उत्तर प्रदेश की राजधानी अपनी ऐतिहासिक धरोहर और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है. इस शहर की धरोहर में एक ऐसा मंदिर भी शामिल है जो अपने अपार सौंदर्य और आध्यात्मिकता के लिए जाना जाता है. यह मंदिर चौपटियां के रानी कटरा में विराजीं संकटा देवी मां का है. यह मंदिर लखनऊ के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है जहां भक्त दूर दराज से माता के दर्शन के लिए आते है.
संकटा देवी मंदिर समिति के मंत्री राजकुमार ने बताया कि यह एक ऐतिहासिक मंदिर है, जिसे कश्मीरी समुदाय के लोगों ने बनाया है. यह मंदिर उनकी कुल देवी माता खीर भवानी का है.
इस मंदिर की स्थापना 1784 के आसपास हुई थी, जब इमामबाड़ा बन रहा था. उस समय यहां रहने वाले कश्मीरी लोगों ने मंदिर का निर्माण किया था. मंदिर के मुख्य निर्माता वाजिद अली शाह के दरबार में वित्त नियंत्रक थे और उन्हें कुछ लोग तनख्वाह साहब के नाम से भी जानते थे. उन्होंने मंदिर के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाई थी और मंदिर उसी काल में बनाया गया है.
मंदिर के पूजारी का कहना है यहां जो भी अपनी अरदास लेकर आता माता रानी वो पूरा करती है. जब उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है, तो भक्तों द्वारा पिन्नी का प्रसाद चढ़ाया जाता है. पिन्नी का प्रसाद चावल और खोए के मिश्रण से बनाया जाता है, और यह माता का विशेष प्रसाद माना जाता है. नवरात्रि के समय, माता की विशेष पूजा की जाती है और खीर भवानी के दिन,कश्मीरी समुदाय के लोग विशेष पूजा और अर्चना करते है.
प्रतिदिन माता के दर्शन करने वाले भक्तों के अनुसार, जो भी भक्त भाव लेकर यहां आता है, माता रानी उनकी इच्छा पूरी करती है.इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जितनी बार भक्त माता के दर्शन करेंगे, उतनी बार उन्हें माता के विभिन्न रूपों के दर्शन होंगे. कुछ भक्तों का कहना है कि माता रानी के दरबार में आने से पहले उनके पास कुछ नहीं था,और जब से वे यहां दर्शन कर रहे है,उनके जीवन में प्रगति हो रही है.
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