मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं होने पर सिसायी बयानबाजी जारी है। दोनों दल एक दूसरे पर जुबानी हमले कर रहे हैं। वहीं अखिलेश यादव के बयान से अब स्पष्ट होने लगा है कि INDIA गठबंधन में पहली दरार पड़ गई है। हालांकि इससे पहले दोनों दलों में काफी लंबी बातचीत चली, लेकिन उसके बाद भी बात नहीं बन पाई है।
दरअसल, समाजवादी पार्टी के विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर अखिलेश यादव और एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ के बीच कई दौर की बातचीत हुई थी। हालांकि बातचीत का ये दौर नई दिल्ली में एनसीपी नेता शरद पवार के घर बीते महीने हुई INDIA गठबंधन के कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक से शुरू हुआ था।
तब कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक में तय किया गया था कि INDIA गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव के लिए ही नहीं बल्कि कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में जारी रहेगा। ये फैसला उस बैठक में शामिल सभी पार्टियों की सहमति से लिया गया था। तब इस बैठक में कांग्रेस की ओर से पार्टी संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल शामिल हुए थे।
केसी वेणुगोपाल ने भी इस मुद्दे पर सहमति जताई थी और उन्होंने कहा था कि हम अपने राज्य स्तर की लीडरशिप को कहेंगे कि वो आप लोगों से बात करें। तब बैठक में सपा ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के संदर्भ में कहा था कि हमने बीते चुनाव में एक सीट जीती थी और पांच सीटों पर दूसरे नंबर पर रहे थे।
इस वजह से पार्टी ने कांग्रेस के सामने बैठक के दौरान ही छह सीटों पर अपना दावा किया था। सपा ने इन सीटों पर बीते दिनों भी दावा करते हुए कहा था कि हम जिन सीटों पर बीजेपी से हारे यानी पार्टी दूसरे नंबर पर रही, उन सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे। लेकिन कांग्रेस के साथ विधानसभा चुनाव को लेकर बात शुरू हुई तो सपा की ओर से कुछ और सीटों की मांग रखी गई।
विधानसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर कांग्रेस के ओर से कमलनाथ और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बीच बातचीत हुई। जिसके बाद अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश में सपा के नेताओं को पूर्व सीएम कमलनाथ से बातचीत के लिए भेजा था। तब सपा की ओर से इस बैठक में 12 सीटों की डिमांड रखी गई और उन सीटों का नाम भी बताया गया।
हालांकि कांग्रेस इस बातचीत के बाद सपा को केवल छह सीटें ही देने पर सहमत हुई थी। दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन को लेकर सीटों के लिए अखिलेश यादव और कमलनाथ के बीच कई दौर की बातचीत हुई थी। लेकिन प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा केवल छह सीटें ही देने की बात कही गई। जिस पर सपा प्रमुख ने अंत में आठ सीटों की डिमांड रखी यानी सपा की ओर से दो सीटें ज्यादा मांगी गई।
लेकिन दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने फाइनल करते हुए कहा कि सपा को केवल छह सीटें ही दी जा सकती हैं। इस पर अखिलेश यादव ने कहा था कि जब कांग्रेस की लिस्ट जारी होगी तो उसमें सपा को दी गई सीटों के सामने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों के नाम लिखकर जारी कर दिए जाएं। यह कहकर अखिलेश यादव ने अपने छह उम्मीदवारों की सूची भी कांग्रेस नेताओं को सौंप दी थी।
छह सीटें सपा के लिए रखने की मौखिक मंजूरी के बाद दो सीटों पर अब भी मंथन जारी था। कांग्रेस की ओर से इन सीटों के लिए भी आश्वासन जारी किया गया था। तब कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व ने कहा था कि इसके लिए आलाकमान से बात करके फाइनल करेंगे। हालांकि छह सीटों पर भी दोनों पार्टियों के बीच बात बन गई थी। इस बीच कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की, जिसमें सपा की दी गई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए।
कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची आने पर जवाब बवाल मचा तो सपा ने सवाल खड़े करने शुरू कर दिए। शाम होते ही सपा ने भी पांच सीटों पर कांग्रेस के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतार दिए। जिसपर कांग्रेस नेताओं ने कहा कि ये INDIA गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव के लिए बना है। सूत्रों की मानें तो दोनों पार्टियों के बीच सीट बंटवारे को लेकर अखिलेश यादव के साथ कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की पांच से छह राउंड की बातचीत हुई थी।
कमलनाथ ने आखिरी समय में सपा को सीट इसलिए नहीं दी क्योंकि कांग्रेस के कार्यकर्ता लंबे समय से वहां पर तैयारी कर रहे थे और कमलनाथ किसी भी तरह से पार्टी के अंदर चुनाव से पहले नाराजगी नहीं चाहते थे। अब सपा नेताओं का कहना है कि जिस तरह की बयानबाजी कांग्रेस नेताओं की ओर से हो रही है उसमें INDIA गठबंधन बने रह पाना मुश्किल है। उनका कहना है कि अखिलेश यादव पूरी तरह INDIA गठबंधन बनाए रखने के पक्ष में हैं, उन्होंने घोसी उपचुनाव जीत का श्रेय भी INDIA गठबंधन और PDA को दिया था।
इन सबके बीच अभी कोऑर्डिनेशन कमेटी की दूसरी बैठक का समय भी तय नहीं हो पाया है। ऐसे में माना जा रहा है कि अब इसकी दूसरी बैठक चुनाव के दौरान नहीं होगी। सूत्रों की मानें तो यूपी के मसले पर सीट बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है।
अब सपा नेताओं का कहना है कि INDIA गठबंधन बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए बना था। लेकिन गठबंधन वोटों के टर्म में ही केवल नहीं होता है। ऐसे में अगर कांग्रेस INDIA गठबंधन की सहयोगी पार्टियों को साथ लेकर चलती तो वो चुनावी राज्यों में बेहतर स्थिति में रहती। इसके पीछे सपा नेता तमिलनाडु में हुए गठबंधन का उदाहरण देते हैं।
उनका कहना है कि वहां DMK जब अकेले लड़ती थी तब विपक्षी पार्टियों ने एकजुट होकर उसे हराया था। जिसके बाद DMK ने भी गठबंधन की राह अपना ली है। लेकिन अब तय हो गया है कि इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा के बीच कोई गठबंधन नहीं होगा। दोनों ही पार्टियों के बीच जमकर जुबानी हमले हो रहे हैं।
इसकी शुरुआत अखिलेश यादव ने की, तब उन्होंने कहा था कि हम यूपी में INDIA गठबंधन से सीटें मांग नहीं रहे हैं बल्कि उन्हें सीटें दे रहे हैं। इसके बाद यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि कांग्रेस राज्य में सभी 80 सीटों पर तैयारी कर रही है। जिसके बाद दोनों ही पार्टियों में जुबानी तीर चलने लगे।
इन सबके बीच सूत्रों की मानें तो मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रभारी रणदीप सुरजेवाला और कमलनाथ चाहते थे कि अखिलेश यादव से प्रमोद तिवारी बातचीत कर उन्हें कम सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार करें। लेकिन मध्य प्रदेश में गठबंधन की बातचीत का शुरू से हिस्सा नहीं होने के कारण प्रमोद तिवारी खुद अखिलेश यादव के साथ बातचीत के लिए तैयार नहीं हुए थे।
लेकिन अब बात बिगड़ चुकी है, अखिलेश यादव ने अजय राय को चिरकुट तक कह डाला है। वहीं सपा के ओर कोऑर्डिनेशन कमेटी के सदस्य और सांसद जावेद अली ने सीधे कमलनाथ पर निशाना साधा और कहा है, ‘कमल’नाथ ने 2019 में मुख्यमंत्री रहते 30 में से 29 स्थानों पर कमल को जितवाया था।’
इतनी ही नहीं शुक्रवार को जब कांग्रेस नेता कमलनाथ से अखिलेश यादव से जुड़ा सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘अरे भाई छोड़ो अखिलेश-वखिलेश को…’। कांग्रेस के इस बयान पर बीजेपी ने भी पलटवार किया है। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और इंदौर से उम्मीदवार कैलाश विजयर्गीय ने प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस अपने गठबंधन के साथियों का कितना सम्मान करती है ये आज साफ हो गया है। जब इनको काम होता है तो गले पड़ते हैं, लेकिन काम हो जाने पर दूध में से मक्खी की तरह निकालकर फेंक देते हैं। ये कांग्रेस का असली चरित्र है।’ वहीं यूपी बीजेपी ने वीडियो साझा कर लिखा, ‘अखिलेश यादव की इतनी बेइज्जती?’
इन सबके बीच सपा के प्रमुख महासचिव रामगोपाल यादव ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा था, ‘हर हाल में INDIA गठबंधन बरकरार रहेगा।’ अब देखना ये होगा कि मध्य प्रदेश चुनाव से पैदा हुई दरार को भरने के लिए कांग्रेस पार्टी क्या कदम उठाती है?