राजस्थान के राजनीतिक संकट के केंद्र बिंदु बने सचिन पायलट और उनका खेमा चुप्पी को हथियार बनाकर लड़ाई लड़ रहा है। पायलट तो लगभग शांत ही हैं, वहीं उनके साथी विधायक जरूर बयानबाजी कर रहे हैं, लेकिन वह भी मुख्यत: घटनाओं, बयानों की प्रतिक्रियाओं के रूप में ही है। आमतौर पर इस तरह के राजनीतिक संकट जैसे मामलों में एक-दूसरे पर तीखे आरोप-प्रत्यारोप और बयानबाजी का दौर चलता है, लेकिन राजस्थान की तस्वीर कुछ अलग दिखाई दे रही है। यहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का रूख तीखा दिख रहा है। सचिन के लिए उनका निकम्मा और नकारा वाला बयान किसी भी नेता के लिए उनकी आज तक की तीखी प्रतिक्रिया बताई जा रही है।
गहलोत खेमे के अन्य नेता पायलट को लेकर सीधा बयान नहीं दे रहे है। हालांकि, उनके साथियों पर हमले जरूर किए जा रहे हैं। दो दिन पहले ही परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने बागी विधायक वेदप्रकाश सोलंकी पर तीखा हमला बोला थाजिसका सोलंकी ने एक वीडियो जारी कर जवाब दिया। वहीं, दूसरे यानी पायलट खेमे की बात करें, तो इस खेमे की ओर से सीधा कोई बयान नहीं आ रहा है। जो भी बात आ रही है, वह प्रतिक्रिया के रूप में आ रही है। खुद सचिन पायलट ने अभी तक इस मामले में सिर्फ एक बड़ा बयान जारी किया है। यह बयान भी गहलोत के निकम्मा, नकारा वाले बयान और गहलोत खेमे के एक विधायक गिर्राज मलिंगा को कथित तौर पर 35 करोड़ रुपये का ऑफर दिए जाने की प्रतिक्रिया था।
उन्होंने मुख्य तौर पर सिर्फ यह कहा कि ऐसे आरोपों से मैं दुखी तो हूं, लेकिन हैरान नहीं हूं। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाने वाले विधायक को कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। इस दिन सोशल मीडिया पर उनके कई समर्थकों ने उनसे तीखी प्रतिक्रिया देने की मांग की थी, लेकिन पायलट चुप्पी साधे रहे। इसके अलावा एक बार उन्होंने भाजपा में नहीं जाने की बातस्पष्ट की थी। इसके अलावा अब तक उनकी ओर से कोई बयान या प्रतिक्रिया नहीं आई है। शुरुआत में टि्वटर पर उनके एक-दो साथी कविताओं और शायरी के रूप में जो बयान दे रहे थे, वह भी अब लगभग बंद है। पार्टी या पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के खिलाफ इन नेताओं ने अब तक एक भी बयान नहीं दिया है, बल्कि सोमवार को पायलट की फेसबुक पोस्ट में लगी तस्वीरों में कांग्रेस का चित्त नजर आया