लोकसभा चुनाव में NDA को चुनौती देने के लिए बने INDIA गठबंधन अब खुद की पार्टियों के लिए चुनौती पेश कर रहा है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान INDIA गठबंधन की पार्टियों में मतभेद खुलकर सामने आई है। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने चुनाव प्रचार के दौरान खुलकर कांग्रेस पर जुबानी हमले किए तो कांग्रेस के नेताओं ने भी पलटवार किया है।
दोनों पार्टियों के बीच जुबानी जंग इतनी बढ़ी की मध्य प्रदेश प्रचार से चल रही सियासी बयानबाजी यूपी तक आ गई। लेकिन बात चुनाव प्रचार और जुबानी जंग तक ही नहीं रुकी। इस चुनाव प्रचार के दौरान सपा प्रमुख की रणनीति और कई सीटों पर उतारे गए उम्मीदवार भी कांग्रेस को जमीनी तौर पर नुकसान पहुंचाते नजर आ रहे हैं
समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस से गठबंधन नहीं होने के बाद पहले जमकर जुबानी हमले किए। इसके बाद पार्टी ने राज्य में अपनी चुनावी तैयारियों को तेज कर दिया है। सपा ने राज्य में कांग्रेस के प्रत्याशियों को खिलाफ अपने प्रत्याशियों को उतारने का ऐलान कर कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। पार्टी ने राज्य की कुल 72 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं।
सपा ने जिन सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं, उनमें ज्यादातर सीटें उत्तर प्रदेश से सटे हुए जिलों की हैं। यानी देखा जाए तो कांग्रेस को इन 72 सीटें के जरिए कमजोर करके चुनावी झटका देने की तैयारी अखिलेश यादव ने की है। दरअसल, राजनीति के जानकारों की मानें तो इस बार कांग्रेस की स्थिति मध्य प्रदेश में बीते कई चुनावों की अपेक्षा अच्छी नजर आ रही है।
हालांकि राज्य के चुनावी माहौल को समझने वाले कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर बता रहे हैं। लेकिन इसी बीच सपा ने कांग्रेस से बात नहीं बनने के बाद यूपी से लगी 72 सीटों पर उम्मीदवार उतार कर INDIA गठबंधन के जरिए चुनावी तैयारियों की राह देख रही कांग्रेस को तगड़ा झटका दिया है।
सपा ने इस चुनाव में सिंगरौली, सिहौर, सतना, पन्ना, अनूपपुर, ग्वालियर, जबलपुर, मुरैना, भिंड, विदिशा, सागर, दतिया, बैतूला और रतमला जिलों की ज्यादातर सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं। इन जिलों की ज्यादातर सीटें ऐसी हैं, जो उत्तर प्रदेश से लगी हुई हैं। इन सीटों के जरिए यूपी के फैक्टर को एमपी में आजमाने की तैयारी सपा प्रयोग के तौर पर कर रही है।
सपा के लिए अखिलेश यादव ने लगातार चुनाव प्रचार में मोर्चा संभाले रखा था। हालांकि उनका साथ देने के लिए मैनपुरी से सांसद और सपा प्रमुख की पत्नी डिंपल यादव भी प्रचार करने गई थीं। तब उन्होंने कहा था,’सपा पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ रही है। हमारी पार्टी यहां बहुत अच्छा प्रदर्शन करेगी और नई ताकत बनकर उभरेगी।’
हालांकि पिछली बार भी सपा ने राज्य की 5 विधानसभा सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया था। तब पार्टी को 1 सीट पर जीत मिली थी जबकि अन्य 4 सीटों पर सपा दूसरे नंबर की पार्टी रही थी। उसे बीजेपी प्रत्याशियों के सामने हार का सामना करना पड़ा था। सपा इन्हीं सीटों पर गठबंधन के लिए अपना दावा कर रही थी।
