18 देशों के लिए स्पेस में रूस ने 38 विदेशी उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया

इस वर्ष मार्च में रूस ने कजाकिस्तान के बैकोनूर कोस्मोड्रोम से सफल लांच के बाद 18 देशों के 38 विदेशी उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है। हालांकि, तकनीकी मुद्दों के कारण इस लांच में देरी हुई थी। इस लांच की सहायता से जापान, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब, कनाडा, इटली, जर्मनी और ब्राजील सहित देशों के उपग्रहों को सफलतापूर्वक कक्षा में रखा गया। 38 उपग्रहों में से चैलेंज-1 उपग्रह भी शामिल था, जो ट्यूनीशिया का पहला स्वदेश निर्मित उपग्रह है। यह टेलनेट दूरसंचार समूह द्वारा बनाया गया था।
1- यह कैरियर राकेट है जिसमें फ्रीगट अपर स्टेज शामिल है। सोयुज के 2.1 ए संस्करण में एनालाग से डिजिटल उड़ान नियंत्रण प्रणाली और बूस्टर पर अपग्रेड किए गए इंजन शामिल हैं। यह नया डिजिटल उड़ान नियंत्रण और टेलीमेट्री सिस्टम राकेट है, जिसे एंगल्ड लांच प्लेटफार्म के बजाय फिक्स्ड प्लेटफार्म से लांच किया जाता है।
2- सोयुज यह सोवियत लांच सिस्टम का एक परिवार है जिसे OKB-1 द्वारा विकसित किया गया है। यह समारा, रूस में प्रोगेस राकेट स्‍पेस सेंटर द्वारा निर्मित किया गया था। यह दुनिया भर में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला लांच व्हीकल है। इन वाहनों को सोयुज़ कार्यक्रम के तहत चालक दल युक्त सोयुज अंतरिक्ष यान के लांचर के रूप में उपयोग किया जाता है।
3- रूस द्वारा एक बार में 38 उपग्रहों के प्रक्षेपण काफी महत्वपूर्ण है, सोवियत संघ के पतन के बाद से रूस अंतरिक्ष क्षेत्र में पिछड़ रहा है। यह भ्रष्टाचार के घोटालों और तकनीकी ठहराव के कारण कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धियों से पिछड़ गया है। वर्ष 2018 में, रूस ने रूसी कास्मोनाट और नासा के अंतरिक्ष यात्री को ले जाने के लिए एक सोयूज राकेट लांच किया था, लेकिन यह मिशन मध्य उड़ान में विफल हो गया और चालक दल को आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी।
4- गौरतलब है कि वर्ष 2018 में एक रूसी कास्मोनाट और नासा के अंतरिक्ष यात्री ले जाने वाला सोयुज राकेट मध्य उड़ान में विफल रहा, जिससे चालक दल को आपातकालीन लैंडिंग करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। दोनों बिना किसी चोट के बच गए थे।