बिना OBC आरक्षण के निकाय चुनाव कराने के हाईकोर्ट के फैसले पर SC ने लगाई रोक, निकाय चुनाव पर सुप्रीम सुनवाई पूरी

यूपी में बिना ओबीसी आरक्षण के निकाय चुनाव कराने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ यूपी सरकार की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी और नोटिस जारी किया है। इस पर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में (प्वाइंट सी) निर्देशित किया है। इस पर रोक लगाई जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में चुनाव कराने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निकाय चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने के लिए नया नोटिफिकेशन जारी करने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट में निकाय चुनाव में तीन महीने की देरी की अनुमति दे दी है। इस बीच जल्द ही वित्तीय दायित्वों को लेकर अधिसूचना जारी हो सकती है। कोर्ट ने कहा कि इस दौरान कोई भी बड़ी नीतिगत फैसला नहीं लिया जा सकता है। आयोग तीन महीने के अंदर अपना काम पूरा करने की कोशिश करे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि बिना OBC आरक्षण वाले शहरी स्थानीय निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी की जाए। हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा था कि राज्य ने सुप्रीम कोर्ट के निर्धारित ट्रिपल टेस्ट की औपचारिकता को पूरा नहीं किया।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस सौरभ लवानिया की पीठ ने ये भी आदेश दिया कि चुनाव अधिसूचना में संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार महिलाओं के लिए आरक्षण शामिल किया जाएगा। हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा 5 दिसंबर को जारी किए गए नोटिफिकेशन को रद कर दिया था।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 27 दिसंबर को OBC आरक्षण के बिना चुनाव कराए जाने का आदेश पारित किया था। इसके बाद ट्रिपल टेस्ट OBCआरक्षण की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए यूपी सरकार ने 28 दिसंबर को पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर दिया। 5 सदस्यीय आयोग 6 महीने के लिए गठित हुआ है। जो सर्वे करके रिपोर्ट शासन को सौंपेगा। रिटायर्ड जस्टिस राम अवतार सिंह को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। सदस्यों में चोब सिंह वर्मा, महेंद्र कुमार, संतोष विश्वकर्मा और ब्रजेश सोनी शामिल हैं।
UP निकाय चुनाव में OBC आरक्षण के मामले पर सपा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। सपा विधायक राम सिंह पटेल समेत 7 नेताओं की ओर से ये याचिका दी गई है। याचिका में OBC रिजर्वेशन के ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले के साथ निकाय चुनाव कराने की मांग की गई है।
सपा के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के अध्यक्ष राजपाल कश्यप ने कहा कि उन्हें BJP पर भरोसा नहीं है। ऐसे में हम सुप्रीम कोर्ट गए हैं। हमने सुप्रीम कोर्ट से पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों के आरक्षण को बचाने और पूरे आरक्षण के साथ चुनाव कराने की अपील की है।
यूपी में गैर-यादव OBC जातियां सबसे ज्यादा अहम हैं। इनमें कुर्मी-पटेल 7 फीसदी, कुशवाहा-मौर्या-शाक्य-सैनी 6 फीसदी, लोध 4 फीसदी, गड़रिया-पाल 3 फीसदी, निषाद-मल्लाह-बिंद-कश्यप-केवट 4 फीसदी, तेली-शाहू-जायसवाल 4, जाट 3 फीसदी, कुम्हार/प्रजापति-चौहान 3 फीसदी, कहार-नाई- चौरसिया 3 फीसदी, राजभर-गुर्जर 2-2 फीसदी हैं। ऐसे में बीजेपी ने गैर-यादव OBC जातियों को साधकर सूबे में सत्ता का सूखा खत्म किया था और यह वोटबैंक अगर खिसका तो फिर BJP अपने उसी मुकाम पर पहुंच जाएगी।