बेंगलुरु में विपक्षी दलों की दूसरी बैठक , ममता बनर्जी और शरद पवार बैठक में शामिल होंगे

लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को हराने के लिए बेंगलुरु में विपक्षी दलों की दूसरी बैठक आज से शुरू होगी। इसमें 25 पार्टियों के शामिल होने की संभावना है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 8 नए दलों को न्योता दिया है। ये बैठक पहले शिमला में होने वाली थी, लेकिन हिमाचल में हुई भारी बारिश के चलते जगह बदली गई।
विपक्षी एकता बैठक में पहली बार सोनिया गांधी शामिल होंगी। मीटिंग से पहले वो सोमवार को विपक्षी नेताओं के लिए डिनर होस्ट करेंगी।
घुटने में चोट के चलते पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी डिनर में शामिल नहीं हो पाएंगी। हालांकि, वे कल की बैठक में मौजूद रहेंगी।

वहीं, शरद पवार भी आज इस बैठक में नहीं आएंगे। NCP के प्रवक्ता महेश तापसे ने बताया कि शरद पवार और सुप्रिया सुले 18 जुलाई की बैठक में भाग लेंगे।
तेलंगाना CM के चंद्रशेखर राव, आंध्र प्रदेश के CM जगन मोहन रेड्‌डी, आंध्र के पूर्व CM चंद्रबाबू नायडू और ओडिशा के CM नवीन पटनायक इस बैठक से दूर रहेंगे।
पहली बैठक 24 दिन पहले 23 जून को बिहार के CM नीतीश कुमार ने पटना में बुलाई थी, जिसमें 17 राजनीतिक दल शामिल हुए थे। इस बार विपक्षी कुनबे को और मजबूत करने के लिए 8 और दलों को न्योता भेजा गया है।
पटना में हुई बैठक में 17 दलों के नेता शामिल हुए थे। इस बार विपक्षी कुनबे को और मजबूत करने के लिए 8 और दलों को न्योता भेजा गया है। इनमें ​​​​मरूमलारची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (MDMK), कोंगु देसा मक्कल काची (KDMK), विदुथलाई चिरुथिगल काची (VCK), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML), केरल कांग्रेस (जोसेफ) और केरल कांग्रेस (मणि) ने हामी भरी है। इन नई पार्टियों में से KDMK और MDMK 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान BJP की सहयोगी हुआ करती थीं।
पहली बैठक में जनता दल यूनाइटेड (JDU), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), आम आदमी पार्टी (AAP), द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK), तृणमूल कांग्रेस (TMC), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्क्सिस्ट CPM, CPI (ML), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP), नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), सपा, JMM और NCP शामिल हुए थे।
इस बैठक का मकसद मौजूदा मोदी सरकार के खिलाफ 2024 के आम चुनाव से पहले दमदार विपक्ष तैयार करने की कोशिश है। नीतीश कुमार का कहना है कि अभी सभी पार्टियों को एकजुट करने की कोशिश की जा रही है। विपक्ष में प्रधानमंत्री का चेहरा कौन होगा? इस पर चर्चा नहीं की जाएगी।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी टॉप अपोजिशन लीडर्स को अगली बैठक में शामिल होने के लिए न्योता भेजा था। उन्होंने चिट्ठी में लिखा था कि विपक्षी एकता को लेकर चर्चाओं को जारी रखना है।
पहले दिल्ली के CM केजरीवाल के आने पर भी संशय बना हुआ था, लेकिन कांग्रेस ने रविवार को दिल्ली में केंद्र की तरफ से लाए गए अध्यादेश के खिलाफ AAP को समर्थन देने की घोषणा कर दी। इसके बाद केजरीवाल ने मीटिंग में शामिल होने की बात कही।
दरअसल, पहली बैठक में केजरीवाल ने दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस के स्टैंड को लेकर नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने समर्थन नहीं दिया तो वे दूसरी बैठक में नहीं आएंगे।
पटना की बैठक में शामिल 15 दलों में से 12 दलों का प्रतिनिधित्व राज्यसभा में है। कांग्रेस को मिलाकर सभी 12 दलों ने केंद्र के अध्यादेश को लेकर AAP का समर्थन किया है। सभी पार्टियों ने राज्यसभा में इसका विरोध करने की बात कही है।
देश के 28 राज्यों में इस समय 10 राज्यों में भाजपा ने बहुमत के साथ सरकार बनाई है। वहीं, महाराष्ट्र में शिवसेना का शिंदे गुट के साथ भाजपा की सरकार है। राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित 4 राज्यों में कांग्रेस की सरकार है और 3 राज्यों में पार्टी का गठबंधन है।
देश में इमरजेंसी के बाद पहली बार 1977 में विपक्षी नेता एक साथ आए थे। तब मोरारजी देसाई के नेतृत्व में पहली गैर कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ था। तब कई दल एक साथ आए थे। जयप्रकाश नारायण की पहल पर जनता पार्टी का गठन हुआ। जनता पार्टी ने चुनाव जीतकर सरकार भी बनाई, लेकिन उस चुनाव में भी प्रधानमंत्री पद के लिए किसी को चेहरा नहीं बनाया गया था।
इसके बाद जनता पार्टी ने अलग-अलग दलों के समर्थन से 1989 में वीपी सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई। तब भी PM के लिए कोई चेहरा आगे नहीं किया गया था। फिर 1996 में भाजपा ने अटल बिहारी बाजपेयी को चेहरा घोषित कर चुनाव लड़ा और सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। इसके साथ फिर PM फेस पर चुनाव लड़ने की परंपरा भी शुरू हो गई। 2004 के चुनाव में कांग्रेस ने छोटे-छोटे दलों के साथ मिलकर बिना चेहरे के चुनाव लड़ा था, तब UPA में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने थे।