बीते 20 सालों के दौरान अगर 2013 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो सपा ने हर चुनाव में यहां कुछ सीटों पर जीत दर्ज की है। 2003 के विधानसभा चुनाव में सपा ने बेजोड़ दम दिखाया था। तब पार्टी ने 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जिन सीटों पर जीत मिली थी उनमें छतरपुर, चांदला, मैहर, गोपदबनास, सिंगरौली, पिपरिया और मुल्ताई सीट थी।
इससे पहले 1998 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 94 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 4 सीटों पर जीत दर्ज की थी। तब सपा ने रौन, दतिया, चांदला और पवई में जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2008 के विधानसभा चुनाव में सपा की साइकिल केवल एक सीट पर ही अपना दम दिखा पाई। 2013 के दौरान पार्टी की खटपट का नतीजा यहां दिखा और सपा को एक भी सीट हाथ नहीं लगी।
लेकिन बीते 2018 के विधानसभा चुनाव में तस्वीर फिर से बदली है, सपा जिन सीटों पर गठबंधन के लिए दावा कर रही थी वहां पार्टी का प्रदर्शन दमदार रहा था। बीते 2018 चुनाव में पार्टी ने बिजावर (छतरपुर) में जीत दर्ज की। पृथ्वीपुर और निवाड़ी समेत चार सीटों पर विपक्षी दलों के लिए कड़ी चुनौती पेश की। यहां सपा दूसरे नंबर पर रही थी।
इस बार फिर अपने इस पुरानी समीकरण को सपा धार देने में लगी है। सपा प्रमुख ने 14 नवंबर को कहा, ‘अब तो कांग्रेस की भी भाषा बदल गई, कह रही है कि हम जातीय जनगणना कराएंगे। मैं कांग्रेस के लोगों से पूछना चाहता हूं आजादी के बाद जब आपको जातीय जनगणना करानी थी, अधिकार देने थे तो क्यों नहीं दिया?’
अखिलेश यादव ने आगे कहा, ‘आप लोगों के बीच में रहकर बीजेपी और कांग्रेस के विकल्प के रूप में कोई पार्टी अगर तैयार होने जा रही तो आपके आशीर्वाद से समाजवादी पार्टी है।’ यानी सपा के प्रमुख के निशाने पर बीजेपी के साथ कांग्रेस भी नजर आ रही है। इतनी ही नहीं बीते कई दिनों के चुनाव प्रचार के दौरान उनके कांग्रेस से सवाल जारी रहे हैं।
उन्होंने अपनी रैली के दौरान दावा करते हुए कहा दिया,’आज के कार्यक्रम के बाद ना बीजेपी सो पाएगी ना कांग्रेस सो पाएगी। जीतने के बाद हम लोग आपसे फिर मिलने आएंगे। आपको एक बार फिर धन्यवाद देंगे।’ अपने मध्य प्रदेश दौरे के अंतिम दिन सपा प्रमुख ने चंदला में जमकर चुनाव प्रचार किया जहां पार्टी लगातार अच्छा प्रदर्शन करते आई है।
बता यहीं खत्म नहीं होती है, पूरे चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश यादव ने कभी भी INDIA गठबंधन का जिक्र नहीं किया। उनका पूरा चुनाव प्रचार यूपी की तरह एमपी में भी PDA वाले फॉर्मूले पर ही चला। यहां भी अपनी हर रैली के दौरान उन्होंने जातिगत जनगणना की अपनी मांग को दोहराया और कांग्रेस पर भी इससे जुड़े सवाल दागते गए।
मध्य प्रदेश चुनाव में प्रचार करने के लिए दीपावली के अगले दिन यानी 13 और 14 नवंबर को अखिलेश यादव ने राज्य की कई विधानसभा चुनाव पर प्रचार किया। जबकि डिंपल यादव ने भी राज्य में दो दिन लगातार चुनाव प्रचार किया था। वहीं सपा प्रमुख इस बार मध्य प्रदेश में कुल मिलाकर करीब 10 दिनों तक चुनाव प्रचार करते नजर आए।
अखिलेश यादव ने राज्य की ओरछा, निवाड़ी, चंदला, राजनगर, छतरपुर सदर, पन्ना, धौहनी, देवतालाब, पृथ्वीपुर, सीधी, चित्रकूट और बहोरीबंद में चुनाव प्रचार किया है। वहीं दूसरी ओर डिंपल यादव ने भी इनमें से कई सीटों पर उनका साथ दिया और सपा प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया।