाद गोविंदा समझ ही नहीं पाए कि राजकुमार उनकी तारीफ कर रहे हैं या खिंचाई।
इसी फिल्म का एक और किस्सा है। शूटिंग के दौरान एक दिन राजकुमार ने गोविंदा के शर्ट की तारीफ कर दी। इस बात से गोविंदा बहुत खुश हो गए। इसके बाद वो तुरंत ड्रेसिंग रूम में गए और कपड़े बदलकर बाहर आकर पूरे सम्मान के साथ वो शर्ट राजकुमार को भेंट कर दी।

एक दिन राजकुमार कपड़े से अपनी नाक साफ कर रहे थे। जब गोविंदा की नजर उन पर पड़ी तो वो हैरान रह गए। दरअसल, राजकुमार जिस कपड़े से अपनी नाक साफ कर रहे थे, वो कपड़ा उसी शर्ट का था, जो गोविंदा ने उन्हें भेंट की थी। ये देखकर गोविंदा को बहुत बुरा लगा।
रामानंद सागर और राजकुमार बहुत अच्छे दोस्त थे। एक बार रामानंद सागर फिल्म आंखें की स्क्रिप्ट लेकर राजकुमार के घर गए थे। फिल्म की कहानी सुनाने के बाद उन्होंने कहा कि वो अपनी फिल्म में उन्हें बतौर हीरो कास्ट करना चाहते हैं।

तभी राजकुमार ने अपने पालतू कुत्ते को अपने पास बुलाया और पूछा- क्या तुम इस फिल्म में काम करोगे? जब कुत्ते ने कोई हरकत नहीं की तो उन्होंने रामानंद सागर से कहा- जब ये रोल मेरा कुत्ता करने को तैयार नहीं तो भला मैं कैसे इस रोल के लिए हां कर दूं।

उनकी ये बात सुनकर रामानंद सागर को बहुत बुरा लगा और वो बिना कुछ कहे उनके घर से चले गए। बाद में इस फिल्म में धर्मेंद्र ने काम किया था।फिल्म आवारा में राज कपूर भी राजकुमार को कास्ट करना चाहते थे, लेकिन उन्होंने काम करने से मना कर दिया था। इस इनकार से राज कपूर उनसे बहुत खफा हो गए थे।

प्रेम चोपड़ा की शादी की पार्टी में आमना-सामना हुआ। पार्टी के दौरान ही नशे में डूबे राज कपूर ने राजकुमार को खूब खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने यहां तक कह दिया- तुम हत्यारे हो।

इस पर राजकुमार ने उनसे कहा था- बेशक मैं हत्यारा हूं, लेकिन मैं आपके पास काम मांगने नहीं आया था, बल्कि आप मेरे पास फिल्म का ऑफर लेकर आए थे।

दरअसल, बात उन दिनों की है जब राजकुमार पुलिस की नौकरी कर रहे थे। एक दिन वो किसी पार्टी से वापस लौट रहे थे कि उनकी कार को 4-5 लड़कों ने रोक लिया। इस बात से वो आग बबूला हो गए और उन्होंने उन लड़कों की पिटाई कर दी। उन्होंने इस कदर लड़कों को पीटा कि एक लड़के की मौत हो गई। इस मर्डर केस में उनका नाम आया, सुनवाई भी हुई। हालांकि बाद में सबूतों के अभाव के चलते उन्हें इस केस से बरी कर दिया गया।
फिल्म डायरेक्टर मेहुल कुमार फिल्म तिरंगा बना रहे थे। इस फिल्म के लीड रोल के लिए उन्होंने पहले ही राजकुमार को कास्ट कर लिया था। दूसरे रोल के लिए उन्होंने रजनीकांत को अप्रोच किया। रजनीकांत को फिल्म की कहानी पसंद भी आई, लेकिन जब उन्हें ये पता चला कि फिल्म में उनके साथ राजकुमार होंगे तो उन्होंने काम करने से इनकार कर दिया।

बाद में नसीरुद्दीन शाह ने भी यही जवाब देकर काम करने से मना कर दिया। फिर मेहुल कुमार ने इस फिल्म के लिए नाना पाटेकर को अप्रोच किया। उन्हें भी फिल्म की कहानी बहुत पसंद आई, लेकिन जब उन्हें पता चला कि राजकुमार भी इसका हिस्सा हैं, तो वो घबरा गए। उन्होंने मेहुल कुमार से कहा- अगर शूटिंग के दौरान राजकुमार दखलअंदाजी करेंगे तो मैं फिल्म बीच में ही छोड़कर चला जाऊंगा।

जब नाना पाटेकर की इस शर्त के बारे में मेहुल कुमार ने राजकुमार को बताया तो उन्होंने कहा- मैं तुम्हारी फिल्म में क्यों दखलअंदाजी करूंगा, लेकिन ये नाना बहुत खराब आदमी है। सेट पर गाली-गलौज करता है। खैर तुम्हारी फिल्म है, जो सही लगे वो करो।
1965 की फिल्म ऊंचे लोग में राजकुमार के साथ फिरोज खान ने काम किया था। उस वक्त फिरोज इंडस्ट्री में नए आए थे। शूटिंग के पहले दिन राजकुमार उनके पास गए और कहा- देखो ये तुम्हारी पहली फिल्म है। फिल्म को बहुत परफेक्शन के साथ करना। हालांकि मैं बीच-बीच में तुम्हें सिखाता रहूंगा।
अभी उनकी बात पूरी भी नहीं हुई थी कि फिरोज खान बोल पड़े- आप मुझे मत सिखाइए। मैं अपना काम अच्छे से कर लूंगा। सेट पर मौजूद लोग ये देखकर डर गए कि कहीं राजकुमार फिल्म छोड़कर ना चले जाएं। हालांकि ऐसा हुआ नहीं। अगले दिन खुद राजकुमार फिरोज खान के पास गए और कहा- ये अकड़ तुम्हारी अच्छी है, इसे हमेशा बरकरार रखना।
फिल्म काजल की शूटिंग के पहले दिन राजकुमार ने धर्मेंद्र को देखकर कहा- जानी, फिल्म की शूटिंग के लिए हीरो चाहिए था, कोई पहलवान नहीं। ये सुनकर धर्मेंद्र बहुत गुस्सा हुए, लेकिन उन्होंने बहुत अदब के साथ कहा कि वो उनका मजाक ना बनाए। फिर भी राजकुमार नहीं माने तो धर्मेंद्र ने उनकी काॅलर पकड़ ली। ये देखकर सेट पर मौजूद सभी लोग हैरान रह गए। बाद में ये फिल्म राजकुमार के बिना ही पूरी हुई।
राजकुमार ऐसे कलाकार थे जिन्हें लोग उनकी एक्टिंग से ज्यादा उनकी डायलॉग डिलिवरी के लिए पसंद करते थे, लेकिन आखिरी समय उनकी यही आवाज उनसे दूर हो गई थी। दरअसल उन्हें गले का कैंसर हो गया था, जिस वजह से उनकी आवाज पूरी तरह से चली गई थी। उनके बहुत पास जाकर ही कोई सुन पाता था कि वो क्या कह रहे हैं। 1995 में उनकी आखिरी फिल्म गॉड एंड सन आई थी, जिसके बाद उन्हें शायद ही किसी ने देखा हो। राजकुमार ने 69 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया था।