मुंबई न्यूज़, उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर तीखा हमला बोला है। राउत ने कहा कि पहले शिवसेना का आलाकमान महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में था लेकिन अब शिंदे का आलाकमान दिल्ली में है। एकनाथ शिंदे नाम तो बालासाहेब ठाकरे का लेते हैं। वह शिवसैनिक और शिवसेना की बात करते हैं लेकिन दिल्ली में ‘मुजरा’ करते हैं। संजय राउत ने कहा कि असली शिवसेना दिल्ली में कभी किसी के आगे नहीं झुकी। हमने कभी भी दिल्ली की गुलामी नहीं की। उन्होंने शिंदे पर तंज कसते हुए कहा कि अगर आपको अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करना है तो यहीं मुंबई में बैठकर करना चाहिए। शिंदे- फडणवीस सरकार की स्थापना होकर एक साल बीत गया है लेकिन अभी तक दूसरा कैबिनेट विस्तार नहीं हुआ। इससे पता चलता है कि यह सरकार जा रही है।
ट्रेन हादसे को लेकर भी निशाना साधा
संजय राउत ने बीते 2 जून को बालासोर में हुए भयानक रेल हादसे में 275 लोगों की मौत पर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। राउत ने कहा, ‘सरकार तकनीकी खराबी, मानवीय गलती या पटरी से उतरे डिब्बों को दोष देकर बालासोर ट्रेन दुर्घटना की जिम्मेदारी से बच नहीं सकती है। प्रधानमंत्री ने तुरंत घटना स्थल का दौरा किया, घायलों के बारे में पूछताछ की, सांत्वना दी, यह सब ठीक है। लेकिन एक सरकार के रूप में आपकी जिम्मेदारी का क्या? मुआवजे की रकम और संवेदना न तो सवाल का जवाब है और न ही प्रायश्चित। इस भयानक दुर्घटना के लिए सरकार प्रायश्चित करेगी या नहीं? इस रेल हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। वहीं, सुरक्षित रेल यात्रा के दावे विफल होने से सभी के मन में गुस्से का ज्वालामुखी भी फूट रहा है।
एनसीपी का आरोप कैग रिपोर्ट की हुई अनदेखी
एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाईड क्रास्टो ओडिशा ट्रेन हादसे पर केंद्र सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि कैग की साल 2022 की रिपोर्ट भारतीय रेलवे में कई कमियों को उजागर करती है। ऑडिट में ट्रेन पटरी से उतरने के लिए 24 जिम्मेदार कारणों का खुलासा किया। उस रिपोर्ट में गंभीर प्रकृति के कई बिंदु हैं जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि रेल हादसे होने के संकेत थे। कैग ऑडिट का मुख्य बिंदु यह सुनिश्चित करना था कि रेल मंत्रालय द्वारा ट्रेन पटरी से उतरने और टक्करों को रोकने के उपायों को स्पष्ट रूप से निर्धारित और कार्यान्वित किया गया था या नहीं। ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद साफ है कि ऑडिट का पालन नहीं किया गया।
अब सवाल यह है कि क्या रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैग रिपोर्ट पढ़ी? यदि हां, तो इसे गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया और कैग के सुझावों को तत्काल क्रियान्वित क्यों नहीं किया गया? कैग की ऑडिट रिपोर्ट ने संभावित आपदाओं के बारे में रेल मंत्रालय को सतर्क कर दिया था और ऐसा प्रतीत होता है कि मंत्रालय और मंत्री ने इस चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया। क्या अश्विनी वैष्णव के लिए इस्तीफा देने के लिए यह पर्याप्त कारण नहीं है?