बिहार विधानसभा चुनाव को एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर जारी खींचतान के बीच लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के गठबंधन छोड़कर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की घोषणा से जदयू में बैचेनी फैल गई है। इसके साथ ही एलजेपी के 143 सीटों पर चुनाव लड़ने और जदयू के खिलाफ उम्मीदवारों को खड़ा करने की घोषणा से जनता दल यूनाइटेड(JDU) के शीर्ष नेताओं में खलबली मच गई है। पार्टी को अब घटनाक्रम के परिणामों और इसके मुकाबले को लेकर नये सिरे से विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ गया है।
उल्लेखनीय है कि एनडीए में बीजेपी के साझीदार जदयू और एलजेपी के बीच चुनाव की घोषणा के बाद और उससे काफी पहले से वाकयुद्ध चरम पर है। लोजपा ने जहां मुख्यमंत्री नीतीश की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक सात निश्चय योजना की आलोचना करते हुए भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था वहीं उन्होंने कोरोना महामारी और प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे पर ठीक से निपटने में नीतीश सरकार की विफलता करार दिया था। वहीं जदयू ने लोजपा के लगातार हमले से चिढ़कर कहा कि उनका गठबंधन भाजपा के साथ है न कि लोजपा के साथ।
बिहार चुनाव में एनडीए से लोजपा के हटने से आहत जदयू के कुछ नेताओं ने भाजपा से मांग की है कि पासवान की पार्टी को गठबंधन से हटा दिया जाए। इस मामले में जदयू के वरिष्ठ नेता और बिहार विधान परिषद के पूर्व उपनेता असलम आज़ाद ने कहा कि आप एक समय में दो नावों की सवारी नहीं कर सकते। यह विनाशकारी होगा। साथ ही उन्होंने LJP को तुरंत NDA और रामविलास पासवान को मंत्री पद से हटाने की मांग कर डाली।
उन्होंने चिराग पासवान के बयान जिसमें उन्होंने कहा था कि वे केंद्र में भाजपा के साथ बने रहेंगे पर कहा कि एक आत्मघाती कदम है। जिन साझेदारों ने सत्ता की लालसा में हवा निकालने के लिए सभी नैतिकताओं को फेंक दिया है, उन्हें मतदाता सबक सिखाएंगे। जद (यू) के सूत्रों ने कहा कि इस मामले को सीएम नीतीश द्वारा पीएम और वरिष्ठ भाजपा नेताओं के समक्ष उठाए जाने की संभावना है।
लोजपा ने गठबंधन छोड़ने का कारण बताते हुए कहा था कि जदयू से उनके राज्य-स्तरीय वैचारिक मतभेद हैं और साथ ही कहा कि वह बिहार विजन डॉक्यूमेंट को लागू करना चाहते हैं जिस पर जदयू के साथ सहमति नहीं बनी थी। पार्टी ने कहा कि भाजपा के साथ हमारा मजबूत गठबंधन है और बिहार में भी हम इस सहयोग को जारी रखना चाहते हैं। हमारे संबंधों में कोई खटास नहीं है।
वहीं जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक चौधरी ने कहा कि जदयू के साथ लोजपा का कथित विशिष्ट वैचारिक मतभेत को पार्टी जानना चाहती है। कहा कि लोकसभा चुनावों के दौरान वे हमारे साथ भागीदार थे और उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में नीतीश कुमार की उपस्थिति का अनुरोध किया और चुनाव जीते। अब बिहार विधानसभा चुनावों के लिए वे वैचारिक अंतर का दावा कर रहे हैं।
चौधरी ने कहा कि जेडीयू और भाजपा का एक समान गठबंधन है। और भाजपा ने हमारे नेता नीतीश कुमार की कार्य नीति को देखते हुए उन्हें 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एक बार फिर गठबंधन के नेता के रूप में घोषित किया है।
हालांकि, जदयू के कुछ नेताओं का मानना है कि एनडीए में गठबंधन के साझेदार में बीजेपी और जेडीयू के बीच उपरी तौर सब सामान्य दिख रहा है लेकिन ऐसा लगता है कि जदयू फंस रहा है। वहीं नाम नहीं छापने की शर्त पर एक नेता ने बताया कि लोजपा हमें 20-25 सीटों पर प्रभावित कर सकती है। वहीं एनडीए नेताओं के एक वर्ग कहना है कि चिराग पासवान के कदम- नीतीश कुमार को महीनों तक निशाना बनाए रखना ऐसा भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के मौन समर्थन के बिना नहीं हो सकता था।
लेकिन जदयू के प्रवक्ता अजय आलोक इस बात से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि लोजपा कभी भी जदयू की भागीदार नहीं रही। इसलिए शायद ही हमें इससे कोई फर्क पड़े। जदयू के एक सूत्र ने कहा कि पार्टी ने इस कदम की आशंका पहले कही जताई थी और यही वजह है कि काट के रूप में जीतन राम मांझी को चुना गया।
पार्टी के एक अन्य प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि जब तक भाजपा-नीतीश कुमार गठबंधन बरकरार है। हमें प्रचंड बहुमत मिलने के बारे में कोई भ्रम नहीं है। उधर चिराग घटनाक्रम पर अन्य बीजेपी प्रवक्ता ने कुछ भी बोलने से मना कर दिया।