रूसी संसद जल्द ही एक प्रस्ताव को मंजूरी दे सकती है, जिसके तहत देश की जेलों में बंद कैदी यूक्रेन के खिलाफ जंग में हिस्सा ले सकते हैं। इस बार में एक बिल संसद के सामने बुधवार को लाया गया। इस पर फैसला एक या दो दिन में आ सकता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- पुतिन की पार्टी ने यह बिल पेश किया है, लेकिन बताया जाता है कि डिफेंस मिनिस्ट्री इस बिल में कुछ बदलाव चाहती है। बहरहाल, अगर इस बिल को मंजूरी मिल जाती है तो आप रूसी कैदियों को यूक्रेन के खिलाफ फौजी वर्दी में जंग लड़ते देख सकते हैं। खास बात यह है कि बिल में साफ कहा गया है कि जिन कैदियों को जंग के मोर्चे पर भेजा जाएगा, बाद में उनकी सजा माफ कर दी जाएगी।
रूस की न्यूज एजेंसी ‘तास’ की एक रिपोर्ट में कहा गया है- सरकार कुछ कैदियों को जंग में जाने की मंजूरी नहीं देगी। जिन कैदियों पर सेक्शुअल क्राइम्स, देशद्रोह या आतंकवाद के आरोप हैं, या जिन्हें इन मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है, उन्हें मोर्चे पर जाने की मंजूरी नहीं मिलेगी।
इसके अलावा हर तरह के कैदी मोर्चे पर तैनात किए जा सकते हैं। इनमें सजायाफ्ता कैदियों के अलावा वो कैदी भी शामिल होंगे, जिनके खिलाफ कोर्ट में ट्रायल पेंडिंग हैं। यानी जिनके केसेज की सुनवाई चल रही है।
रूस सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद यूरोप की सबसे बड़ी जंग लड़ रहा है। इस जंग को 15 महीने से ज्यादा बीत चुके हैं और रूस को इसमें जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ा है। पिछले साल जब 24 फरवरी को पुतिन की फौज ने यूक्रेन पर हमला किया था तो उन्होंने दावा किया था कि यूक्रेन 15 दिन भी मैदान में नहीं टिक सकेगा। बहरहाल हुआ, बिल्कुल उल्टा।
यूक्रेन को अमेरिका और वेस्टर्न वर्ल्ड से भरपूर मदद मिल रही है और रूस अलग-थलग पड़ चुका है। इसके अलावा उसकी इकोनॉमी को भी इस जंग की वजह से काफी नुकसान हुआ है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अप्रैल में यूक्रेन के प्रेसिडेंट वोलोदिमिर जेलेंस्की से फोन पर बातचीत की थी। बातचीत के दौरान फोकस रूस-यूक्रेन जंग पर ही रहा।
इसके पहले मार्च में जिनपिंग रूस दौरे पर भी गए थे। वहां उन्होंने व्लादिमिर पुतिन से लंबी बातचीत की थी। हाल ही में रूस ने सऊदी अरब और ईरान के डिप्लोमैटिक रिलेशन बहाल कराए हैं। चीन का फोकस अब मध्यस्थता के जरिए दुनिया के बड़े विवाद सुलझाने पर है। वो इजराइल और फिलिस्तीन के मसले पर भी फोकस कर रहा है।
बातचीत के बाद जेलेंस्की ने सोशल मीडिया पर कहा था- चीन के प्रेसिडेंट से काफी लंबी और अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। हमने रूस के हमले और यूक्रेन के हालात पर बातचीत की। हम चाहते हैं कि चीन के साथ अच्छे रिश्ते हों। हम दोनों ही देश साथ चलना चाहते हैं।
जंग शुरू होने के बाद से ही चीन ने हर मोर्चे पर रूस का साथ दिया है, हालांकि वो दावा ये करता है कि इस मामले में उसका स्टैंड न्यूट्रल है। वेस्टर्न मीडिया का दावा है कि रूस खुद तो ताकतवर है ही, ऊपर से उसे चीन का साथ मिलता है। यही वजह है कि रूस अब तक जंग जारी रख पाया है। हालांकि, चीन चाहे तो रूस पर दबाव डालकर जंग रुकवा भी सकता है।
2019 तक चीन ही यूक्रेन का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर था। यूक्रेन ने चीन को 2019 तक सबसे ज्यादा मक्का सप्लाई किया। चीन भले ही दिखावा करे कि वो जंग रुकवाने की बात कर रहा है, लेकिन उसकी रूस से बढ़ती नजदीकी का सबूत है तेल-गैस आयात में बढ़ोतरी। 2022 में चीन को कच्चे तेल और गैस की सप्लाई 44% और 100% बढ़ी है।